14 से 15 अगस्त, 1947 की दरमियानी रात, जब नेहरू ने स्वतंत्रता का संदेश दिया. तब एक और शख्स था जिसने देश की तकदीर बदलने का बीड़ा उठाया. डॉ. भीमराव आंबेडकर (Bhimrao Ambedkar). कोट-पैंट वाली वेशभूषा. उसके पीछे हजारों लोग चल रहे थे. एक अघोषित युद्ध की तरफ. बरसों की गुलामी का बोझ उतार फेंकने के लिए. संविधान से लेकर भारत के पहले कानून मंत्री की राह नापने तक. फिर भी अपनी ही सरकार से इस्तीफा देना पड़ा. सबके हितों का ध्यान रखने के बीच जब राजनीति में हाथ आजमाने का मौका मिला तो लगातार दो बार हार मिली. इसके पीछे की वजह जानते हैं? पूरी कहानी जानने के लिए वीडियो देखें.