The Lallantop

बसपा ने सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित किया, क्या वजह बताई गई?

दानिश अली पिछले कुछ समय से चर्चा में रहे हैं. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था.

post-main-image
अमरोहा से सांसद दानिश अली(फोटो: इंडिया टुडे)

बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने अपने लोकसभा सांसद दानिश अली (Danish Ali) को पार्टी से निलंबित कर दिया है. BSP ने अली पर ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ में संलिप्त करने का आरोप लगाया है. अली उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा सांसद हैं. पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने दानिश अली को पत्र लिखकर इस बात की सूचना दी. पत्र में लिखा गया है कि कई बार उन्हें पार्टी की तरफ से चेतावनी दी गई थी.

पत्र में क्या बताया गया? 

सतीश चंद्र मिश्रा के पत्र में लिखा है कि दानिश अली को कई बार मौखिक रूप से निर्देश दिए गए थे कि वो पार्टी की नीतियों, विचारधारा और अनुशासन के खिलाफ जाकर बयानबाजी न करें. लेकिन उन्होंने लगातार पार्टी के खिलाफ काम किया. इस वजह से उन्हें पार्टी से निकाला जा रहा है.  

उन्होंने पत्र में आगे लिखा है,

“साल 2018 में उन्होंने (दानिश अली) एचडी देवगौड़ा की जनता पार्टी के सदस्य के रूप में काम किया था. और साल 2018 के कर्नाटक के आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और जनता पार्टी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. और इस गठबंधन में वो देवगौड़ा की पार्टी की तरफ से काफी एक्टिव थे. कर्नाटक चुनाव का रिजल्ट आने के बाद एचडी देवगौड़ा के कहने पर आपको अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में टिकट दी गई थी. और टिकट देने से पहले देवगौड़ा ने ये आश्वासन दिया था कि आप बहुजन समाज पार्टी का टिकट मिलने के बाद पार्टी की सभी नीतियों और निर्देशों का पालन करेंगे. और पार्टी के हित में काम करेंगे. इस आश्वासन को आपने भी दोहराया था. जिसके बाद आपको बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता दिलाई गई थी. और फिर अमरोहा से चुनाव जिताकर लोकसभा भेजा गया था. लेकिन आप अपने दिए गए आश्वासनों को भूल कर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहें. अब पार्टी के हित के लिए आपकी बहुजन समाज पार्टी सदस्यता तत्काल प्रभाव से निलंबित की जाती है.”

 निलंबन पर दानिश क्या बोले?

बहुजन समाज पार्टी द्वारा कुंवर दानिश अली की सदस्यता वापस लिए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया सामने आई है. अपने X अकाउंट पर दानिश ने लिखा, 

'मैं बहन मायावती जी का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूँगा की उन्होंने मुझे  बहुजन समाज पार्टी का टिकट दे कर लोक सभा का सदस्य बनने में मदद की. बहन जी ने मुझे बसपा संसदीय दल का नेता भी बनाया. मुझे सदैव उनका असीम स्नेह और समर्थन मिला. उनका आज का फ़ैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने अपनी पूरी मेहनत और लगन से बसपा को मज़बूत करने का प्रयास किया है और कभी भी किसी प्रकार का पार्टी विरोधी काम नहीं किया है इस बात की गवाह मेरे अमरोहा क्षेत्र की जनता है.  मैंने बीजेपी सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध ज़रूर किया है और करता रहूँगा. चंद पूँजीपतियों द्वारा जनता कि संपत्तियों की लूट के ख़िलाफ़ भी मैंने आवाज़ उठायी है और उठाता रहूँगा क्योंकि यही सच्ची जन सेवा है यदि ऐसा करना जुर्म है तो मैंने ये जुर्म किया है, और में इसकी सज़ा भुगतने को तैयार हूँ मैं अमरोहा की जानता को आश्वस्त करना चाहता हूँ की आप की सेवा में हमेशा हाज़िर रहूँगा. '

महुआ मोइत्रा के पक्ष में प्रदर्शन किया था

 ये अभी साफ नहीं है कि ‘पार्टी विरोधी गतिविधि’ क्या थीं. 

हालांकि संसद के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन, 8 दिसंबर को दानिश अली सदन के बाहर महुआ मोइत्रा के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपने गले में एक बैनर टांगा हुआ था. इस बैनर में लिखा था 'डोंट टर्न विक्टिम इंटू कलप्रिट' माने पीड़ित को ही अपराधी न बनाएं. 

प्रदर्शन के दौरान उन्होंने इस बैनर को लेकर मीडिया को बताया कि कमेटी ने एक रिकमेंडेशन में उनका भी जिक्र किया है. दानिश का मानना है कि महुआ मोइत्रा को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कमेटी ने उनके नाम का जिक्र किया था. उन्होंने बताया कि महुआ मोइत्रा को न्याय नहीं मिला, उन्हें बात रखने का मौका नहीं दिया गया. 

इसके बाद उन्होंने 21 सितंबर को संसद में रमेश बिधूड़ी के बयान का जिक्र करते हुए भी गुस्सा जाहिर किया था.