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देहरादून एयरपोर्ट विस्तार के लिए काटे जाएंगे 10 हजार पेड़, सरकार बोली- नए पेड़ लगा देंगे

पर्यावरण प्रेमी इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

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ये फोटो ट्विटर यूजर रिद्धिमा पांडे @ridhimapandey7 के हैंडल से ली गई है.
उत्तराखंड के देहरादून में एक एयरपोर्ट है, जिसको जौलीग्रांट एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है. सरकार अब ये चाहती है कि इस एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला बनाया जाए. इसके लिए 98 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी. इसमें से करीब 97 हेक्टेयर जमीन जंगल की है. पर्यावरण प्रेमी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं. वहीं विपक्षी दल भी इस मामले में सरकार के खिलाफ हैं. बता दें कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय का प्लान देहरादून एयरपोर्ट को अत्याधुनिक सुविधाओं वाला एयरपोर्ट बनाने का है. भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार भी पिछले ही साल अनुमति दे चुकी है. इस जमीन पर पेड़ काटने के लिए पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति लेना जरूरी है. ऐसा अनुमान है कि करीब 10 हजार पेड़ यहां लगे हुए हैं, जिनको काटा जाएगा. दावा है कि इनमें से कुछ पेड़ ऐसे भी हैं, जो करीब दो हजार साल तक पुराने हैं. 10 हजार पेड़ों पर खतरा पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ये जमीन शिवालिक एलिफेंट रिजर्व से लगी हुई है और सरकार के इस कदम से हाथियों के व्यवहार पर असर पड़ सकता है. वहीं इस मामले पर अधिकारियों का कहना है कि 10 हजार के बदले वे 30 हजार पौधे लगाएंगे, साथ ही वन्यजीवों पर भी इस प्लान का कोई असर नहीं होगा. फिलहाल सरकार का प्लान यहां रनवे की लंबाई बढ़ाने का भी है. इसको पहले चरण में 2100 मीटर से 2700 मीटर किया जाएगा और फिर दूसरे चरण में 3500 मीटर तक किया जाएगा. दरअसल, उत्तराखंड, चीन सीमा से नजदीक है, इसलिए भी इस एयरपोर्ट पर ध्यान दिया जा रहा है. इस हवाई पट्टी को इस तरह बनाया जाने का प्लान है कि यहां सभी तरह के प्लेन्स को उतारा जा सके. पेड़ों की कीमत पर विकास? पर्यटन भी एयरपोर्ट पर ध्यान देने के पीछे एक बड़ा कारण है. पिछले कुछ साल से लोगों ने उत्तराखंड में काफी दिलचस्पी दिखाई है. एक्सपर्ट मानते हैं कि एयरपोर्ट बनेगा, तो विकास होगा. इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होगा, जिससे आने वाले वक्त में राज्य को आर्थिक फायदा भी होगा. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये विकास पेड़ों की कीमत पर होना चाहिए? 'दैनिक जागरण' अखबार के मुताबिक, कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव और विजय सारस्वत ने कहा कि सरकार के इस फैसले से शिवालिक एलिफैंट रिजर्व एरिया प्रभावित होगा. एयरपोर्ट का विस्तार हो, लेकिन पेडों और वन्यजीवों का भी ध्यान रखा जाए. साथ ही अगर राजाजी नेशनल पार्क के 10 वर्ग किलोमीटर इलाके को एयरपोर्ट को दिया जाएगा, तब तो हाथियों का कॉरिडोर ही खत्म हो जाएगा. जौलीग्रांट एयरपोर्ट के डायरेक्टर डीके गौतम ने कहा कि उत्तराखंड सरकार, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बताए गए मानदंडों को ध्यान में रखते हुए वन आरक्षित करेगी. पेड़ों को किसी और जगह पर रोपा जाएगा. किसी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. राज्य के चीफ कंज़रवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (HoFF) जयराज ने फोन पर कहा-
"इस मामले में मैं कुछ नहीं कह पाऊंगा. आप स्थानीय अधिकारी डीएफओ से बात करें. वही सही स्थिति बता पाएंगे. ये एक लोकल मामला है. इसमें मेरा कुछ कहना ठीक नहीं रहेगा."