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अमित शाह ने लॉन्च किया साइबर फ्रॉड मिटिगेश सेंटर, आम आदमी का कितना वास्ता पड़ेगा?

Cyber ​​Fraud Mitigation Center: केंद्र सरकार ने Cyber Fraud पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार की तरफ से 4 अहम Cyber Platform को लॉन्च किया गया है.

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साइबर फ्रॉड रोकने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम (फोटो: PTI)

साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud). देश और दुनियाभर के लिए ये एक बड़ी समस्या बनी हुई है. जैसे-जैसे देश में डिजिटल क्रांति आई है, वैसे ही साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी काफी तेजी से बढ़ी है. आए दिन लोगों के लाखों-करोड़ों रुपये चपत लगने की बात सामने आती रहती हैं. इसका तोड़ निकालना साइबर क्राइम डिपार्टमेंट (Cyber Crime Department) से लेकर सरकार तक के लिए टेढ़ी खीर साबित होती रही है. हालांकि इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार की तरफ से 4 अहम साइबर प्लेटफार्म (Cyber Platform) को लॉन्च किया गया . इसकी जानकारी खुद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने I4C के स्थापना दिवस के दौरान दी.

अमित शाह के मुताबिक सरकार का मकसद साइबर फ्रॉड को रोकना और लोगों की डिजिटल गतिविधियों को बेहतर बनाना है. उन्होंने कहा,

“आज के दौर में जैसे-जैसे डिजिटल निर्भरता बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे साइबर फ्रॉड के भी नये-नये रूप सामने आ रहे हैं. ऐसे में जागरूकता अहम है. आज हर उस शख्स को साइबर फ्रॉड से अलर्ट रहना चाहिए तो डिजिटली काम काज करते हैं. साइबर क्षेत्र में आने वाले दिनों में बहुत चुनौती है, इसीलिए डिजिटल सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है.  देश तभी विकसित होगा जब सुरक्षित होगा. इसके लिए 4 अहम साइबर प्लेटफार्म को लॉन्च किया गया है. ”

शाह ने आगे कहा,

“मोदी सरकार में हर नागरिक को साइबर सुरक्षा का अधिकार है, हमारी सरकार ने साइबर क्षेत्र को मजबूत और भरोसेमंद बनाने के लिए कानून को मजबूत बनाया है. सरकार का मकसद साइबर फ्रॉड को रोकना और लोगों की डिजिटल गतिविधियों को बेहतर बनाना है.”

I4C के स्थापना दिवस के दौरान साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए भारत सरकार ने 4 अहम साइबर प्लेटफार्म को लॉन्च किया है. इसमें साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) , समन्वय पोर्टल, साइबर कमांडो प्रोग्राम और सस्पेक्ट रजिस्ट्री ( Suspect Registry) है. गृह मंत्रालय के समन्वय से इन प्लेटफार्म को I4C संचालित करेगा. अब ये I4C क्या है और इन प्लेटफॉर्म की खासियत बारी-बारी से बताते हैं.

I4C क्या है?

पहले I4C को समझ लीजिए. PIB के मुताबिक भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना 2018 में गृह मंत्रालय (MHA) के तहत की गई थी. इसका प्राथमिक उद्देश्य देश में साइबर अपराधों से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का समन्वय केंद्र स्थापित करना है. I4C का काम प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को बढ़ाना और साइबर अपराध से निपटने वाले विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार करना है. 10 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में I4C मुख्यालय का उद्घाटन हुआ और इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया. 1 जुलाई 2024 को स्कीम फेज में I4C के कामकाज के आधार पर इसे एक स्थायी संस्था का रुप दिया गया. साथ ही गृह मंत्रालय के अंतर्गत ही एक ऑफिस भी बना दिया गया.

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चार अहम साइबर प्लेटफॉर्म्स लॉन्च

साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC)

साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) एक ऐसी जगह होगी, जहां साइबर फ्रॉड रोकने वाली सभी एजेंसियां एक छत के नीचे काम करेंगी. इसमें बड़े बैंकों के प्रतिनिधि, लॉ इनफोर्समेंट एजेंसियां, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर और केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. इन सभी के साथ बैठने का फायदा ये होगा कि किसी साइबर फ्रॉड के अपराधों के खिलाफ आपसी सहयोग से त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी. पहले अलग-अलग जगहों पर होने के कारण उनके बीच आपसी बातचीत इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिए होता है. इस वजह से किसी वित्तीय धोखाधड़ी या संदिग्ध लेनदेन को रोकने में देरी हो जाती है.

समन्वय प्लेटफॉर्म

ये एक वेब-आधारित मॉड्यूल है. प्लेटफॉर्म साइबर अपराध में इस्तेमाल होने वाले फ़र्ज़ी कार्ड, अकाउंट, साइबर क्राइम से बचाव, क्राइम एनालिसिस और इन्वेस्टीगेशन असिस्टेंस के लिए एक वन-स्टॉप पोर्टल के रूप में काम करेगा. 

साइबर कमांडो प्रोग्राम (Cyber Commando Program)

इस प्रोग्राम के तहत देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केन्द्रीय पुलिस संगठनों (CPOs) में प्रशिक्षित 'साइबर कमांडो' की एक स्पेशल ब्रांच स्थापित की जाएगी. प्रशिक्षित साइबर कमांडो डिजिटल स्पेस को सुरक्षित करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे.

Suspect Registry 

इस पहल के तहत साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आधार पर फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट क्षमताओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों में फर्जी अकाउंट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. संदिग्ध बैंक खातों का डाटाबेस बैंकों और वित्तीय संस्थानों को साझा किया जाएगा. इससे संदिग्ध अकाउंट को ट्रैक करने में आसानी होगी.

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