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आधार डेटा ब्लैक मार्केट में बिकने की रिपोर्ट पर सरकार क्या कर रही है? मंत्री ने बताया

रिपोर्ट आई कि 80 करोड़ से अधिक भारतीयों की निजी जानकारी लीक हो गई है, जिसे डार्क वेब पर बेचा जा रहा है. इस पर मोदी सरकार क्या कर रही है, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया है.

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (फाइल फोटो: PTI)

डार्क वेब पर 80 करोड़ से अधिक भारतीयों की निजी जानकारी लीक होने की रिपोर्ट पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी का जवाब आया है. बताया गया है कि नाम और फोन, आधार (Aadhaar) और पासपोर्ट (Passport) नंबर लीक होने के दावों की जांच कराई जा रही है. ये जांच सरकार की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT) कर रही है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ये जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने दी है.

क्या बोले IT राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर?

रिपोर्ट के मुताबिक राजीव चंद्रशेखर ने ये साफ नहीं किया है कि कथित डेटा चोरी कितनी बड़ी है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि सरकार लोगों की निजी जानकारियों की सुरक्षा के लिए काम कर रही है. ताकि लोगों की निजी जानकारियां 'बुलेट प्रूफ' टाइप सुरक्षा में रहें, चाहे वो जानकारियां केंद्र या राज्य सरकारों ने प्रशासनिक कामों के लिए जुटाई हों या व्यवसायों ने व्यावसायिक कारणों से जुटाया हो.

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राजीव चंद्रशेखर ने 31 अक्टूबर की शाम NDTV से कहा,

"(ये) ऐसा कुछ नहीं है, जिससे मैं बहुत खुश हूं...लेकिन CERT जांच कर रही है. मुझे अभी भी बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है. बस इतना पता चला है कि कथित तौर पर ये डेटा चोरी हुई है."

उन्होंने आगे कहा,

“डेटा चोरी किस मात्रा में हुई है? मुझे इस बात की जानकारी नहीं है. इसलिए मैं अटकलें नहीं लगाना चाहता. CERT इसकी जांच कर रही है...ये समझने के लिए क्या लीक हुआ, कहां लीक हुआ और इसकी क्या वजह रही...”

उन्होंने कहा कि CERT की रिपोर्ट आने तक इंतजार करना होगा.

US की कंपनी का दावा- ‘भारतीयों का डेटा लीक’

भारतीयों की आधार और पासपोर्ट संबंधी निजी जानकारियां डार्क वेब पर बेचे जाने का दावा एक अमेरिकी कंपनी ने किया है. अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी कंपनी रिसिक्योरिटी (Resecurity) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 81.5 करोड़ भारतीयों की निजी जानकारियां डार्क वेब पर बेची जा रही हैं.

रिपोर्ट  के मुताबिक 'pwn0001' नाम के एक हैकर ने इस डेटाबेस को 80 हजार डॉलर यानी लगभग 66.5 लाख रुपये में बेचने का प्रस्ताव रखा था. डार्क वेब पर खरीद-बिक्री के लिए उपलब्ध डेटाबेस में कोविड-19 (COVID-19) टेस्ट से जुड़े डेटा होने की भी बात कही गई है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह डेटा लीक ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के डेटाबेस से हुई है. इसे भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा डेटा लीक कहा जा रहा है.

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