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आसान भाषा में: कैसे चलता है जेल में 'व्यवस्था' का खेल?

ये तो स्पष्ट है कि ये काम सेटिंग से होता है. जिसे शिष्ट समाज परिचय कहता है. परिचय कई बार अर्थशास्त्र से निरपेक्ष होता है, जैसे फलां आदमी हमारे मामा के लड़के का मुंहबोला फूफा है. लेकिन जेल में अधिकतर ये सेटिंग धनबल और ख़ौफ की खेती से की जाती है.

तिहाड़ की चारदीवारियों या फिर देश में बनी सभी जेलों के भीतर आखिर ऐसा क्या है कि गैंगस्टर वहां से अपना आपराधिक साम्राज्य आराम से चलाते रहते हैं? किसी पूर्व विधायक पर हमला करवा देते हैं? अंदर मौज की, ऐशो-आराम की ज़िंदगी जीते हैं और जेल के अंदर से मीडिया को इंटरव्यू देते हैं. आज के एपिसोड में हम इन्हीं रहस्यों की परतें खोलेंगे, जानेंगे क्या है इस अपराध और जेल अधिकारियों के बीच के नेक्सस की असली कहानी.