महिषासुर हीरो है कि विलेन, यही साबित करने में खोपड़ी फोड़ौव्वल जारी है. लेटेस्ट बयान आया है बीजेपी लीडर उदितराज का. बोले हैं कि हम भी महिषासुर पूजा में शामिल हुए थे एक बार. 2013 का साल था. उस प्रोग्राम का पोस्टर ये है.

और ये देखो पोस्टर JNU वाला. इसमें भी उदितराज को इनवाइट किया गया. पता नहीं पार्टी में कैसी बनती है इनकी.


संसद में HRD मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने इस मुद्दे पर जानदार स्पीच दी थी. कहा कि JNU में देवी दुर्गा को सेक्स वर्कर बता कर महिषासुर की पूजा की जाती है. बहुत आहत करने वाला है ये सब. संसद में ये कहा था उन्होंनेः
" मुझे ईश्वर माफ करें इस बात को पढ़ने के लिए. इसमें लिखा है कि दुर्गा पूजा सबसे ज्यादा विवादास्पद और नस्लवादी त्योहार है. जहां प्रतिमा में खूबसूरत दुर्गा मां को काले रंग के स्थानीय निवासी महिषासुर को मारते दिखाया जाता है. महिषासुर एक बहादुर, स्वाभिमानी नेता था, जिसे आर्यों द्वारा शादी के झांसे में फंसाया गया. उन्होंने एक सेक्स वर्कर का सहारा लिया, जिसका नाम दुर्गा था, जिसने महिषासुर को शादी के लिए आकर्षित किया और 9 दिनों तक सुहागरात मनाने के बाद उसकी हत्या कर दी."
अब इस मुद्दे पॉलिटिक्स दो फाड़ हो गई है. एक तरफ JNU है. जहां महिषासुर की बलैयां ली गईं. पोस्टर लगे. इस तरफ महिषासुर की शहादत दिवस पर बीजेपी नेता उदितराज भी पहुंचते हैं. दूसरी तरफ लोगों की भावनाएं हैं. सरकार की तरफ से सेंट्रल मिनिस्टर स्मृति ईरानी का तमतमाया चेहरा है.
महिषासुर किसका हीरो है देवी दुर्गा की पूजा लगभग पूरे देश में होती है. लेकिन वेस्ट बंगाल का तो मेन त्योहार है ये. उसी प्रदेश में एक जिला है जलपाईगुड़ी. वहां अलीपुरदुआर में माझेरडाबरी चाय के बागान हैं. इन बागानों में रहने वाली जनजाति है असुर. दुर्गापूजा जब तक चलती है, इन लोगों के यहां मातम मनाया जाता है. जिंदा रहने के लिए जित्ता काम जरूरी है बस वो करते हैं. न नए कपड़े पहनते हैं न घर से बाहर आते हैं. सितंबर 2009 में ये रिपोर्ट बीबीसी में छपी थी. ये लोग खुद को महिषासुर की फैमिली का मानते हैं. दुर्गा ने उनके पूर्वज को मार दिया था. इसलिए ये दुर्गापूजा के माहौल में ये हर काम रात में निपटाते हैं. दिन में अफसोस जताने के लिए घर में रहते हैं. इस फैमिली के बुजुर्ग थे दहारू असुर. उन्होंने बतायाः
"महिषासुर स्वर्ग और धरती पर बहुतै ज्यादा ताकतवर राजा था. देवता लोगों की चोक ले गई. कि अगर ये ज्यादा दिन जिंदा रहा तो हमारी पूजा हो जाएगी बंद. इसलिए वो धोखे से उसका कत्ल करा दिए. जिसमें मेन विलेन थी दुर्गा. हमने देवताओं की पूजा बंद करके अपने पूर्वज की पूजा शुरू कर दी. चावल से बनी कच्ची शराब और मुर्गे का मांस चढ़ा कर हम अपने पूर्वज की पूजा करते हैं."
अभी प्रॉब्लम सॉल्व होती नहीं दिख रही है. दलित महिषासुर को अपना देवता मानते हैं. दोनों पक्षों के पास अपनी कहानी है. एक धड़ा इस थ्योरी को मानता है कि जब दलितों को देवी देवताओं और मंदिरों की पूजा में शामिल नहीं किया गया. तब जिन देवी देवताओं को उन्होंने अपने हिस्से में चुना. महिषासुर उनमें से एक है. फॉरवर्ड प्रेस दलित हितोकी रिपोर्टिंग करने वाली मासिक पत्रिका है. उसमें अक्सर महिषासुर से जुड़े हुए राज और विवाद पर बातें होती हैं. आपको ढेर सारी जानकारी मिले इसके लिए हम फॉरवर्ड प्रेस के फेसबुक पेज का लिंक दे रहे हैं. इसको पढ़ो. काम की बात लिखी है इसमें. [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/forward.press.india/photos/a.166909380032647.40561.166306423426276/597017697021811/?type=1&theater"]