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साल के अंत में क्यों होती है Year Ender की बारिश? इसका इतिहास क्या है?

Year ender बनाने की शुरुआत क्यों और कब हुई? इसके क्या फायदे हैं और ये चलता ही क्यों जा रहा है?

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सांकेतिक तस्वीर. (AI Photo)

साल का काफी क्लीशे समय चल रहा है गाइज़. विंटर लव, विंटर ग्लो की बातें हो रही हैं. सहूलियत के हिसाब से कोई मूंगफली चबा रहा है तो कोई मनाली ट्रिप का आनंद ले रहा है. हर बार की तरह इस साल भी 100 सालों के, 75 सालों के अलाना-फलाना रिकॉर्ड टूट रहे हैं. सोशल मीडिया पर 100 सालों में पहली बार..., 75 साल का रिकॉर्ड टूटा जैसे फैक्ट्स की बाढ़ आ गई है. कभी दिसंबर में सबसे ज्यादा बारिश, तो कभी इतने सालों बाद सबसे गर्म अक्टूबर के दावे. विंटर vs समर की डिबेट भी चल रही है. इसी डिबेट में मैं भी थी. तभी हमारे मैनेजर ने पूछा - इस साल का मीम राउंड अप बनाया क्या? तौबा-तौबा, सारा मूड वहीं खराब हो गया. माने क्या है ये राउंड अप. क्यों बनाएं हम ईयर एंडर (Year ender), क्यों जानना है आपको साल भर का रैप अप. क्यों सुनना साल के उन इरिटेटिंग मीम्स को फिर से, जिन्होंने साल भर ब्रेनरॉट (Brain rot) कर दिया?

आपको नहीं पता है क्या कि आपने साल भर में क्या किया था? आपको नहीं याद कि विकी कौशल का 'हुस्न तेरा तौबा-तौबा' और तमन्ना भाटिया का 'आज की रात' कितनी बार रिपीट पर सुना? या भूल गए कि 'क्यों नहीं हो रही पढ़ाई', 'बद्दो बद्दी को क्यों जूस पिला दो', 'I'm just a chill guy तो नी सर्जरी कराऊंगा" जैसे मीम टेम्पलेट्स ने सालभर मेरी फीड की रंगोली बनाई है. तो जब सब पता है तो मैं क्यों बताऊं कि साल भर क्या-क्या हुआ? गूगल क्यों बता रहा है फलां व्यक्ति या ढिकाना हीरो-हीरोइन और शहर कितनी बार सर्च हो रहा. स्पॉटिफाई हर बार आपके प्रीतम wrap सॉरी सिर्फ स्पॉटिफाई wrap क्यों रिलीज कर रहा है? क्यों? मुझे जानना था कि इस झंझट, माने इस प्रोसेस की शुरुआत कैसे हुई थी? Year ender भले ना बनाऊं पर ये शुरू कैसे हुआ और ये चलता ही क्यों जा रहा है ये जान लेती हूं.

ये फितूर शुरू कब हुआ?

सालभर के इस बही खाते की शुरुआत का सच पता करना था. पहला ईयर एंडर या ऐसी कोई चीज कब शुरू हुई थी उसको जानने के लिए थोड़ी रिचर्स की. तो ये खोज का खुमार हमें इस मोड़ पर ले आया. माने मोटा-माटी ये पता चला कि चोंचला कोई नया नहीं है. बहुत पुराना है. ये 3000 BCE से शुरू हो गया था. तब इजिप्शन और बेबीलोनियन रिकॉर्ड्स मेंटेंन किए जाते थे. ताकि साल भर के बड़े इवेंट्स, एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेशन और शाही फरमानों का हिसाब दर्ज किया जा सके.

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मॉडर्न सालों जैसे ही थे रोमन और ग्रीक इतिहास वाले ईयर एंडर. फोटो- AI Photo

रोमन और ग्रीक भी पीछे नहीं थे. इनके इतिहास में भी मॉडर्न ईयर एंडर जैसी बातें दिखती हैं. माने जैसा आजकल चल रहा है. कुछ-कुछ वैसा हो रहा था उस वक्त.

कहां-कहां से गुजरा ईयर एंडर?

