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जिस केस में महुआ मोइत्रा की सांसदी गई, वो पूरा मामला 8 पॉइंट्स में समझ लीजिए!

15 अक्टूबर को BJP सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाए थे. दो महीने से भी कम समय के अंदर उन्हें दोषी ठहरा कर लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया.

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महुआ मोइत्रा लोकसभा से निष्कासित (फोटो- PTI)

कैश फॉर क्वेरी केस (Cash for Query) में TMC नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. इस पूरे केस की शुरुआत 15 अक्टूबर को हुई थी. BJP सांसद निशिकांत दुबे की एक चिट्ठी के साथ. महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे. देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के भी इल्ज़ाम लगे. आरोपों की जांच हुई और दो महीने से भी कम समय में 8 नवंबर को महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया. इन दो महीने में क्या-क्या हुआ, पॉइंट्स में समझ लेते हैं.

- 15 अक्टूबर को झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखी. आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ससंद में अडानी समूह के खिलाफ सवाल पूछने के लिए बिज़नेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेती हैं. दावा किया कि हीरानंदानी को अडानी ग्रुप की वजह से एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल पाया और बदले में उन्होंने मोइत्रा के जरिए संसद में अडानी को घेरा.

- एक दूसरी चिट्ठी में निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी को अपना लोकसभा वेबसाइट का लॉगिन आईडी-पासवर्ड भी दिया. ताकि उनके फीड किए सवाल संसद में पूछे जाएं. कहा कि ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है. दुबे ने चिट्ठी में बताया कि महुआ के खिलाफ उन्हें ये सबूत सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहादराई ने दिए है.

- इधर, अनंत देहादराई - जो कथित तौर पर महुआ के साथ रिश्ते में थे - उन्होंने भी महुआ के खिलाफ CBI में एक हलफनामा दायर कर दिया.

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- 17 अक्टूबर को महुआ मोइत्रा दिल्ली हाई कोर्ट चली गईं. निशिकांत दुबे, जय अनंत देहादराई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया. महुआ ने दोनों को लीगल नोटिस भी भेजा.

- 19 अक्टूबर को दर्शन हीरानंदानी ने लोकसभा की एथिक्स कमिटी के सामने कथित हलफनामा दर्ज किया. आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से नाम बनाना चाहती थीं. इसलिए उनके दोस्तों और सलाहकारों ने उन्हें PM मोदी और अडानी पर निशाना साधने की सलाह दी. दावा किया कि महुआ मोइत्रा उनसे लग्जरी आइटम्स गिफ्ट के तौर पर मांगती थीं, छुट्टियों और यात्राओं पर होने वाला खर्च भी मांगती थीं.

- महुआ ने हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए. आरोप लगाया कि ये PM दफ़्तर में कुछ 'कम अक्ल' वाले लोगों से तैयार करवाया गया है, जो BJP IT सेल के लिए भी काम करते हैं. इसी बीच महुआ ने ये भी कबूल किया कि उन्होंने अपने लोकसभा पोर्टल का लॉगिन ID और पासवर्ड दर्शन हीरानंदानी को दिया था. सफाई दी कि हीरानंदानी का एक आदमी उस पर केवल सवाल टाइप करता था. हीरानंदानी से दोस्त के तौर पर तीन-चार गिफ्ट्स लेने की बात भी मानी.

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- मामला 15 सदस्यों की एथिक्स कमिटी के पास पहुंचा. कमिटी के चेयरमैन थे भाजपा BJP सांसद विनोद सोनकर. कमिटी की रिपोर्ट 8 दिसंबर को सदस्यों के सामने टेबल की गई.

- एथिक्स कमिटी ने कहा कि महुआ मोइत्रा अपने ‘unethical conduct’ से मामले को भटकाने का प्रयास कर रही थीं. कमिटी ने उनसे पूछा कि वो दुबई कितनी बार गईं और किस होटल में रुकीं? इस पर जवाब देने से महुआ मोइत्रा ने मना कर दिया, बल्कि कमिटी के चेयरमैन को बेहूदा और बेशर्म जैसे अपशब्द कहे. महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किया जाए.

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