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Anantnag में शहीद कर्नल, मेजर की अंतिम यात्रा में उमड़ा हुजूम, मां क्यों बोलीं- 'मैं नहीं रोऊंगी'

मेजर आशीष का पार्थिव शरीर करीबन सुबह 10 बजे पानीपत पहुंचा. उनके पार्थिव शरीर को दाह संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. वहीं, शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर भी मोहाली में उनके गांव में पहुंच चुका है.

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कर्नल मनप्रीत सिंह का अंतिम संस्कार दोपहर ढाई बजे के आसपास होगा. (साभार- Twitter)

अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकी मुठभेड़ में शहीद (Anantnag Encounter) होने वाले दो अफसरों के पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंच चुके हैं. शहीद कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह (Col. Manpreet Singh) पंजाब के मोहाली के रहने वाले थे. जबकि, मेजर आशीष ढोंचक (Ashish Dhonchak) का गांव हरियाणा के पानीपत में है. दोनों शहीद अफसरों का अंतिम संस्कार 15 सितंबर को किया जाएगा. तीसरे जवान पुलिस उपाधीक्षक हुमायूं भट (Humayun Bhat) थे. उनका अंतिम संस्कार 14 सितंबर की देर रात कर दिया गया है.

अंतिम सफर पर मेजर आशीष

मेजर आशीष का पार्थिव शरीर करीबन सुबह 10 बजे पानीपत में उनके आवास पर पहुंचा. पार्थिव शरीर पहुंचते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. शव के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. सभी की आंखें नम थीं. तिरंगे में लिपटे मेजर के पार्थिव शरीर पर लोगों ने फूल बरसाए. बेटे का पार्थिव शरीर पहुंचा तो मां बोलीं,

“बेटा देश को दे दिया था, मैं नहीं रोऊंगी. मेरा बेटा तो देश का था. हमने उसे देश के लिए दिया था. गम तो बहुत है पर मैं रोऊंगी नहीं.”

पूरा गांव उनके काफिले के साथ चल रहा था. सड़कों पर बस एक ही नारा गूंज रहा था...'मेजर आशीष अमर रहें'.  

मेजर आशीष अपनी अंतिम यात्रा पर. (फोटो: ANI)

बता दें कि उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव बिंझौल में किया जाएगा. 

दोपहर में होगा कर्नल का अंतिम संस्कार

उधर कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर भी पंजाब के मोहाली में उनके गांव पहुंच चुका है. मनप्रीत भड़ौंजिया गांव के रहने वाले थे. उनका पार्थिव शरीर पहुंचते ही अंतिम दर्शन को गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. दोस्त और रिश्तेदार भी उनके घर पहुंच रहे हैं. खबरों के मुताबिक, दोपहर 2.30 बजे के आसपास सैन्य और शासकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. अनंतनाग के ऑपरेशन को कर्नल मनप्रीत सिंह ही लीड कर रहे थे. कर्नल मनप्रीत सिंह कमांडिंग ऑफिसर भी थे.

अपनी अंतिम यात्रा पर कर्नल मनप्रीत. (फोटो: ANI )

कर्नल मनप्रीत के भाई संदीप सिंह ने इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने बताया, 

“6 दिन पहले ही भैया से बात हुई थी. 13 सितंबर को फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. वो अगर बिजी भी होते थे तो बता देते थे कि मैं बाद में बात करता हूं. लेकिन इस बार उन्होंने फोन उठाया ही नहीं. मुझे लगा वो व्यस्त होंगे. लेकिन ये कभी नहीं सोचा था कि भैया शहीद हो गए हैं.”

मनप्रीत के ससुर जगदेव सिंह ने भी मीडिया से बात की. उनकी गोद में कर्नल मनप्रीत की बेटी थी. जगदेव ने कहा, ये मनप्रीत की बेटी है…..इसका एक बड़ा भाई भी है.' बता दें कि कर्नल मनप्रीत के परिवार की पिछली तीन पीढ़ियां फौज में शामिल होकर देश की सेवा कर रही हैं. उनके पिता लखमीर सिंह का 2014 में निधन हुआ था. वो भी सेना से रिटायर थे. उनके परिवार में भाई संदीप सिंह, बहन संदीप कौर, मां मंजीत कौर पत्नी जगमीत ग्रेवाल हैं. जगमीत ग्रेवाल हरियाणा के सरकारी स्कूल में लेक्चरर हैं. उनके 2 बच्चे हैं. एक बेटा 6 साल का है और उनकी बेटी की उम्र दो साल है.