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बाल खींच दीवार पर मारा, फिर 4 सेकंड में 12 थप्पड़, स्कूल टीचर का ये वीडियो सोच-समझ कर देखें

क्लास के CCTV कैमरे में जो फुटेज निकली है, उसमें देखा जा सकता है कि आरोपी टीचर अभिषेक छात्र की बांह मरोड़ते हैं, उसके बाल खींचते हैं, फिर उसे दीवार से लड़ा देते हैं. इसके बाद पीड़ित छात्र पर कई थप्पड़ बरसा देते हैं.

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CCTV वीडियो से एक शॉट, और पड़के जाने के बाद दूसरा. (फ़ोटो - सोशल)

अभिषेक पटेल, अहमदाबाद के वटवा में माधव पब्लिक स्कूल में गणित पढ़ाते थे. अब नहीं पढ़ाते क्योंकि उन्हें निलंबित कर दिया गया है और पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है. दरअसल, उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो भरी क्लास के सामने एक छात्र को बेरहमी से पीट रहे थे. 

क्लास के CCTV कैमरे में जो फुटेज निकली है, उसमें देखा जा सकता है कि अभिषेक छात्र की बांह मरोड़ते हैं, उसके बाल खींचते हैं, फिर उसे दीवार से लड़ा देते हैं. जब तक वो अपने को संभालता है, चार सेकेंड में 10-12 थप्पड़ मार देते हैं, और उसे ज़मीन पर गिरा देते हैं.

वीडियो वायरल होने के बाद ज़िला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल के प्रिंसिपल को नोटिस जारी किया कि आरोपी शिक्षक को निलंबित किया जाए. वटवा पुलिस ने पटेल को हिरासत में ले लिया है और उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जा रही है.

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भारत में शारीरिक दंड देना ग़ैरक़ानूनी है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 17 के तहत, पूरी तरह से प्रतिबंध है. ‘शारीरिक दंड’ और ‘मानसिक उत्पीड़न’ पर सज़ा का प्रावधान है. पांच साल की जेल या पांच लाख का हर्ज़ाना. अगर बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम हो, तो दस साल की जेल. 

छात्रों को पीटना जुवैनाइल जस्टिस ऐक्ट, 2015 के तहत भी अवैध है. सुप्रीम कोर्ट तक ने साल 2000 में सभी शैक्षणिक संस्थानों में दंड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन आज भी देशभर के स्कूलों में बच्चों को ‘अनुशासित’ करने के नाम पर शिक्षक उन्हें बुरी तरह पीटते हैं. ‘ओल्ड-स्कूल’ शिक्षा धारा के पैरोकार पीटने को अब भी शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा मानते हैं.

हाल ही में हुई एक सुनवाई में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल में बच्चों को अनुशासित करने के नाम पर शारीरिक हिंसा का इस्तेमाल करना क्रूरता है, और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत, बच्चे के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.

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