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यूपी के फर्रुखाबाद में गोरखपुर पार्ट-2 हुआ है

एक महीने में 49 बच्चों की मौत हो गई है, जिसके बाद सीएमओ, सीएमएस और कई डॉक्टरों पर केस दर्ज करवाया गया है.

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फर्रुखाबाद में मासूम बच्चों की हो रही है मौत.
उत्तर प्रदेश का एक जिला है फर्रुखाबाद. यहां 90 के दशक में देश का सबसे बड़ा पॉलिटिकल मर्डर हुआ था. मरने वाले का नाम था ब्रह्मदत्त द्विवेदी, जिसे यूपी का अगला मुख्यमंत्री माना जा रहा था. 10 फरवरी 1997 को जब हत्या हुई तो उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण अाडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज छोटे से शहर फर्रुखाबाद पहुंच गए. पूरे दिन वहां के आसमान पर हेलिकॉप्टर मंडराते रहे. उसके बाद से ही ये जिला देश में चर्चा का विषय बन गया. इस जिले की चर्चा तब भी हुई, जब यहां के कांग्रेस सांसद सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद पर एनजीओ के जरिए 70 लाख रुपये के घपले का आरोप लगा.
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फर्रुखाबाद के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक महीने में 49 नवजात की मौत हुई है. (फोटो: india.com)


आज ये जिला फिर से चर्चा में है. वजह ये है कि यहां पर 'गोरखपुर' दोहराया गया है. यहां के लोहिया अस्पताल में पिछले एक महीने के दौरान 49 बच्चों की मौत हो गई है. वजह गोरखपुर कांड जैसी ही बताई जा रही है. ऑक्सीजन की कमी. सरकार भी गोरखपुर कांड जैसा ही बयान दे रही है कि मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई है. कार्रवाई भी गोरखपुर कांड जैसी ही है. फर्रुखाबाद के डीएम, सीएमओ (मुख्य चिकित्साधिकारी ) और जिला महिला अस्पताल की सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) के ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए हैं.

हर 14 घंटे में मरता है एक बच्चा

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30 अगस्त को डीएम की जांच में अस्पताल में कई खामियां मिली थीं. (फोटो: ANI)


डीएम रवींद्र कुमार ने 30 अगस्त को लोहिया के एसएनसीयू वॉर्ड का दौरा किया था. ये वो वॉर्ड है, जहां तुरंत पैदा हुए बच्चों को हालत खराब होने पर भर्ती करवाया जाता है. उन्हें बताया गया कि 20 जुलाई से 20 अगस्त के बीच बीमारी की वजह से 49 बच्चों की मौत हो गई है. हालांकि घरवालों ने कहा कि बच्चों की मौत बीमारी की वजह से नहीं, ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है. इससे पहले भी स्थानीय मीडिया ने रिपोर्ट की थी कि इस अस्पताल में हर 14 घंटे में एक नवजात की मौत हो रही है.

सीएमओ की जांच खारिज कर दी थी डीएम ने

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सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से कई डॉक्टरों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज करवाया गया है.


मामला सामने आने के बाद डीएम रवींद्र कुमार ने सीएमओ उमाकांत पांडेय से जांच करवाई. रिजल्ट ठीक नहीं मिला तो एसडीएम जयनेंद्र जैन से मजिस्ट्रेटी जांच करवाई. जयनेंद्र जैन ने कई खामियां पाईं. 3 सितंबर 2017 को उन्होंने नगर कोतवाली पुलिस में तहरीर दी, जिसमें लिखा था कि बच्चों की मौत बीमारी की वजह से नहीं, ऑक्सीजन की कमी और दवाएं देने में लापरवाही बरतने की वजह से हुई है. इसलिए जिम्मेदारों पर केस दर्ज करवाया जाए. फर्रुखाबाद के पुलिस कप्तान (एसपी) दयानंद पांडेय ने बताया कि सीएमओ उमाकांत पांडेय, लोहिया अस्पताल के सीएमएस बीपी पुष्कर के साथ ही एक और डॉक्टर के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है.

स्वास्थ्य मंत्री ने खारिज की रिपोर्ट

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यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि मौतें ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई हैं.


उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बच्चों की मौत पर कहा है कि एसडीएम की जांच रिपोर्ट को गलत तरीके से लिया गया है. मौतों का आंकड़ा पिछले एक महीने का है.

अधिकारियों को हटाया, ताकि जांच सही हो

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प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने भी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है.


प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी ने भी डीएम की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि ऑक्सीजन की वजह से मौत की खबर और जांच गलत है. तीनों अधिकारियों को इसलिए हटाया गया है, ताकि जांच सही हो सके. मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य निदेशक के अंडर टीम गठित की गई है, जो आगे की जांच करेगी.


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