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तारीख: जीत के जश्न में बाल ठाकरे के कौन से ज़िद ने CM को छिपने पर मजबूर कर दिया?

गिलास में शैम्पेन के बुलबुले छूटने लगे तो सबने CM की ओर नज़र फिराई. CM साहब अब नदारद थे. ठाकरे को ना कहने की हिम्मत उनमें थी नहीं.

ये बात है साल 1995 की. मुम्बई में शिवसेना भाजपा गठबंधन की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने मनोहर जोशी. जीत के जश्न में कुछ दिन बाद एक पार्टी हुई. चंद ही मेहमान बुलाए गए थे. और पार्टी बिलकुल शांति से चल रही थी. तभी पार्टी में एंट्री हुई शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की. ठाकरे ने देखा, खाने का तो अच्छा ख़ासा इंतज़ाम है, लेकिन पीने को कुछ नहीं है. ठाकरे ने एकदम बिफरते हुए कारण पूछा तो पता चला, CM की मौजूदगी में शराब पीना ठीक नहीं. ठाकरे फिर ठाकरे थे. उन्होंने तुरंत एक शैम्पेन की बोतल मंगाई.

गिलास में शैम्पेन के बुलबुले छूटने लगे तो सबने CM की ओर नज़र फिराई. CM साहब अब नदारद थे. ठाकरे को ना कहने की हिम्मत उनमें थी नहीं. सो कैमरामैन की नज़र से बचने के लिए वो एक कोने में जाकर बैठ गए. उसी दिन से सबको पता चल गया, सत्ता पर चाहे कोई बैठे, रिमोट कंट्रोल बाल ठाकरे के हाथ में है.