इस एजेंसी की पहुंच कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यालयों तक थी. ये वाट्सएप और फेसबुक विहीन दुनिया में भी फेक न्यूज़ बनाने, भुनाने और फ़ैलाने में एक्सपर्ट थी. इतनी एक्सपर्ट कि इनकी फैलाई फेक न्यूज़ से कई देशों में सत्ता बदल गई. एक समय पर तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी KGB के एजेंट थे. इतनी शक्तिशाली इंटेलिजेंस एजेंसी 1991 में खत्म हो गयी. आखिर क्या वजह थी? सबकुछ जानेंगे एस वीडियो में. साथ ही जानेंगे, KGB का मोडस ऑपरेंडी क्या है , माने ये कैसे मिशन्स को अंजाम देती थी? कैसे एजेंट्स को रिक्रूट करती थी? KGB के कारनामों की ‘इंडिया फाइल्स’ क्या है? और ये एजेंसी खत्म क्यों हो गयी?
आसान भाषा में: रूस की एजेंसी KGB की क्या कहानी है? क्या भारत के चुनाव में शामिल था Soviet Union?
एक समय रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी KGB के एजेंट थे. इतनी शक्तिशाली इंटेलिजेंस एजेंसी 1991 में खत्म हो गयी.
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