इंडियन स्कॉलर बदर खान सूरी को अमेरिकी कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनके डिपोर्टेशन को रोक दिया है. डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने सूरी पर आरोप लगाया था कि वो ‘हमास का प्रोपेगैंडा’ फैलाते हैं. इस आधार पर पहले उनका वीजा रद्द किया गया और फिर उन्हें डिपोर्ट करने की कार्रवाई शुरू की गई. बदर खान सूरी, वाशिंगटन डीसी की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं. वो यहां एडमंड ए वॉल्श स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस के अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिस्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं.
भारतीय स्कॉलर बदर खान सूरी को डिपोर्ट नहीं कर पाएगी ट्रंप सरकार, इस जज ने लगाई रोक
Badar Khan Suri एक भारतीय स्कॉलर हैं, जिनके पास ग्रीन कार्ड है. अमेरिका के Donald Trump प्रशासन ने सूरी पर Hamas से जुड़े होने का आरोप लगाया है, जिसकी वजह से उन्हें डिपोर्ट किया जा रहा था. हालांकि, कोर्ट ने इस कार्रवाई पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है.

एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, फेडरल जज ने ट्रंप प्रशासन को आदेश दिया है कि वाशिंगटन की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे जिस भारतीय को गिरफ्तार किया गया और उसे डिपोर्ट करने की मांग की गई, उसे डिपोर्ट ना किया जाए. इससे पहले ट्रंप प्रशासन सूरी को अमेरिकी विदेश नीति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में डिपोर्ट करना चाहता था.
सूरी के वकील हसन अहमद ने 18 मार्च को हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी. इस याचिका पर वर्जीनिया के एलेक्जेंड्रिया में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज पैट्रिशिया गिल्स ने तीन पैराग्राफ का आदेश दिया. कोर्ट के अगले आदेश तक सूरी के डिपोर्टेशन पर रोक लगी रहेगी.

बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, बदर खान सूरी ग्रीन कार्ड पर अमेरिका में रह रहे हैं. होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने उन पर फिलिस्तीनी ग्रुप हमास के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया गया है. ऐसा कहा गया है कि सूरी ने सोशल मीडिया पर हमास के प्रोपेगैंडा और यहूदी विरोधी भावना को फैलाया.
सूरी के वकील ने कहा है कि वे इमिग्रेशन कोर्ट में तारीख का इंतजार कर रहे हैं. भारतीय स्कॉलर को सोमवार रात को वर्जीनिया के रॉसलिन में उनके घर के बाहर फेडरल एजेंट्स ने गिरफ्तार किया था.
बदर खान सूरी की शादी फिलिस्तीनी मूल की मेफेज सालेह से हुई है, जो एक अमेरिकी नागरिक हैं. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, सालेह गाजा से हैं और अल जज़ीरा और गाजा में विदेश मंत्रालय के साथ काम करने वाले फिलिस्तीनी मीडिया आउटलेट्स के लिए लिखती रही हैं. सालेह को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
कुछ मीडिया आउटलेट्स ने बताया कि सूरी की पत्नी के पिता अहमद यूसुफ हमास के पूर्व राजनीतिक सलाहकार थे और सूरी को उनकी पत्नी के फिलिस्तीनी जुड़ाव की वजह से निशाना बनाया गया है.
सूरी के वकील ने कोर्ट के फैसला का स्वागत किया है. उन्होंने सूरी को अदालत से मिली राहत को 'उचित प्रक्रिया का पहला हिस्सा' बताया. अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने भी सूरी का बचाव किया और कहा कि उन्हें एलेक्जेंड्रिया, लुइसियाना ले जाने से पहले 'कई इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर में शिफ्ट किया गया' था.
पोलिटिको ने अपनी रिपोर्ट में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता के हवाले से बताया,
“हमें उनके (बदर खान सूरी) किसी भी गैरकानूनी काम में शामिल होने की जानकारी नहीं है, और हमें उसकी हिरासत की कोई वजह भी नहीं मिली है. हम अपनी कम्युनिटी के सदस्यों के आजाद और खुली जांच, विचार-विमर्श और बहस के अधिकारों का समर्थन करते हैं, भले ही उनके विचार मुश्किल, विवादास्पद या आपत्तिजनक हों. हम उम्मीद करते हैं कि कानूनी प्रणाली इस मामले का निष्पक्ष रूप से निपटारा करेगी.”
सूरी का मामला ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों में शामिल विदेशियों को डिपोर्ट करने पर जोर दे रहे हैं. अक्टूबर 2023 में हमास ने अमेरिकी सहयोगी इजरायल पर बड़ा हमला किया था. इसके बाद से चल रहे संघर्ष में इजरायल की कार्रवाइयों का विरोध करने के लिए ये प्रदर्शन हुए.
हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने इन विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की वजह से कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट महमूद खलील को हिरासत में लिया. खलील को लुइसियाना शिफ्ट कर दिया गया है. खलील कानूनी विकल्पों के जरिए अपनी हिरासत का विरोध कर रहे हैं.
इससे पहले अमेरिका ने हमास का समर्थन करने के आरोप में एक अन्य इंडियन स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द किया था. कोलंबिया यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट श्रीनिवासन ने 11 मार्च को कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) होम ऐप का इस्तेमाल करके सेल्फ-डिपोर्ट कर लिया, मतलब खुद से ही भारत आ गईं.
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