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चुनाव हारने के बाद भी रवनीत सिंह बिट्टू पर PM मोदी ने क्यों खेल दिया इतना बड़ा दांव?

रवनीत बिट्‌टू (Ravneet Singh Bittu) इस समय न तो लोकसभा सांसद हैं और न ही राज्यसभा के मेंबर. पंजाब विधानसभा में महज 2 विधायक होने के चलते BJP यहां से उन्हें राज्यसभा भेजने की स्थिति में भी नहीं है. इस सबके बाद भी PM मोदी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में क्यों शामिल किया है?

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रवनीत सिंह बिट्टू मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं | फोटो: आजतक

लोकसभा चुनाव 2024 में पंजाब में BJP एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवनीत सिंह बिट्टू को अपनी कैबिनेट में शामिल कर लिया. बिट्‌टू लोकसभा चुनाव में लुधियाना सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से हार गए थे (Why Ravneet Singh Bittu minister in Modi government).

रवनीत बिट्‌टू इस समय न तो लोकसभा सांसद हैं और न ही राज्यसभा के सदस्य. पंजाब विधानसभा में महज 2 विधायक होने के चलते BJP यहां से उन्हें राज्यसभा भेजने की स्थिति में भी नहीं है. ऐसे में पार्टी उन्हें हरियाणा या किसी दूसरे राज्य से राज्यसभा में भेज सकती है. हरियाणा में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में उन्हें अपनी राज्यसभा सीट खाली करनी होगी. माना जा रहा है कि यहां से BJP बिट्टू को राज्यसभा भेजने की कोशिश कर सकती है.

पर रवनीत सिंह बिट्टू को क्यों बनाया गया मंत्री?

इस सवाल का जवाब जानने से पहले थोड़ा रवनीत बिट्‌टू के बारे में जान लेते हैं. रवनीत बिट्‌टू 1995 में आतंकवाद के दौर में सचिवालय बिल्डिंग ब्लास्ट में जान गंवाने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं. इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2008 में युवा कांग्रेस से हुई थी. 2008 में वे पंजाब यूथ कांग्रेस के पहले निर्वाचित अध्यक्ष बने. 2009 में पार्टी ने उन्हें श्री आनंदपुर साहिब से टिकट दिया और वो चुनाव जीत गए.

पार्टी ने भी पहली बार चुनाव जीतने के बाद उन्हें होम अफेयर्स कमेटी का सदस्य बना दिया. 2014 में कांग्रेस ने रवनीत की सीट बदलते हुए लुधियाना शिफ्ट किया. इसके बाद 2014 और 2019 में वो इसी सीट से सांसद चुने गए. रवनीत बिट्‌टू ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर BJP जॉइन की. BJP ने उन्हें लुधियाना से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से लगभग 20 हजार वोटों से हार गए.

मंत्री पद की शपथ लेते रवनीत सिंह बिट्टू
बेअंत सिंह के नाम और सिख आबादी पर नजर

रवनीत सिंह बिट्टू के परिवार का पंजाब में अच्छा खासा सियासी रसूख है. उनके दादा बेअंत सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. उन्होंने पंजाब में आतंकवाद खत्म करने का श्रेय दिया जाता है. आतंकी हमले में ही उनकी मौत भी हुई थी. बेअंत सिंह को पंजाब के लोग आज भी आदर के साथ याद करते हैं. माना जा रहा है कि रवनीत सिंह बिट्टू के जरिए BJP की कोशिश उनके दादा की लीगेसी को भुनाने की है.

इस लोकसभा चुनाव में भले ही BJP को पंजाब में कोई सीट न मिली हो, लेकिन राज्य में उसका ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इसी लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए BJP वोट शेयर के मामले में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. पंजाब में 60 फीसदी आबादी सिखों की है. बिट्टू भी सिख हैं. उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी इस आबादी के करीब जाने की कोशिश कर रही है. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि बिट्‌टू के मंत्री बनने से पंजाबियों में सकारात्मक संदेश जाएगा. और भविष्य में इससे पार्टी को फायदा होगा.

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रवनीत सिंह के जरिए विधानसभा सधेगी!

BJP के पास अभी पंजाब विधानसभा में महज 2 विधायक हैं. इस लोकसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन अब उसका टारगेट 2027 का पंजाब विधानसभा इलेक्शन है. पार्टी लगातार पंजाब में अपने जनाधार को बढ़ाने की मुहीम में लगी है. काफी समय से ग्रामीण क्षेत्रों में जनाधार बढ़ाने के लिए कांग्रेस और अकाली दल के बड़े चेहरों को पार्टी जॉइन करवाई जा रही है. देखा जाए तो 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी करीब ढाई साल का समय बाकी है. रवनीत बिट्‌टू युवा हैं. पार्टी को उम्मीद है कि वो बिट्टू के जरिए इन ढाई साल में पंजाब के पार्टी संगठन में जान फूंक देगी.

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