The Lallantop

तारा फटता है तो कुछ नहीं बचता, लेकिन 800 साल पहले फटे इस तारे में मिला 'जॉम्बी स्टार'!

बरसों तक SN-1181 ने वैज्ञानिकों को उलझाए रखा, क्योंकि वे इसके अवशेषों के बारे में ज़्यादा पता लगा नहीं पा रहे थे. अब जाकर शोधकर्ताओं को नई जानकारी मिली है.

post-main-image
दूरबीन के आविष्कार से पहले SN-1181 मिल गया था. (फ़ोटो - SciTechDaily.com)

आठ सौ साल पहले - 1181 में - आसमान में एक असामान्य तारा दिखाई दिया. रात और दिन चमकता था. गेस्ट स्टार. अंधेरे में ग़ायब हो जाने से पहले छह महीने तक चमकता रहा. चीन और जापान के खगोलविदों ने इस घटना का अध्ययन किया और इस प्रक्रिया को SN 1181 का नाम दिया. बरसों तक SN-1181 ने वैज्ञानिकों को उलझाए रखा, क्योंकि वे इसके अवशेषों के बारे में ज़्यादा पता लगा नहीं पा रहे थे. अब जाकर शोधकर्ताओं को इस ब्रह्मांडीय विस्फोट और इसके ग़ैर-मामूली अवशेष के बारे में नई जानकारी मिली है.

हवाई में एक हाई-टेक केक कॉस्मिक वेब इमेजर के इस्तेमाल से टिम कनिंघम और इलारिया कैयाज़ो की टीम ने सुपरनोवा अवशेष का एक 3D मानचित्र बनाया. नेबुला के केंद्र में उन्होंने जो पाया, वो चौंकाने वाला है. 

ऐसा क्या मिल गया है?

जब कोई तारा अपने जीवन के अंत तक पहुंच जाता है, तब एक बड़ा विस्फोट होता है. इसे कहते हैं, सुपरनोवा. अमूमन तारों के फटने पर कुछ बचता नहीं. मगर SN-1181 के केस में खगोलविदों को कुछ अलग ही मिला — एक दुर्लभ ‘ज़ॉम्बी स्टार’. एक वाइट ड्वॉर्फ़ स्टार, जो विस्फोट से बच गया.

supernova
नासा के चंद्रा एंड XMM-न्यूटन स्पेस टेलिस्कोप्स से ली गई सुपरनोवा 1181 की एक तस्वीर.

सामान्यतः एक सुपरनोवा के बाद वाइट ड्वॉर्फ़ बचते ही नहीं, मगर SN-1181 में ऐसा हुआ. एक अद्वितीय सुपरनोवा (Iax Supernova), जो केवल आंशिक रूप से फटा. इसी वजह से इसके पीछे एक अनोखा अवशेष छूट गया. यह अवशेष आकाशगंगा में सबसे गर्म चीज़ों में से एक है. तापमान लगभग दो लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है.

यह भी पढ़ें - क्या ध्रुव तारा मर चुका है? जिसे हम देखते हैं, असल में वो अब नहीं है?

SN-1181 के 3D मानचित्र से दिखता है कि सुपरनोवा के हिस्से (फ़िलामेंट्स) विस्फोट के केंद्र से दूर जा रहे हैं. बहुत तेज़ गति से – 1,000 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से. चूंकि यह गति स्थिर रही है, इसलिए वैज्ञानिक विस्फोट का समय पता लगाने में सक्षम थे. इससे पुष्टि हुई कि साल 1181 के आसपास यह विस्फोट हुआ होगा.

उन्हें यह भी दिखा कि सुपरनोवा का अवशेष बराबर से नहीं फैला था. यह बताता है कि विस्फोट असंतुलित था. इस खोज से सुपरनोवा के मान्य तरीक़े पर बहस छिड़ जाती है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि अधिकतर सुपरनोवा सममित (Symmetrical- जिसके दोनों आधे अंश एक जैसे हों) होते हैं.

जैसे-जैसे खगोलविद SN-1181 के रहस्यों की गहराई में उतर रहे हैं, इससे तारों की हमारी समझ, उनके जीने-मरने की प्रक्रिया के बारे में हमारी जानकारी बदल सकती है. इस खोज से पता चलता है कि तारे अप्रत्याशित चीज़ें पीछे छोड़ सकते हैं, जैसे कि इस सुपरनोवा से बचने वाला ‘ज़ॉम्बी स्टार’. 

ब्रह्मांड में कई रहस्य हैं. रहस्यों को मालूम नहीं होगा कि आदमी रहस्यों को कितनी सीरियसली लेता है. आदमी को लगता है हर ख़ज़ाना खोजे जाने की प्रतीक्षा में है. रहस्यों को कुछ नहीं लगता.

वीडियो: तारीख: स्पेस में चलने वाली पेन काम कैसे करती है? क्यों खर्च करने पड़े करोड़ों रूपए?