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चंद्रबाबू नायडू का बेटा, जिसने आंध्र प्रदेश में TDP को जिता कर दिल्ली में पिता का रौब बना दिया

टीडीपी केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर मजबूत स्थिति में है, तो माना जा रहा है कि चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.

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इस चुनाव में हुई जीत में नारा लोकेश की भूमिका अहम मानी जा रही है. (फोटो- पीटीआई)

आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है. राज्य विधानसभा में कुल 175 सीटें हैं. टीडीपी ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 135 सीटें जीत ली. जबकि पिछले चुनाव में पार्टी के हिस्से सिर्फ 23 सीटें आई थीं. अब राज्य के साथ केंद्र में सरकार गठन को लेकर पार्टी की भूमिका अहम हो गई है. पार्टी की भूमिका की चर्चा के साथ एक और व्यक्ति की चर्चा है - नारा लोकेश.

पिछले चुनाव में 23 सीटों पर सिमटने के बाद राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने कहना शुरू कर दिया था कि टीडीपी पार्टी के तौर पर खत्म हो चुकी है. लेकिन 5 सालों बाद आज पार्टी राज्य में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. कहा जाता है कि पार्टी के भीतर जान फूंकने में नारा लोकेश की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

41 साल के लोकेश चंद्रबाबू नायडू के इकलौते बेटे हैं. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA किया है. कुछ समय वर्ल्ड बैंक के लिए भी काम किया है. वापस लौटने के बाद उन्होंने अपने परिवार के कारोबार को संभाला. लेकिन पिछले 10 सालों से राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं. 2013 में पार्टी के यूथ विंग के अध्यक्ष के रूप में शुरुआत की थी. अभी टीडीपी के महासचिव हैं. 

लोकेश ने मंगलागिरि विधानसभा से इस बार रिकॉर्ड 91,413 वोटों की मार्जिन से चुनाव भी जीता. पिछले चुनाव में इसी सीट से वे हार गए थे. 40 साल बाद पहली बार इस सीट से टीडीपी जीत पाई है. इससे पहले टीडीपी के संस्थापक एनटी रमा राव यहां से 1985 में चुनाव जीते थे.

नारा लोकेश ने कैसे बदली पार्टी की छवि?

आंध्र प्रदेश में टीडीपी, जनसेना पार्टी और बीजेपी गठबंधन की जीत का श्रेय नारा लोकेश को दिया जा रहा है. सोशल मीडिया पर रील और वीडियो वायरल हैं, जिसमें उन्हें आंध्र प्रदेश और टीडीपी का भविष्य बताया जा रहा है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नारा लोकेश ने पार्टी की रणनीति को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने राज्य भर में 400 दिनों की पदयात्रा की. जनवरी 2023 में लोकेश ने युवा गलम पदयात्रा (युवाओं की आवाज) शुरू की थी. इस दौरान कुप्पम से इच्छापुरम तक 4 हजार किलोमीटर की दूरी तय की गई. इस पदयात्रा का उद्देश्य युवाओं को जोड़ना था और इसके कारण चुनाव प्रचार में लोकेश की छवि मजबूत हुई.

सीनियर पत्रकार टीएस सुधीर ने इंडिया टुडे के एक लेख में लिखा कि यह यात्रा पूरी तरह राहुल गांधी के नक्श कदम पर थी. जिस तरीके से राहुल गांधी की छवि बदली, उसी तरह लोकेश की भी रीब्रैन्डिंग हुई. रिपोर्ट बताती है कि इस पदयात्रा के दौरान लोकेश ने लोगों से बात की. उनकी चिंताओं को सुना और उसके हिसाब से पार्टी की नीति और लक्ष्यों को तय किया. जब भी कोई व्यक्ति अपनी समस्या उन्हें बताता, वे उसे कागज पर लिखते थे. अक्सर उन्हें बुजुर्ग महिलाओं से गले मिलते, युवाओं के साथ सेल्फी लेते देखा गया.

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पिछले साल सितंबर में जब स्किल डेवलपमेंट घोटाले में चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त लोकेश ने पदयात्रा रोककर पार्टी की कमान संभाली. उन्होंने नायडू की गिरफ्तारी के खिलाफ राज्य में आंदोलन के लिए पोलित ब्यूरो की मीटिंग की अध्यक्षता की. अक्टूबर 2023 में चंद्रबाबू नायडू की रिहाई के बाद दोबारा पदयात्रा शुरू की. इसके बाद उन्हें पार्टी में नंबर-2 माना जाने लगा.

यात्रा से पहले लोकेश ने राज्य में बड़े स्तर पर पार्टी के लिए सदस्यता अभियान चलाया. रिपोर्ट बताती है कि इस अभियान के कारण कम से कम 50 लाख लोग टीडीपी से जुड़े. इस अभियान ने पार्टी संयोजक के रूप में उनकी छवि स्थापित की.

बीजेपी के साथ गठबंधन में रोल

पिछले चुनाव से पहले चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए का साथ नाता तोड़ लिया था. केंद्र सरकार में शामिल अपने दो मंत्रियों को भी हटा दिया था. लेकिन अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले टीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन का क्रेडिट लोकेश को ही दिया जाता है. इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में लोकेश ने कहा था कि उन्हें भरोसा है कि आंध्र प्रदेश में टीडीपी और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनेगी.

विधानसभा चुनाव में टीडीपी की कुछ चर्चित घोषणाओं के पीछे भी लोकेश का दिमाग बताया जाता है. चुनाव में टीडीपी ने कुछ महत्वपूर्ण वादे किए, जिसमें 19 से 59 साल की महिलाओं को 1,500 रुपये की मासिक पेंशन, युवाओं के लिए 20 लाख नौकरियां, 3 हजार रुपये मासिक बेरोजगारी सहायता और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा शामिल हैं.

चुनाव नतीजों के तुरंत बाद मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने तुरंत इस्तीफा दे दिया. उनके नेतृत्व वाली YSR कांग्रेस 2019 के विधानसभा चुनाव में 151 सीट जीतकर सत्ता में आई थी, लेकिन इस बार सिर्फ 11 सीटों पर सिमट गई. अब चूंकि टीडीपी केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर मजबूत स्थिति में है, तो माना जा रहा है कि नारा लोकेश को एक और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.

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