20वीं सदी की शुरुआत में सोवियत रूस में तीन-चौथाई लोग किसान और मजदूर थे. हथौड़ा- मजदूर वर्ग का एक जरूरी उपकरण (टूल) था तो वहीं दरांती, जिसे हंसिया या हंसुआ भी कहा जाता है, किसानों का एक जरूरी उपकरण था. कम्युनिस्ट (Communist) शासन की शुरुआत में काम को बहुत महत्त्व दिया जाता था. इसी कारण जब सिम्बल चुनने की बारी आई. तो किसान और मजदूरों के काम के उपकरणों को कम्युनिज्म के प्रतीक के तौर पर चुना गया. पूरी जानकारी के लिए वीडियो देखें.