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डिलीवरी एजेंट्स को पेंशन और हेल्थ इंश्योरेंस? सरकार कुछ बड़ा करने वाली है

नीति आयोग के अनुसार, भारत में इस समय लगभग 65 लाख गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर हैं. यह संख्या जल्द ही दो करोड़ से अधिक हो सकती है. ऐसे में सरकार इन वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोड स्थापित करने पर काम कर रही है.

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डिलीवरी एजेंट्स के लिए सरकार की बड़ी सौगात(फोटो-reuters)

Amazon, Flipkart, Zomato, Blinkit जैसे तमाम ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले डिलीवरी एजेंट्स के लिए सरकार जल्द ही बड़ा एलान करने वाली है. श्रम मंत्रालय ऐसी नीति का मसौदा तैयार कर रहा है जिससे डिलीवरी एजेंट्स को पेंशन, प्रोविडेंट फंड, हेल्थ इंश्योरेंस जैसी तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. फिलहाल डिलीवरी एजेंट्स को उनकी डिलीवरी पर सिर्फ कुछ रुपये की मजदूरी मिलती है, कोई पेंशन, ग्रेच्युटी या अन्य सामाजिक सुरक्षा नहीं.

हम सब अलग-अलग ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म से शॉपिंग करते हैं. हमारे ऑर्डर को डिलीवर करने वाले 'डिलीवरी बॉय' को 'गिग वर्कर' (Gig Worker) भी कहा जाता है. गिग वर्कर प्रति-प्रोजेक्ट या फ्रीलांस के आधार पर काम करता है. वे एक फुल टाइम कर्मचारी नहीं होते और स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. ऐसे वर्कर को उनके प्रोजेक्ट या डिलीवरी के आधार पर मजदूरी मिलती है. गुरुवार, 17 अक्टूबर को केंद्रीय श्रम मंत्री मनुसख मंडाविया ने इन वर्कर्स से मुलाकात की. उन्होंने X पर लिखा,

‘आज Gig और प्लेटफॉर्म वर्कर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की. इस दौरान प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव साझा किए.’

मनीकंट्रोल की खबर मुताबिक, श्रम मंत्री मनुसख मंडाविया ने घोषणा की है कि उनका मंत्रालय जल्द ही गिग वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा ढांचा लागू करेगा. इसमें राइड-हेलिंग ड्राइवर और डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्टाफ जैसे वर्कर्स को हेल्थ इंश्योरेंस और पेंशन के लाभ दिए जाएंगे. मनसुख मंडाविया ने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि गिग वर्कर्स को उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए. अगले साल फरवरी में जब बजट आएगा, उससे पहले इस ढांचे को पेश किए जाने की उम्मीद है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में इस समय गिग इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है. नीति आयोग के अनुसार, भारत में इस समय लगभग 65 लाख गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर हैं. यह संख्या जल्द ही दो करोड़ से अधिक हो सकती है. ऐसे में सरकार इन वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोड स्थापित करने पर काम कर रही है. इसमें इन वर्कर्स के लिए जीवन और विकलांगता बीमा, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ और वृद्धावस्था सुरक्षा सहित अन्य लाभों की रूपरेखा दी गई है. साथ ही इन योजनाओं को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा फंड स्थापित करने का भी प्रावधान है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इन लाभों के वितरण को सुव्यवस्थित करने के लिए, गिग वर्कर के लिए विशिष्ट पहचान संख्या की योजना भी शुरू कर सकती है. इससे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक उनकी पहुंच आसानी से हो सकेगी. फिलहाल इस क्रम में सभी हितधारकों से सुझाव और बातचीत का दौर जारी है.

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