हड्डियां कंपकपा देने वाली ठंड में सोवियत सैनिकों का एक कौलम आगे बढ़ रहा है. चारों तरफ़ बर्फ़ की चादर तनी है. द्वितीय विश्व युद्ध की घोषणा हो चुकी है. और महान रेड आर्मी के कदम यूरोप के एक छोटे से देश फ़िनलैंड की सीमा में दाखिल हो चुके हैं. ये जनवरी का महीना है और तापमान शून्य से क़ाई दहाई नीचे पहुंच चुका है. सैनिकों की टुकड़ी एक निश्चित रफ़्तार से आगे बढ़ रही थी. कि तभी अचानक एक सोवियत सिपाही ज़मीन पर लुढ़क जाता है. गोली पहले पहुंचती और आवाज़ बाद में. गोलियां एक के बाद एक आती जा रही थीं, और सिपाही गिरते जा रहे थे. बहुत कोशिश के बाद भी सोवियत सैनिकों को आगे कुछ नहीं दिखाई देता. वो सब हैरत से एक दूसरे की तरफ़ देख रहे थे. तभी उनका कमांडर, जो अब तक एक पेड़ की आड़ ले चुका था, उनसे कहता है, "छुप जाओ, ये वाइट डेथ है".