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उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना ने दिया सबक, निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट कराएगा NHAI

देश भर में फिलहाल NHAI जितनी सुरंगें बना रहा है, उनकी लंबाई कुल 79 किमी है. इनमें सबसे ज्यादा 12 सुरंगें हिमाचल प्रदेश में बनाई जा रही हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर जम्मू-कश्मीर है. NHAI यहां 6 सुरंगें बना रहा है.

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उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग ढहने की दुर्घटना को 10 दिनों से ज्यादा का समय हो चुका है. (फोटो क्रेडिट - एएफपी)

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में पिछले 10 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को जल्दी ही बाहर निकाले जाने की बात की जा रही है (Uttarkashi tunnel accident updates). कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मजदूरों तक पहुंचने में अब केवल 18 मीटर के मलबे को हटाना रह गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि ये काम कल तक पूरा कर लीजिएगा. इस बीच नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक जरूरी फैसला लिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, NHAI देश भर में बन रहीं सभी 29 सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करने जा रहा है. NHAI के अध्यक्ष संतोष यादव ने अधिकारियों को जल्द से जल्द सुरक्षा ऑडिट करने का आदेश दिया है. इसके लिए वे स्थानीय अधिकारियों, परियोजना निदेशकों और स्वतंत्र सलाहकारों की मदद ले सकते हैं.

देश भर में फिलहाल NHAI जितनी सुरंगें बना रहा है, उनकी लंबाई कुल 79 किमी है. इनमें सबसे ज्यादा 12 सुरंगें हिमाचल प्रदेश में बनाई जा रही हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर जम्मू-कश्मीर है. NHAI यहां 6 सुरंगें बना रहा है. उत्तरकाशी में हुई दुर्घटना से पहले जम्मू-कश्मीर में बनाई जा रही सुरंगों में भी गुफाएं ढहने की घटनाएं हुई थीं.

पूरी हो चुकी सुरंगों का भी ऑडिट

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि NHAI पहले चरण में बनाई जा रही सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करेगा. इसके बाद दूसरे चरण में पूरी हो चुकी सुरंगों का भी सुरक्षा ऑडिट किया जाएगा. सुरंग बनाए जाने के प्लान और पैमाने पर सरकार को क्या दोबारा गौर करने की जरूरत है, इस सवाल पर सड़क परिवहन और राज्यमार्ग सचिव अनुराग जैन ने बताया कि सभी सुरंगों के लिए SOPs लागू हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार इस पर विचार करेगी.

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उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग की दुर्घटना के बाद कई विशेषज्ञों ने इसकी सुरक्षा पर चिंता जताई हैं. उनका कहना है कि लंबी सुरंग बनाए जाने पर इस्केप टनल्स भी बनाई जानी चाहिए. ये मुख्य सुरंग के बराबर उसके बगल में ही बनाई जाती है. किसी दुर्घटना या अनहोनी के समय ये लोगों को बाहर निकालने के काम आती है. इसके साथ ही विशेषज्ञों ने ये भी कहा कि जो पहाड़ी इलाके कमजोर कैटेगरी में होते हैं, वहां ज्यादा मदद दी जानी चाहिए.

वहीं, भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत में सुरंग बनाए जाने पर ज्यादातर सुरक्षा और बताए गए उपायों को नजरअंदाज कर दिया जाता है. उत्तरकाशी के जिस इलाके में सुरंग बनाई जा रही थी वो फ्रेजाइल यानी नाजुक इलाका था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यहां की चट्टानें थोड़ी कमजोर थीं. वेंटिलेशन की कमी के चलते मजदूरों को यहां दूषित वातावरण का सामना करना पड़ा.

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वीडियो: उत्तरकाशी की सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों के पहले CCTV फुटेज में क्या नज़र आया?