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ट्रंप की जीत के बाद सेक्स ना करने की कसमें खा रहीं महिलाएं, अमेरिका में चल रहा ये 4B Movement क्या है?

US elections 2024 में Donald Trump की जीत के लिए अमेरिकी महिलाएं पुरुषों को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं. महिलाएं ट्रंप के सत्ता में आने से चिंतित हैं. चुनाव के दौरान भी डेमोक्रेटिक उम्मीवार Kamala Harris ने ट्रंप की नारी-विरोधी इमेज का ख़ूब ज़िक्र किया था.

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4B movement अमेरिकी महिलाओं के बीच जोर पकड़ता जा रहा है. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना वहां की कई महिलाओं को रास नहीं आ रहा है. हज़ारों महिलाएं अमेरिका के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन कर रही हैं. वो ट्रंप की जीत के लिए पुरुषों को ‘दोषी’ ठहरा रही हैं और 4B आंदोलन में शामिल हो रही हैं. ऐसा आंदोलन, जिसमें महिलाएं इस जीत का बदला लेने और विरोध के तौर पर सेक्स न करने, रिश्ते न बनाने, शादी न करने और बच्चे न पैदा करने की कसमें खा रही हैं. हालिया दिनों में 4B मूवमेंट अमेरिका में (4B movement US women) ट्रेंड कर रहा है. इस आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना है कि ट्रंप महिला विरोधी हैं. वो गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म करने के समर्थक हैं.

महिलाओं का विरोध प्रदर्शन

अमेरिका के न्यूयॉर्क और सिएटल समेत कई बड़े शहरों में महिलाओं ने ट्रंप की जीत के ख़िलाफ प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि ट्रंप पहले भी प्रजनन अधिकारों के ख़िलाफ़ धमकियां दे चुके हैं. प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि वो इस बात से निराश हैं कि युवकों ने ऐसे उम्मीदवार को वोट दिया, जो उनकी शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान नहीं करता. चुनाव के दौरान भी डेमोक्रेटिक उम्मीवार कमला हैरिस ने ट्रंप की ‘नारी-विरोधी इमेज’ का ख़ूब ज़िक्र किया था. अब महिलाएं सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर विरोध जता रही हैं. इसके लिए उन्होंने 4B का सहारा लेना चुना है.

4B Movement

4B की शुरुआत दक्षिण कोरिया से हुई थी. कोरियाई भाषा में B का अर्थ होता है- ‘नहीं’ (No). 4B नाम, B से शुरू होने वाले 4 शब्दों से बना है. वो शब्द हैं- बिहोन(Bihon) यानी विषमलैंगिक विवाह नहीं, बिचुलसन(Bichulsan) यानी कोई संतान नहीं, बियोनाए(Biyeonae) यानी कोई डेटिंग नहीं और बिसेकसेउ(Bisekseu) यानी कोई विषमलैंगिक यौन संबंध नहीं.

South Korea में 4B movement क्यों उभरा?

ये आंदोलन मीटू और 'कोर्सेट से बचो' आंदोलनों के बाद दक्षिण कोरिया में आया. बताया जाता है कि दक्षिण कोरियाई समाज में पुरुष हिंसा के स्तर से महिलाएं तंग आ चुकी हैं. 2018 की एक रिपोर्ट बताती है कि बीते नौ सालों में दक्षिण कोरिया में कम से कम 824 महिलाओं की हत्या कर दी गई और 602 महिलाओं को उनके पार्टनर के हाथों हिंसा के कारण मौत का खतरा था.

कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में मानव विज्ञान विभाग की प्रोफ़ेसर आयो वाह्लबर्ग ने अल जजीरा को बताया कि बच्चों की देखभाल और घर के कामों के साथ-साथ बुजुर्गों की देखभाल की ज़िम्मेदारी आमतौर पर महिलाओं के कंधों पर होती है. लेकिन, बढ़ती महंगाई के साथ, महिलाओं के पास घर से बाहर काम करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता. मतलब, उनकी ज़िम्मेदारियां दोगुनी हो जाती हैं.

इससे महिलाएं बच्चे पैदा करने की संभावना को ख़त्म करना चाहती हैं. दक्षिण कोरिया में जन्म दर में तेज़ी से गिरावट जारी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 2023 में देश में कुल जन्म दर 0.8 प्रतिशत घटी है. ऐसे में दक्षिण कोरिया में कम जन्म दर को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है.

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महिलाएं क्यों नाराज़ हैं?

CNN एग्जिट पोल में बताया गया कि ट्रंप को महिलाओं के 46 प्रतिशत वोट मिले, जबकि हैरिस को 54 प्रतिशत. हैरिस को पुरुषों के मात्र 43.5 प्रतिशत वोट मिले और ट्रंप को 56.5 प्रतिशत. ट्रंप की जीत में जिन मुद्दों ने काम किया, उसमें गर्भपात भी एक बड़ा मुद्दा था. जून 2022 में जब अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात का संवैधानिक अधिकार ख़त्म किया, तो ट्रंप ने इस फ़ैसले का स्वागत किया. इस कारण ट्रंप की आलोचना भी हुई.

हालिया चुनाव में कमला हैरिस ने इसके नाम पर वोट मांगे. प्रेजिडेंशियल डिबेट में ट्रंप को घेरने की भी कोशिश की. कई राज्यों में ये मुद्दा सबसे ऊपर रहा है. कई बार, अलग-अलग मंचों पर ट्रंप ‘महिला विरोधी’ बयान भी दे चुके हैं.

वीडियो: दिया मिर्ज़ा ने बताया मीटू में हिस्सा लेने वाली महिलाओं को एक बात क्या ध्यान रखना चाहिए