The Lallantop

Aditya L1 के लिए ISRO ने किन-किन देशों से कहा, साथी हाथ बढ़ाना...

Aditya L1 मिशन में भारत को कहां-कहां से मदद मिल रही? ESA ने बहुत बड़ा काम आसान कर दिया

post-main-image
ESA ने कैसे की भारत की मदद? (साभार - ESA)

Aditya L1 मिशन के माध्यम से भारत सूरज पर स्टडी करने जा रहा है. मिशन शनिवार, 2 सितंबर को लॉन्च हो गया. इस मिशन में 22 देशों की एक स्पेस एजेंसी ने भारत की बड़ी मदद की है. नाम है- European Space Agency (ESA). PSLV-C57 के साथ लॉन्च किए गए इस मिशन को लेकर ESA ने अपनी वेबसाइट पर काफी कुछ बताया है. ESA के मुताबिक वो दो तरीकों से Aditya L1 मिशन को सफल बनाने में जुटा हुआ है.

ESA भारत और ISRO को डीप स्पेस कम्युनिकेशन सर्विस दे रहा है. ESA के सर्विस मैनेजर रमेश चेल्लाथुराई बताते हैं,

'ESA का डीप स्पेस में ट्रैकिंग स्टेशनों का वैश्विक नेटवर्क है. हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीकी मानकों का उपयोग करते हैं. इसकी मदद से ही हम अपने सहयोगियों के सैटेलाइट अंतरिक्ष में लगभग कहीं भी ट्रैक कर सकते हैं. हमें इन सैटेलाइट से डेटा भी मिलता रहता है.'

ये तो था ESA का नेटवर्क. अब मदद कैसे की, ये जान लीजिए. रमेश बताते हैं,

'आदित्य-L1 मिशन के लिए हम ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और अर्जेंटीना में अपने 35 मीटर गहरे अंतरिक्ष एंटेना का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही इस मिशन को फ्रेंच गुयाना और यूके में गोनहिली अर्थ स्टेशन से भी सपोर्ट दिया जा रहा है.'

ESA Aditya L1 के लिए ग्राउंड स्टेशन की सेवाएं दे रहा है. ESA के स्टेशन्स शुरू से अंत तक इस मिशन को सपोर्ट करेंगे. लॉन्च से लेकर L1 पॉइंट तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया को ESA के ग्राउंड स्टेशन्स से ही ट्रैक किया जाएगा.

और किसकी मदद मिली?

एक और कंपनी है, जिसने इस प्रोजेक्ट में योगदान दिया है. नाम है लार्सन और टूब्रो (L&T). इस कंपनी ने चंद्रयान 3 प्रोजेक्ट के लिए भी अहम इक्विपमेंट तैयार किया था. हिंदू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक L&T हीट शील्ड और रॉकेट के हार्डवेयर सहित कई और चीज़ें भी बनाती है. L&T ने इस मिशन पर क्रू के लिए एक नया मॉड्यूल बनाया है. कंपनी ने क्रू के बाहर निकलने का सिस्टम भी तैयार किया है. 

वीडियो: चंद्रयान 3 लैंडिंग के बाद ISRO चीफ के RSS दफ्तर पहुंचने के पीछे का सच क्या है?