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यहां शराब पीने वालों की लगी लॉटरी, सिर्फ 99 रुपये में मिलेगा पव्वा चाहे कोई ब्रैंड हो

आंध्र प्रदेश सरकार ने एक नई शराब नीति अधिसूचित की है, जिससे राज्य को 5,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की अपेक्षा है.

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ढेर सारी शराब की सांकेतिक तस्वीर.

बीते शनिवार, 12 अक्टूबर से आंध्र प्रदेशियों को हर शराब का पव्वा 99 रुपये में मिल रहा है. चाहे जो ब्रैंड हो, क्वॉर्टर 99 का मिलेगा. बीते शनिवार की ख़बर बुध को बताने की बस एक सफ़ाई है - कभी-कभी (हमेशा नहीं) देर कर देता हूं मैं...

99 में कोई भी क्वॉर्टर

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, आंध्र प्रदेश सरकार ने एक नई शराब नीति अधिसूचित की है, जो हरियाणा और अन्य राज्यों की तर्ज़ पर खुदरा दुकानों को कम दाम पर शराब बेचने की अनुमति देती है. इससे राज्य को 5,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की अपेक्षा है.

राज्य मंत्रिमंडल ने बाक़ी राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस के आधार पर आबकारी नीति रिवाइज़ की. 18 सितंबर को नीति को मंज़ूरी दी गई थी. फिर सरकार ने पूरे राज्य में 3,736 दुकानों को अधिसूचित किया. अधिसूचना के अनुसार, सरकार का उद्देश्य कम आय वाले समूहों को किफ़ायती विकल्प देना और अवैध शराब की मांग पर अंकुश लगाना है. इस नीति के साथ सरकारी सप्लाई को भी अपने ब्रैंड को उचित दाम पर बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

बीते पांच सालों से राज्य में शराब की बिक्री घटी है. लगभग आधी हो गई है. कारण? दाम में लगातार बढ़ोतरी और स्थानीय खिलाड़ियों को प्राथमिकता दिए जाने की वजह से.

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इस नीतिगत बदलाव से चंद्रबाबू नायडू सरकार को उम्मीद है कि आंध्र मार्केट में टॉप-3 का प्लेयर बन जाएगा. इस नीति की अवधि दो साल होगी. इससे स्थिरता बढ़ेगी, और खुदरा विक्रेता और प्रोत्साहित हो सकते हैं. भारत की बीयर उद्योग बॉडी ने कहा कि उन्हें राज्य में हज़ारों करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है, क्योंकि हर शराब की भट्टी की लागत 300 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये के बीच है.

न्यूज़ रिपोर्ट्स में छपा है कि लाइसेंस का आवंटन ऑनलाइन लॉटरी के ज़रिए किया जाएगा. चार लाइसेंस श्रेणियां तय की गई हैं, जिनकी फीस 50 लाख रुपये से 85 लाख रुपये के बीच है. दुकान मालिकों को उनकी बिक्री पर 20% का लाभ मिलेगा और सरकार 12 प्रीमियम दुकानों को पांच साल की अवधि के लिए लाइसेंस देगी, जिसमें लाइसेंस फीस 1 करोड़ रुपये होगी.

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