आपने 'मुन्नाभाई MBBS' देखी होगी. उसमें मुन्नाभाई, एक डॉक्टर को धमकी देकर अपनी जगह एंट्रेंस एग्जाम में बैठा देता है. वो नकली मुन्नाभाई बनकर एंट्रेंस टेस्ट देता है और असल मुन्नाभाई को MBBS में एडमिशन दिला देता है. ये फिल्मी किस्सा असल जिंदगी में भी देखने को मिल रहा है. वो भी MBBS और अन्य मेडिकल एडमिशन के लिए होने वाली परीक्षा में. जी, हम NEET की बात कर रहे हैं.
यूपी: NEET में हो रही इस धांधलेबाजी को जान 'मुन्नाभाई' भी शरमा जाएगा!
कैंडिडेट कोई और, पेपर देने वाला कोई और!
NEET यानी National Eligibility cum Entrance Test में मुन्नाभाई वाली धांधली की खबर सुर्खियों में है. यूपी और राजस्थान में कई मेडिकल छात्र किसी और कैंडिडेट के लिए नीट परीक्षा देते पकड़े गए हैं.
ये भी पढ़ें: राजस्थान NEET पेपर लीक: डमी कैंडिडेट बन एग्जाम दे रहे मेडिकल छात्र, सरकारी ऑफिसर निकला सरगना
आजतक संवाददाता संतोष कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार 12 सितंबर को हुई नीट परीक्षा में सॉल्वर गैंग सक्रिय था. वाराणसी पुलिस को NEET एग्जाम में गड़बड़ी होने का इनपुट मिला था. इस आधार पर उसने बीएचयू से बीडीएस सेकंड ईयर की एक छात्रा जूली को गिरफ्तार किया. जूली के साथ उसकी मां बबीता को भी गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का दावा है कि अपने बेटे अभय के कहने पर बबीता ने सॉल्वर गैंग से 5 लाख रुपये लिए थे और जूली को त्रिपुरा की रहने वाली हिना बिस्वास की जगह नीट परीक्षा में बिठाया था. पुलिस ने इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है.
इस तरह काम करता है सॉल्वर गैंग
जांच के दौरान पुलिस को चौंकाने वाली बातें पता चली हैं. आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि सॉल्वर गैंग की 3 टीमें हैं. इनमें से 1 टीम वो है जो मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे उन छात्रों की लिस्ट तैयार करती है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. ये वो छात्र होते हैं जिनको नीट परीक्षा में अच्छे अंक मिले होते हैं और इन्हें मेडिकल में एडमिशन लिए 1 या 2 साल ही हुए होते हैं.
वाराणसी पुलिस ने जिस छात्रा को पकड़ा वो भी गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है. उसके पिता पटना में सब्जी की दुकान लगाते हैं. दो साल पहले जूली को नीट परीक्षा में 520 नंबर मिले थे. पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले वो बीडीएस कर रही थी.
एडमिट कार्ड में कोई फोटो से सच का अंदाजा नहीं लगा सकता. फोटो- आजतक
सॉल्वर गैंग की टीम नंबर 2 उन छात्रों की लिस्ट बनाती है जो नीट पास नहीं कर पा रहे हैं और इसके लिए पैसे दे सकते हैं. और टीम नंबर 3 एक बेहद अहम काम करती है. पैसा देने वाले छात्र और सॉल्वर बनने को तैयार छात्र की जोड़ी बनाना. लड़के की जगह लड़का और लड़की की जगह लड़की. चेहरा और मोहरा मिलता-जुलता सा. मतलब दोनों की फोटो लेना और उन दोनों के चेहरों को मिलाकर एक हाईब्रिड फोटो तैयार करना. ये हाईब्रिड तस्वीर एडमिट कार्ड पर लगाई जाती है ताकि परीक्षा केंद्र पर जब छात्र की तस्वीर फोटो से मिलाई जाए तब किसी को कोई शक ना हो.
रिपोर्टर संतोष कुमार ने बताया कि इसके लिए गैंग के लोग 20 से 25 लाख की रकम तय करते हैं. 5 लाख एडवांस लिए जाते हैं. सॉल्वर को 5 लाख देने का वायदा किया जाता है और 50 हजार एडवांस के रूप में दिए जाते हैं. खास बात ये कि ये तीनों टीम आपस में संपर्क नहीं करती थीं. किस टीम में कौन है, टीम कहां काम कर रही है, ये बातें भी आपस में कोई नहीं जान पाता था. इन तीनों टीमों से केवल एक शख्स संपर्क करता था जो इस गैंग का मास्टमाइंड बताया जा रहा है.
कौन है गैंग का सरगना?
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के पास इससे जुड़ी कोई खास जानकारी नहीं है. सिवाय इसके कि ये पटना का रहने वाला है और इसका नाम प्रेम कुमार उर्फ नीलेश है. पुलिस के पास इसका ना तो कोई पता है और ना ही फोटो. ये शख्स पुराने जमाने के फोन इस्तेमाल करता है और सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं है. हवाई जहाज से नहीं, बल्कि ट्रेन से यात्रा करता है. जल्दी-जल्दी नंबर बदलता है और गैंग के लोगों से संपर्क करने के लिए कोरियर के जरिए चिट्ठी भेजता है.
हालांकि वाराणसी पुलिस ने एक महत्वपूर्ण आरोपी को गिरफ्तार करने का दावा किया है. उसके मुताबिक इस शख्स का नाम है डॉक्टर ओसामा शाहिद और ये लखनऊ के बेहद प्रतिष्ठित केजीएमसी से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है. पुलिस का आरोप है कि ओसामा शाहिद केजीएमसी और बीएचयू जैसे मेडिकल संस्थानों में सॉल्वर बनने वाले फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों को चुनता था. वाराणसी क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सॉल्वर बन परीक्षा दे रही जूली कुमारी के भाई अभय महतो को भी गिरफ्तार किया है. अभय के दोस्त विकास ने 5 लाख रुपये का लालच देकर जूली को सॉल्वर बनाया था.
संतोष कुमार की इस रिपोर्ट के मुताबिक 4 लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चला है कि पटना से चल रहे इस गैंग का नेटवर्क ना सिर्फ बिहार, उत्तर प्रदेश में एक्टिव है बल्कि दिल्ली और पूर्वोत्तर के राज्यों तक फैला हुआ है. पुलिस को अब तक मिले दस्तावेजों में बड़ी मात्रा में असम, त्रिपुरा समेत कई राज्यों के परीक्षार्थियों का डेटाबेस मिला है, जो या तो खुद सॉल्वर बनने को तैयार थे या फिर सॉल्वर से परीक्षा पास कराना चाह रहे थे. फिलहाल वाराणसी पुलिस ने इस मामले में पटना पुलिस से संपर्क किया है. उसकी एक स्पेशल टीम अब इस गैंग को दबोचने का काम करेगी.