ईरान के पास तेल तो बहुत है, फिर भी उसका हाल ठीक नही हैं. राजनीतिक उथल-पुथल, अमेरिका के लगाए सैंक्शन की वजह से चरमराती हुई अर्थव्यवस्था, इजरायल से चलती प्रॉक्सी वॉर, और 1979 के इस्लामिक रिवोल्यूशन के बाद से बढ़ता कट्टरपंथ. लेकिन इन सारी चीज़ों के बावजूद भारत के ईरान से अच्छे संबंध रहे हैं. भारत वहां से तेल खरीदता रहा है. वहां चाबाहार पोर्ट बनाया है. एक वक्त तो ईरान से भारत तक गैस की पाइपलाइन तक बिछाने का प्लान बन गया था.
लेकिन इस बरस पैगम्बर मोहम्मद की जयंती पर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली ख़मेनेई ने एक ऐसी बात कह दी, जिसे भारत में बिलकुल पसंद नहीं किया गया. उन्होंने x पर पोस्ट किया, “इस्लाम के दुश्मन हमेशा हमें उम्माह की हमारी साझा पहचान के प्रति उदासीन बनाने की कोशिश करते हैं. अगर हम म्यांमार, ग़ाज़ा, भारत या किसी और देश में मुसलमान की पीड़ा से अनजान हैं, तो हम ख़ुद को मुसलमान नहीं मान सकते.”भारत के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में इसका जवाब भी दिया कि माइनॉरिटीज पर कमेंट करने से पहले अपना रिकॉर्ड देख लें. अपना रिकॉर्ड. माने ईरान का रिकॉर्ड. और चूंकि उम्माह का ज़िक्र हुआ, तो दीगर मुस्लिम देशों का रिकॉर्ड. तो इस वीडियो में समझते हैं कि ईरान में मुसलमानों की क्या स्थिति है. पूरी खबर जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.