1979 में जब जैगुआर भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ तब इसे 'शमशेर', यानी इंसाफ की तलवार का नाम दिया गया. 50 साल में इस जहाज ने कई मिशंस में भारतीय सेना का साथ दिया। चाहे फिर 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर आधिपत्य स्थापित करना हो या कारगिल के दौरान पाकिस्तानी सेना पर बमबारी करनी हो, इस तलवार ने हमेशा “करारा जवाब दिया है”. लेकिन अब तलवार पर थोड़ी ज़ंग लगने की चिंताएं ज़ाहिर की जा रही हैं. इस साल, यानी जनवरी से लेकर अप्रैल तक 2 जगुआर क्रैश हो चुके हैं. आखिर ऐसी क्या दिक्कत है? जैगुआर बनाने वाले फ्रांस और ब्रिटेन ने इसे दो दशक पहले ही रिटायर कर दिया है. पर हमारी एयरफोर्स इस विमान को क्यों ढो रही है? क्या उन जानकारों की चिंताएं ठीक हैं जो कहते हैं कि मिग-21 और जैगुआर जैसे विमानों का ज़माना जा चुका है? क्या है इन जेट्स की कहानी, जानने के लिए देखें आसान भाषा में का ये एपिसोड.