कालिदास के लेखन में आम का जिक्र कई बार किया गया है. अनाज और चावल के अलावा लोग मांस और मछली खाते थे. गंगा के मैदानों में पाई जाने वाली 'रोहित' या 'रोहू' मछली पसंद की जाती थी. यहां तक 'मालविकाग्निमित्रम' में कसाईखानों और मांस की ऐसी दुकानों का जिक्र मिलता है, जहां से मांस खरीदा जा सकता था. मदिरा तीन प्रकार की होती थी (History of Alcohol). नारिकेलासव यानी नारियल से निकाली गई. सिधु यानी गन्ने से बनाई गई. और माधुक यानी फूलों से निकाली गई शराब. कालिदास लिखते हैं कि आम और लाल पटक के फूलों के इस्तेमाल से शराब में सुगंध मिलाई जाती थी. वीडियो देखें.