एक था राजा, एक थी रानी. लगभग हर राजा की कहानी का सार कुछ ऐसा ही होता है. पर एक बार एक देश में कुछ ऐसा हुआ कि राजा- रानी के बदले उनके दरबारियों के ज्यादा चर्चे हो गए. मॉडर्न भाषा में दरबार को काउंसिल कह लीजिए. जब भी कोई सवाल दरबार में उठता, उस पर सारे दरबारी चर्चा करते. पर जैसा की मॉडर्न दफ्तरों में भी कहा जाता है, बॉस इस ऑलवेज राईट. और ये कहानी है तब की जब राजा ही बॉस होता था. और जो राजा के साथ, वो भी राइट. अब असल ज़िंदगी में वो कितना राइट था, ये बहस लंबी है. पर राजा का साथ देने वाला बैठा था राजा के राइट में. और जो दरबारी या काउंसिल मेंबर राजा से इत्तेफाक नहीं रखता था, वो बैठा करता था राजा के लेफ्ट में. और तभी से राजनीति और विचारधारा के संदर्भ में दो टर्म चल पड़े, राइट विंग और लेफ्ट विंग. क्या है राइट, लेफ्ट की कहानी? जानेंगे आज विस्तार से. जानने के लिए देखें तारीखा का आज का एपिसोड.