इसके बाद 1500-1900 के वर्षों में भी इसका चलन जारी रहा. प्रिंट मीडिया में पंचांग और न्यूजपेपर समरी इसके उदाहरण हैं. वही पंचांग जिसमें आजकल दो दिनों की होली, दो दिन की दीवाली वाला कंफ्यूजन छपा होता है. पर इसमें इसके अलावा भी सालभर के कई ब्योरे होते हैं. ग्रहों की चाल, मौसम का हाल. सब नोटेड.

इसी दौरान न्यूजपेपर का नेटवर्क भी फैल रहा था. तो मीडिया हाउसेस ने सालभर की बड़ी और अहम घटनाओं का एनुअल समरी पब्लिश करना शुरू कर दिया. जैसे अभी के न्यूजपेपर्स, टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स बनाते हैं कुछ उसी से मिलती-जुलती समरी उस वक्त पब्लिश होती थी.

फिर आया मॉर्डन एरा. 1900 के बाद मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ने इसे अपनाया. 1900 से 2000 वाले साल के दौरान कई राउंडअप शुरू हुए. जैसे,

- साल 1929 में टाइम मैग्जीन ने अपना 'ईयर इन रिव्यू' शुरू किया. जिसमें दुनियाभर के इवेंट की कॉम्प्रिहेंसिव यानी ठीक-ठाक समरी फीचर की गई.
- साल 1936 से बिलबोर्ड मैग्जीन ने 'ईयर एंड चार्ट' जारी करना शुरू किया. इसमें टॉप गाने, आर्टिस्ट और एल्बम की रैंकिंग बताई जाती थी.
- इसके बाद 1950-1980 के दशक के बीच टेलीविजन और रेडियो स्टेशनों ने साल के अंत में स्पेशल ब्रॉडकास्टिंग शुरू कर दी. इसमें पूरे साल के काउंटडाउन, हाइलाइट्स और रिव्यूज शामिल होते थे. माने बिनाका गीतमाला का बड़ा वर्जन.

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इसके बाद आया अपना वाला टाइम. बोले तो डिजिटल एज. साल 2000 के बाद वाले साल.

- 2000 के पहले दशक में IMDb, मेटाक्रिटिक जैसे वेबसाइट्स टॉप मूवीज, टीवी शोज़ और म्यूजिक के लिस्ट निकालने शुरू किए. 

- 2010 के बाद से फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जो अब X हो गया है, इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने एनुअल ईयर एंडर लिस्ट बनाना शुरू किया. इसमें सालभर के टॉप ट्रेंड्स, हैशटैग्स और मोमेंट्स का कंपाइलेशन शामिल होता था.

Year ender
साल भर क्या-क्या चला, सबको जानना है, बताना है. फोटो- AI फोटो

- सोशल मीडिया साइट्स भी अपने से बनाकर साल भर वाला वीडियो रचने लगीं, जिनमें हर वीडियो में एक ही म्यूजिक चिपका होता था. 

- इसी के इर्द-गिर्द के सालों में इंफ्लुएंसर्स, कॉन्टेंट क्रिएटर्स और व्लॉगर्स ने भी अपने-अपने ईयर एंडर लिस्ट पोस्ट करना शुरू किया. इसमें इनके पर्सनल हाईलाइट्स, फेवरेट प्रोडक्ट्स और टॉप रिकमेंडेशन्स शामिल होती हैं.

ईयर एंडर के लाभ ही लाभ?

मतलब ये रोग पुराना है. पर ऐसा फायदा क्या है इसके बनाने से. इंटरनेट से पूछा मैंने तो पता चला इसके पीछे कई इमोशन छिपे हैं. जो जवाब मिले.. आपको भी बताती हूं. इंटरनेट कहता है साल के अंत में रिवाइंड्स के क्रेज और इस बोलबाला के पीछे, इस दीवानगी के पीछे नॉस्टैल्जिया, सेलिब्रेशन और क्लोजर जैसे इमोशन मिक्स हैं.  

इसमें नॉस्टैल्जिया और रिफ्लेक्शन का भाव है.

