स्क्रीन पर आप जिस शख्स की पेंटिंग देख रहे हैं. वो अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह हैं. गौर करेंगे तो पाएंगे नवाब का चेहरा भरा हुआ है. शरीर भी फैला हुआ है. कहने का मतलब नवाब की ये पेंटिंग ख़ूबसूरती या आकर्षण के तथाकथित आधिनुक पैमानों पर फिट नहीं बैठेगी. वाजिद अली शाह ही क्या, भारत के पुराने कई नवाबों की पुरानी तस्वीर में आप ये ही पाएंगे कि उनका शरीर गठीला नहीं है. क्योंकि उस दौर में व्यक्ति का मोटापा उसकी शोहरत, उसके पद का सिम्बल हुआ करता था. इसलिए कहावतें भी बनी, खाते पीते घर का है. एक ऐसी दुनिया में जहां भोजन मिलना मुश्किल है, मोटापे को संपन्नता का सूचक मानना, अचरज की बात नहीं. लेकिन आज हालत अलग हैं. मोटापा अब एक बीमारी बन चुका है. बल्कि कहें कि एक बीमारी बन चुका है. और ये बात हम बाकी दुनिया के लिए ही नहीं कह रहे. लांसेट मेडिकल पत्रिका ने मोटापे पर एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें सामने आया है कि दुनिया में 100 करोड़ लोग मोटापे की चपेट में हैं. और तो हमने सोचा कि आसान भाषा में आपको बताएं
-obesity epidemic क्या है?
-लांसेट की रिपोर्ट क्या कहती ?
- और भारत के लोगों को इससे खास चौकन्ना होने की जरुरत क्यों है?