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सीवर, सेप्टिक टैंक साफ करने वालों में 92 फ़ीसदी पिछड़ा और दलित समुदाय से, सरकारी आंकड़ों से पता चली हकीकत

NAMASTE Programme के तहत सरकार सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों की प्रोफ़ाइलिंग कर रही है. इस प्रोफ़ाइलिंग के मुताबिक़, 68.9% SC, 14.7% OBC, 8.3% ST और 8% सामान्य वर्ग के लोग इन काम में लगे हैं.

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NAMASTE प्रोग्राम के तहत इन कर्मचारियों की प्रोफ़ाइलिंग की जा रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर - PTI)

भारत के शहरों और कस्बों में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई में लगे 91.9 फ़ीसदी लोग अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से हैं. ये आंकड़े 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3,000 से ज़्यादा शहरी स्थानीय निकायों के हैं. 38,000 श्रमिकों की प्रोफ़ाइलिंग से ये डेटा निकला है. सरकारी आंकड़ों से ही ये डेटा इकट्ठा किया गया है.

द हिंदू अखबार से जुड़े अभिनय लक्ष्मण की रिपोर्ट के मुताबिक़, 38,000 श्रमिकों की प्रोफ़ाइलिंग की गई. इस प्रोफ़ाइलिंग से पता चला कि इनमें 68.9% SC, 14.7% OBC, 8.3% ST और 8% सामान्य वर्ग से थे. संसद में पेश सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, 2019 से 2023 के बीच देश भर में कम से कम 377 लोगों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई से हुई है.

NAMASTE programme

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नमस्ते प्रोग्राम (NAMASTE programme) के तहत सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों (SSW) की प्रोफ़ाइलिंग कर रही है. पूरा नाम- National Action for Mechanized Sanitation Ecosystem. ये कार्यक्रम सीवर के सभी कामों को मशीन के ज़रिए करने और खतरनाक सफाई के काम से होने वाली मौतों को रोकने की प्लानिंग के तहत लाया गया. 2023-24 में, इस योजना को मैनुअल स्कैवेंजर्स (हाथ से मैला ढोने वाले) के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना यानी Self-Employment Scheme for Rehabilitation of Manual Scavengers (SRMS) की जगह लाया गया था.

हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़, मंत्रालय का कहना है कि नमस्ते कार्यक्रम का लक्ष्य सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई से सीधे जुड़े कर्मचारियों की जानकारियां इकट्ठा करना है. इन कर्मचारियों की पहचान करना, उन्हें सेफ़्टी ट्रेनिंग और और उपकरण देना और पूंजीगत सब्सिडी देना है. जिससे सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों को सुविधा हो और वो स्वच्छता उद्यमी बन सकें. इन कर्मचारियों में डीस्लजिंग वाहनों के ड्राइवर, हेल्पर, मशीन ऑपरेटर और क्लीनर शामिल हैं.

कितना काम बाक़ी?

जब ये योजना (NAMASTE programme) शुरू हुई है, तब से 3,326 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) ने इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. क़रीब 38,000 सेप्टिक टैंक कर्मचारियों की प्रोफाइलिंग की गई है. वहीं, 283 शहरी स्थानीय निकायों में एक भी सेप्टिक टैंक कर्मचारी नहीं हैं. 2,364 शहरी स्थानीय निकायों में 10 से कम सेप्टिक टैंक कर्मचारी हैं.

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SRMS के आंकड़े

बता दें, सेल्फ़ इम्प्लॉयमेंट स्कीम फ़ॉर रिहैबिलिटेशन ऑफ़ मैनुअल स्कैवेन्जर्स स्कीम (SRMS) के तहत सरकार ने 2018 तक 58,098 मैला ढोने वालों (Manual Scavengers) की पहचान की थी. सरकार ने बताया कि पहचाने गए मैनुअल स्कैवेंजर्स में से 43,797 के सामाजिक श्रेणियों के बारे में उसके पास डेटा है. उस डेटा से पता चला कि उनमें से 97.2% SC समुदाय से थे. ST, OBC और अन्य की हिस्सेदारी लगभग 1-1% बताई गई.

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