भारत के बाहर की गतिविधियों और नृजातीय एकता को भी आंबेडकर ने खुल कर चुनौती दी. आंबेडकर ने दूसरे विश्व युद्ध में तानाशाही और लोकतंत्र में से लोकतंत्र का खुला पक्ष लिया. 1942 में ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस के भाषण के अंत में उन्होंने अपना प्रख्यात उद्धहरण दिया था. धर्मों पर क्या सोचते थे आंबेडकर, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.