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दिल्ली सरकार के शेल्टर होम में 20 दिन में 13 लोगों की मौत, कैसे? किसी को नहीं पता

एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) ने रोहिणी के आशा किरण शेल्टर होम को लेकर ये जानकारियां दी हैं. उन्होंने बताया कि बीते साल की तुलना में मौतों की संख्या ज़्यादा है. SDM का कहना है कि मौतों का असली कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद पता चलेगा.

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मौतों की असल वजह अभी पता नहीं चल पाई है. (फ़ोटो- इंडिया टुडे)

दिल्ली के एक शेल्टर होम में बीते 20 दिनों में 13 से 14 लोगों की मौत होने से हड़कंप मच गया है. मृतकों में एक नाबालिग और छह महिलाएं शामिल हैं. इस साल इस शेल्टर होम में कुल 27 लोगों की मौत हुई है. लेकिन जून-जुलाई के बीच ये आंकड़ा तेजी से बढ़ा. दिल्ली सरकार के तहत संचालित होने वाला ये शेल्टर होम 'मानसिक रूप से विकलांगों के लिए' चलाया जाता है. दिल्ली में इस समय आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है. मामला सामने आने के बाद से पार्टी BJP और महिला आयोग के निशाने पर आ गई है.

दरअसल, एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) ने रोहिणी के आशा किरण शेल्टर होम को लेकर ये जानकारियां दी हैं. उन्होंने बताया कि बीते साल की तुलना में मौतों की संख्या ज़्यादा है. SDM का कहना है कि मौतों का असली कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद पता चलेगा. हालांकि उनकी रिपोर्ट में शेल्टर होम में मुहैया कराए जा रहे पीने के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं. BJP और महिला आयोग ने भी शेल्टर होम में रह रहे लोगों की देखभाल और उनके खानपान को लेकर दिल्लली सरकार पर सवाल उठाए हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, सरकार के सूत्रों ने बताया,

“मरने वाले ज़्यादातर लोगों की उम्र 20 से 30 साल के बीच है. मौत का कारण फेफड़ों में संक्रमण, TB और निमोनिया समेत कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं बताई गई हैं. ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें कैदियों में कुपोषण के लक्षण दिखे हैं. हमें 1-2 महीने में सारी रिपोर्ट मिलने के बाद स्पष्ट तस्वीर मिल जाएगी.”

आशा किरण शेल्टर होम की हालत को लेकर वहां काम करने वाली महिला ने भी जानकारी दी है. आजतक के साथ बातचीत में महिला ने बताया, 

“बच्चों को पहले जो सुविधा मिलती थी, वो अब नहीं मिलती. अंदर के बहुत बुरे हालात हैं. बच्चों को प्रॉपर डाइट नहीं मिलती. 4 साल पहले तक बच्चों को दूध अंडा सब मिलता था, लेकिन अब सब बंद कर दिया गया है. उन्हें सिर्फ़ दाल-रोटी मिलती है. शेल्टर होम के अंदर अभी भी कम से कम 20 से 25 बच्चों को टीबी की बीमारी है.”

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने शेल्टर होम में तथ्यों की जांच करने के लिए एक टीम भेजी है. उन्होंने लापरवाही का आरोप लगाते हुए AAP सरकार पर निशाना भी साधा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा,

"सालों से दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रहे आशा किरण शेल्टर होम ने सारी आशा खो दी है. लोग इसमें पीड़ित हैं, मर रहे हैं और दिल्ली सरकार कुछ भी नहीं करती. मैंने इसका संज्ञान लिया है और अपनी टीम को इसकी जांच के लिए भेजा है. NCW दिल्ली सरकार द्वारा संचालित रात्रि शेल्टर्स का भी ऑडिट कर रहा है."

BJP बनाम AAP

BJP ने भी इसे लेकर दिल्ली सरकार पर हमला किया है. विपक्षी दल का आरोप है कि ये शेल्टर होम्स की उपेक्षा और खराब रहने की स्थिति के कारण हुआ है. दिल्ली BJP की एक टीम भी स्थिति का जायजा लेने के लिए आशा किरण शेल्टर होम पहुंची थी. पार्टी के महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष रेखा गुप्ता ने कहा,

“हमारी जानकारी के अनुसार बच्चों को गंदा पानी मिल रहा है. उन्हें खाना और इलाज नहीं मिल रहा है. इसकी जांच होनी चाहिए और इसमें शामिल सभी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.”

हालांकि, दिल्ली की मंत्री आतिशी ने मौतों की संख्या को गलत बताया है. उन्होंने राजस्व विभाग के एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी (ACS) को मजिस्ट्रियल जांच शुरू करने और 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा है. अपने लेटर में आतिशी ने बताया कि शेल्टर होम में जनवरी 2024 से अब तक 14 मौतें हुई हैं. आतिशी ने उन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की भी बात कही जिनकी लापरवाही से मौतें हुई हैं.

हालांकि सरकार के एक अधिकारी ने एक्सप्रेस को बताया, "जनवरी में तीन मौतें रिपोर्ट हुई थीं, फरवरी में दो, मार्च में एक, अप्रैल में तीन और मई में किसी की मौत नहीं हुई. हालांकि जून और जुलाई में इस संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई."

जानकारी के मुताबिक़, ये शेल्टर होम दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाया जाता है. रोहिणी के सेक्टर 1 में इसे 1989 में स्थापित किया गया था. इसके अंदर 350 लोगों को रखने की क्षमता है.

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