भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक गतिरोध रुकने के आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं. इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सामने एक और चुनौती आ गई है. कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के कुछ सदस्यों ने ट्रूडो को 28 अक्टूबर तक इस्तीफा देने की चेतावनी दे दी है. ऐसा न करने पर उन्हें विद्रोह का सामना करने की चेतावनी भी दी गई है.
जस्टिन ट्रूडो को उन्हीं की पार्टी इस्तीफा देने को कह रही, 'डेडलाइन' तक दे दी
Justin Trudeau की पार्टी के 153 सांसदों में से 24 ने एक लेटर लिखा. जिसमें ट्रूडो से चौथी बार चुनाव लड़ने की अपनी योजना को छोड़ देने और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का आग्रह किया गया था.
दरअसल, 23 अक्टूबर को ट्रूडो ने एक क्लोस्ड डोर मीटिंग में लिबरल सांसदों से मुलाकात की. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक मीटिंग में 20 सांसदों (जिनमें से कोई भी कैबिनेट सदस्य नहीं था) ने प्रधानमंत्री से अगले साल के आम चुनाव में संभावित हार की आशंका के चलते इस्तीफा देने की बात कह दी. हालांकि, तीन घंटे तक चली बैठक के बाद ट्रूडो को मुस्कुराते हुए देखा गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि लिबरल पार्टी एकजुट और मजबूत है.
सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रूडो की पार्टी के 153 सांसदों में से 24 सांसदों ने एक लेटर लिखा था. जिसमें ट्रूडो से चौथी बार चुनाव लड़ने की अपनी योजना को त्यागने और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही है. रिपोर्ट की माने तो पिछले 100 सालों में कनाडा के किसी भी नेता ने चौथी बार चुनाव नहीं जीता है. न्यूफाउंडलैंड के लिबरल सांसद केन मैकडोनाल्ड ने इस मुद्दे पर कहा,
"ट्रूडो को सुनना शुरू करना होगा, लोगों की बात सुननी होगी."
मैकडोनाल्ड ने कहा कि उन्होंने उस लेटर पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
बता दें कि हाल में हुए विशेष चुनाव में लिबरल पार्टी को मॉन्ट्रियल और टोरंटो के दो जिलों में भारी हार का सामना करना पड़ा था. इन सीटों को पार्टी के लिए सुरक्षित सीट माना जाता है. इस हार के बाद से ट्रूडो के इस्तीफे की मांग तेज हो गई थी.
खालिस्तानी रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के मामले में दो आरोपियों को कनाडा की कोर्ट ने दोषी करार दिया है. ब्रिटिश कोलंबिया सुप्रीम कोर्ट में टैनर फॉक्स और जोस लोपेज नाम के आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. ऐसे में कनाडा के उन दावों की पोल खुल गई, जिसने इस मामले में भारत का हाथ होने का संदेह जताया गया था.
कनाडा की ब्रॉडकास्टर CBC के मुताबिक 2023 में रिपुदमन सिंह मलिक हत्याकांड की जांच के दौरान रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने मामले में भारत की भूमिका की भी जांच की थी. रिपोर्ट के मुताबिक कनाडाई पुलिस का मानना है कि वो सीधे भारतीय राजनयिकों द्वारा संपर्क नहीं किए गए थे. रिपुदमन सिंह मलिक 1985 में हुए एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट मामले में आरोपी था. ये फ्लाइट मॉनट्रियल एयरपोर्ट से मुंबई जा रही थी. इस हमले में 82 बच्चों, चार नवजातों समेत 329 लोगों की मौत हो गई थी.
मलिक को कनिष्क बम कांड में सबूतों की कमी के चलते 2005 में बरी कर दिया गया था. 14 जुलाई 2022 को मलिक की ब्रिटिश कोलंबिया में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के दोनों दोषियों में से कोई भी भारतीय मूल के नहीं हैं. उनको 31 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी.
वीडियो: कनाडा के PM ट्रूडो के पास सबूत नहीं, फिर भी भारत से विवाद की असल वजह क्या?