श्रीलंका में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. बड़ा उलटफेर करते हुए उन्होंने वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को करारी शिकस्त दी है. दिसानायके की पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) इससे पहले कभी सत्ता तक नहीं पहुंच पाई थी. लेकिन इस बार में उन्होंने ग़रीबी कम करने और भ्रष्टाचार से लड़ने के एजेंडे देते हुए चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर ली है.
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति होंगे दिसानायके, अडानी को लेकर दे चुके हैं बयान
Anura Kumara Dissanayake ने 2022 के आर्थिक संकट के समय अपने भ्रष्टाचार विरोधी बयानों से ख़ूब चर्चा पाई.
इस बार के चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके और रानिल विक्रमसिंघे और मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा के बीच मुकाबला था. प्रेमदासा पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे हैं. रणसिंघे की पद पर रहते हुए हत्या कर दी गई थी. विक्रमसिंघे के भी चाचा जेआर जयवर्धने पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके हैं. वहीं, दो बार राष्ट्रपति रह चुके महिंदा राजपक्षे के सबसे बड़े बेटे नमल राजपक्षे भी चुनावी मैदान में थे. भले ही अपने प्रतिद्वंद्वियों जैसी राजनीतिक विरासत न हो, लेकिन गरीबों की मदद करने की वामपंथी नीतियों और उत्साह से भरे भाषणों ने अनुरा कुमारा दिसानायके को इस मुकाम पर पहुंचा दिया है.
10वें राष्ट्रपति चुने जाने के लिए 21 सितंबर को देशभर में चुनाव हुए थे. जानकारी के मुताबिक़, श्रीलंका में इस बार 1.70 करोड़ वोटर्स वोट करने के लिए एलिजिबल थे. इनमें से क़रीब 75 फ़ीसदी लोगों ने वोटिंग की थी. वहीं, नवंबर 2019 में हुए बीते राष्ट्रपति चुनाव में हुए 83 फ़ीसदी वोट रिकॉर्ड किया गया था. श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के चलते साल 2022 में बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल पुथल सामने आई थी. उस वक़्त राष्ट्रपति को सत्ता छोड़ने पड़ी थी. इसके बाद श्रीलंका में यह पहला राष्ट्रपति चुनाव था.
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कौन हैं अनुरा कुमारा दिसानायके?AKD के नाम से मशहूर अनुरा कुमारा दिसानायके मार्क्सवादी-लेनिनवादी नेता हैं. जब 2022 में आर्थिक मंदी ने श्रीलंका को जकड़ा, उस समय ग़रीबों के समर्थन में और भष्ट्राचार विरोधी उनके भाषणों की ख़ूब चर्चा हुई. जन्म हुआ 24 नवंबर, 1968 को. श्रीलंका के उत्तर मध्य प्रांत के अनुराधापुरा ज़िले में उनका गांव थंबूथेगामा पड़ता है. छात्र जीवन से वो JVP की गतिविधियों में शामिल होते थे. 1987 आते-आते वो पार्टी के पर्णकालिक सदस्य भी बन गए. इसके बाद साल आया 2000 का, जब वो पहली बार विधायक बने.
नरसंहार के समर्थन का आरोपबाद में उनकी पार्टी ने सत्तारूढ़ यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (UPFA) के साथ गठबंधन किया. 2004 में उनकी पार्टी सैन्य समाधान का पूर्ण समर्थन किया था. जिसकी परिणति तमिल नरसंहार में हुई. बताया जाता है कि JVP हमेशा शांति वार्ता के विरोध में रही. 2003 में शांति विरोधी रैली में दिसानायके ने भाग लिया था. तमिल गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक़, जब 2002 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और श्रीलंकाई सरकार के बीच युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. तब भी दिसानायके उन सांसदों में से थे, जिन्होंने इसका विरोध किया था.
आमतौर पर दिसानायके को भारत विरोधी धड़े का माना जाता है. अनुरा ने चुनाव से पहले भारतीय कंपनी अडानी के ख़िलाफ़ बयान देकर नया विवाद भी शुरू कर दिया था. अनुरा का कहना है कि अडानी प्रोजक्ट श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है. हालांकि, हाल के कुछ सालों में JVP ने भी अपना भारत विरोधी रुख बदला है.
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