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'ये पूरी तरह से धोखा है', अधीर रंजन ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए बनी कमेटी में शामिल नहीं होने पर ऐसा क्यों कहा?

आम आदमी पार्टी ने भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी इस कमिटी को 'डमी कमेटी' बताया है.

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अधीर रंजन चौधरी ने अमित शाह को लिखा पत्र (फोटो- PTI)

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (One Nation, One Election) के लिए बनी कमेटी का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. ये फैसला उन्होंने कमेटी के सदस्यों का नाम आने के कुछ घंटों के भीतर ही ले लिया. चौधरी ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को पत्र लिखकर इस कमेटी को पूरी तरह से ‘धोखा’ बताया है. केंद्र सरकार ने 2 सितंबर को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए कमेटी का गठन किया था. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस 8 सदस्यीय कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह और अधीर रंजन चौधरी को भी शामिल किया गया था.

अधीर रंजन लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता हैं. उन्होंने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा,

''मुझे अभी मीडिया के माध्यम से पता चला है कि मुझे 'एक देश-एक चुनाव' के लिए गठित कमेटी के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है. मुझे इस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, मुझे आशंका है कि यह पूरी तरह से धोखा है.''

अधीर रंजन ने आगे लिखा,

‘’इसके अलावा, मुझे पता चला कि राज्यसभा में मौजूदा विपक्ष के नेता (LOP) को बाहर कर दिया गया है. यह एक संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था का जानबूझकर अपमान है. इन परिस्थितियों में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.''

AAP ने भी कमेटी पर उठाए सवाल

वहीं आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इस कमेटी पर सवाल उठाया और इसे एक ‘डमी कमेटी’ बताया है. संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा,

‘’वन नेशन वन इलेक्शन पर मोदी सरकार की कमेटी 'डमी कमेटी' है. राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को इस कमेटी में न रखना उनका घोर अपमान है. इस कमेटी का कोई औचित्य नहीं है. विपक्षी गठबंधन INDIA से घबराए मोदी जी (वन नेशन वन इलेक्शन) के नाम पर नक़ली बहस चला रहे हैं.''

कमेटी में 8 लोग हुए शामिल

इससे पहले कानून मंत्रालय ने 2 सितंबर को को 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए कमेटी के सदस्यों के नाम की घोषणा की. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा कमिटी में गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आज़ाद, फाइनेंस कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल हैं. 

क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’?

‘एक देश, एक चुनाव’ का मतलब है कि देश में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं. 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को लेकर देश में काफी समय से बहस चल रही है. इसी साल जनवरी में लॉ कमीशन ने इसको लेकर राजनीतिक दलों से छह सवालों के जवाब मांगे थे. ‘एक देश, एक चुनाव’ के समर्थन और विरोध में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं. इस बिल के समर्थन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे चुनाव में होने वाले करोड़ों रुपये के खर्च बचाए जा सकते हैं.

'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मुद्दा तब सामने आया है, जब सरकार ने संसद का एक विशेष सत्र बुलाया है. अटकलें हैं कि इस सत्र में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर चर्चा हो सकती है और कई महत्वपूर्ण बिल लाए जा सकते हैं. लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों ने 2 सितंबर को बताया कि इस सत्र के दौरान प्रश्न काल नहीं होंगे.

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