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तारीख: कहानी आल्हा-ऊदल की जिनकी कहानी ब्रिटिश फौजियों को सुनाई जाती थी

बुंदेलखंड और उत्तर भारत के कई हिस्सों में आज भी आल्हा-गायन की परंपरा है. युद्ध में जाने से पहले सैनिक इसे सुनकर वीर रस मे डूब जाते थे.

जिनकी वीरगाथा ब्रिटिश फौजियों को सुनाई जाती थी ताकि जंग में जोश भर जाए. जिनकी बहादुरी ने बुंदेलखंड से लेकर दिल्ली तक इतिहास के पन्नों पर अपनी छाप छोड़ी.  जिनके पुरखों की खोपड़ी तक पेड़ पर टांगी गई पर उनके जोश को दबाया न जा सका. आज तारीख के इस एपिसोड में कहानी है दो रणबांकुरों आल्हा और ऊदल की. पूरा कहानी जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.