रिवाइंड्स से बीते साल की अहम घटनाओं, ट्रेंड्स और यादगार पलों को फिर से जीने का मौका मिलता है. ये वो चीजें होती हैं, जो हमने या तो देखी होती हैं या मिस कर दी होती हैं. तो इकट्ठे एक जगह सब इंफॉरमेशन मिल जाती है. एक लाइन में कहें तो बीते साल को याद करना अच्छा लगता है.

सालभर का कल्चरल थ्रोबैक भी इसमें मिल जाता है.

रिवाइंड्स, ईयरएंडर्स में सालभर की अजब-गजब तस्वीरें होती हैं. जैसे कौन-सा मीम चला, कौन-सा गाना हिट हुआ, कौन-सी फिल्म या घटना ने तहलका मचाया. माने सोसायटी के अलग-अलग हिस्सों से निकली यादों को एक जगह समेटने जैसा है.

- क्लोजर का अहसास. माने आपको वैसे किसी चीज का क्लोजर मिला हो ना मिला हो. पर ईयर एंडर से सालभर का क्लोजर जरूर मिल जाता है.  

साल के रिवाइंड्स देखकर लगता है कि साल को ठीक से अलविदा कह दिया गया. इसके बाद नए साल के लिए मूव ऑन करना आसान हो जाता है.

एंटरटेनमेंट वैल्यू

रिवाइंड्स को मज़ेदार और क्रिएटिव तरीके से पेश किया जाता है. मसलन, यूट्यूब, स्पॉटिफाई और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म इन्हें पर्सनल और इंटरएक्टिव बना देते हैं. लोग एक दूसरे के लिस्ट का कंपरेजिन ड्रा करते हैं. फुल मजा आता है इसमें. हमारे कई साथी तो कूलनेस की कमी के कारण अपनी लिस्ट को ओन भी नहीं करते. मीम पेजेस के ईयर एंडर लगा देते हैं.

ईयर एंडर्स से ट्रेंड्स का पूरा राउंडअप मिल जाता है.

इससे ट्रेंड्स और बड़े बदलावों को समझना थोड़ा और आसान हो जाता है. जैसे कौन-सी टेक्नोलॉजी आई, कौन-सी आदतें बदलीं या कौन-से कलेक्टिव अचीवमेंट्स हुए.

FOMO यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट. 

इसके पहले की जो बातें थीं ना सब बेवजह लगीं भाई. असल में आधी से ज्यादा चीजें मनुष्य इसीलिए करता है क्योंकि उसको FOMO नहीं झेलना है. लोग पीछे नहीं रहना चाहते. ऐसे में सालभर जो छूट गया, उसे पकड़ने का सबसे आसान तरीका है साल के रिवाइंड्स. हर दोस्त सब साल भर कौन से अंग्रेजी गाने सुने या पॉडकास्ट सुना बताकर बुद्धिजीवी और बुद्धिभोजी बन रहा होता है, तो कैसे न बताऊं कि इस साल मैंने 400 घंटे अल्ताफ राजा सुना?

Family man meme
लोगों का सबसे बड़ा डर FOMO!

इसलिए कोई कुछ भी कहे. मेरे हिसाब से तो सब FOMO की वजह से हो रहा है. और जो भी हो ईयर एंडर्स अब एक आदत बन चुके हैं. हर न्यूज़ वेबसाइट के पीछे एक SEO टीम बैठी है, जो दूसरी वेबसाइट की खबरें देख सोचती है कि हमें भी इन 'कीवर्ड्स' पर कुछ 'स्पेशल' देना चाहिए 'गूगल डिस्कवर' पर पीछे न रह जाएं, कुछ 'बज़' बनाएं. वैसे आपको इस बारे में क्या लगता है, कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा. और और और शुरू में जो मैंने बातें कहीं थीं कि इस वक्त लोग क्या-क्या कर रहे हैं उसमें एक चीज तो रह गई थी. लोग इस वक्त न्यू ईयर रेजोल्यूशन भी ले रहे हैं. भले ही इनके पिछले सभी रेजोल्यूशन का कंपाइलेशन दिल्ली के लैंडफिल्स उर्फ गाजीपुर के पहाड़ में बदल गया है. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी बड़ी-बड़ी प्लानिंग की है. क्यों करते हैं लोग ये सब? आपको पता है क्या? इस वाले के बारे में भी आप बताइए.

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