उहापोह से निकला एक दर्शन. जिसने हर व्यक्ति को खुद अपने जीवन का रचयिता माना. कि आप अपने एक्शंस से लाइफ का मीनिंग तय करते हैं, क्योंकि जब ख्वाहिशें और मंजिलें हज़ार हैं तो जीवन का मकसद एक कैसे हो सकता है! इसे ही Existentialism, हिंदी में अस्तित्ववाद कहा गया है. इस दर्शन में कई गुत्थियां भी हैं. कैसे Existentialism का यह दर्शन यूरोप से निकलकर दुनिया भर में फैला? Existential crisis होता क्या है? क्यों ये हर पीढ़ी और हर सवाल के साथ प्रासंगिक बना रहा? और कैसे ये दर्शन आपको अपने जीवन का रचयिता, अपनी ज़िंदगी का ड्राइवर बनने की शक्ति देता है? जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.