लोकसभा (Lok Sabha) में 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल (Women reservation bill) पर बहस शुरू हुई. बिल को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक' नाम दिया गया है. संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिल पर अपनी बात रखी. राहुल ने कहा कि वो महिला आरक्षण बिल के समर्थन में हैं. साथ ही उन्होंने जातीय जनगणना की भी मांग की.
महिला आरक्षण पर राहुल गांधी ने उठाया OBC का मुद्दा, अमित शाह को आई 'CM' मोदी की याद
लोकसभा में 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल पर बहस शुरू हुई. बिल को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक' नाम दिया गया है. संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी और गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर अपनी बात रखी.
लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पर चर्चा के दौरान बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा,
“महिलाओं को सत्ता हस्तांतरण में पंचायती राज बहुत बड़ा कदम था. महिला आरक्षण दिया जाना एक और बड़ा कदम है.”
राहुल ने आगे कहा कि महिला आरक्षण बिल को एक बात अधूरा बनाती है. इसमें OBC आरक्षण भी शामिल किया जाना चाहिए था. उन्होंनेे कहा,
“मैंने सवाल पूछा कि जो 90 सचिव हैं, जो हिंदुस्तान की सरकार चलाते हैं, इनमें से OBC कितने हैं. लेकिन इसके जवाब से मैं हैरान रह गया. 90 में सिर्फ 3 सचिव OBC हैं.”
राहुल ने आगे कहा,
“सरकार इस बिल को लागू करे. परिसीमन और जनगणना की कोई जरूरत नहीं है, बस महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दे दीजिए.”
कांग्रेस नेता ने कहा कि जैसे ही विपक्ष जाति जनगणना का मुद्दा उठाती है, बीजेपी नया मुद्दा लेकर आ जाती है. नई संसद पर बोलते हुए राहुल ने कहा,
"ये एक अच्छी इमारत है, लेकिन मैं इस प्रक्रिया में राष्ट्रपति को देखना पसंद करूंगा."
इसके साथ ही उन्होंने सेंगोल को लेकर भी सवाल उठाए. राहुल गांधी ने कहा कि कल मैं चर्चा सुन रहा था. सेंगोल की चर्चा ही रही थी. उन्होंने कहा कि जब अंग्रेजों ने हमारे क्रांतिकारी नेताओं से पूछा तो उन्होंने कहा कि हम जनता को सत्ता देंगे. जिसके बाद वोट सत्ता ट्रांसफर का प्रतीक बन गया.
अमित शाह बोले- ये राजनीतिक मुद्दा नहींवहीं गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि ये उनके लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है. उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा,
“19 सितंबर का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. पीएम ने मातृ शक्ति को सम्मानित किया है. बिल से महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित की जाएंगी.”
उन्होंने कहा कि इस देश की बेटी न केवल नीतियों के अंदर अपना हिस्सा पाएंगी, बल्कि नीति निर्धारण में भी अपने पद को सुरक्षित करेंगी. शाह ने बताया,
“पार्टियों के लिए ये बिल पॉलिटिकल एजेंडा हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता पीएम मोदी के लिए ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है. पीएम मोदी के लिए मान्यता का सवाल है. किसी सिद्धांत के लिए किसी व्यक्ति या संस्था का आकलन करना है, तो कोई एक घटना से फैसला नहीं हो सकता.”
अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया. उस वक्त उनके बैंक अकाउंट में जितना भी पैसा बचा था, वो पूरा गुजरात सचिवालय के वर्ग तीन और चार के कर्मचारियों की बच्चियों की पढ़ाई-लिखाई के लिए दिया गया. इसके लिए कोई कानून नहीं था.
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देशभर में दिया. गुजरात में उन्होंने जागरूकता पैदा की. इससे लिंगानुपात में सुधार हुआ था. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाई का फायदा ये हुआ कि एक ओर लिंगानुपात में सुधार हुआ. दूसरा गुजरात में प्राइमरी एजुकेशन में 37 फीसदी ड्रॉपआउट रेशो था, लेकिन जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तो ये ड्रॉपआउट रेशो घटकर 0.7 फीसदी ही रह गया. शाह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण संविधान संशोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि ये महिलाओं के लिए सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता का मुद्दा है.
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