पिछले कुछ सालों से मार्केट में या कहें डिजिटल स्पेस में एक नई लैंग्वेज का खूब चलन है. बोले तो GEN Z की लैंग्वेज या कहें GEN Z लिंगो. इस वाली बातचीत में वाक्य तो छोड़िये शब्द भी पूरे नहीं बोले और लिखे जाते. exceptional हो जाता है banger तो best friend बन जाता है Bestie. ऐसे लगता है मानो इस जनरेशन ने ही इस लिंगो का आविष्कार किया है. मगर ऐसा है नहीं क्योंकि इस लैंग्वेज का OG तो कोई और है. लो जी हम भी इसी भाषा के फेरे में आकर OG मतलब ओरिजनल गैंगस्टर लिख दिए.
आख़िर ट्रकों के पीछू “OK” लिखने का चलन कहां से आया, टाटा के साबुन से भी है कनेक्शन
आज बात ‘OK’ की. जनरेशन भले Z हो या मिनेनियल्स या फिर उसके पहले वाली जनरेशन X. ओके तो इनसे काफ़ी पहले आ गया था. इस शब्द के आने के कई किस्से और कहानियां हैं. पत्र लिखने से लेकर ट्रकों के पीछू लिखे जाने तक. हां वही 'हॉर्न ओके प्लीज' वाला.
मीटर सेट अब बात ‘OK’ की. जनरेशन भले Z हो या मिनेनियल्स या फिर उसके पहले वाली जनरेशन X. ओके तो इनसे काफ़ी पहले आ गया था. इस शब्द के आने की के कई किस्से और कहानियाँ हैं. लेटर लिखने से लेकर ट्रकों के पीछू लिखे जाने तक. हां वही ‘हॉर्न ओके प्लीज’ वाला. कुछ हम बता देते हैं.
कुछ फनी हो जाएसाल 1830 के आसपास अमेरिका में एक नया ट्रेंड आया. शब्दों को फनी बनाने का मतलब अपनी भाषा में कहें तो मौज लेकर लिखने का. कई सारे शब्द चलन में आए मसलन Drunk को Corned लिखा जाने लगा तो to settle a matter के लिए Fix one’s flint आ गया. ऐसे ही एक और शब्द के साथ खूब खेला गया. All Correct को ऑल करेक्ट (Oll Korrect) लिखा जाने लगा. शब्द खूब चलने लगा मगर लिखने की जगह कम थी तो इसको ‘OK’ कर दिया गया. यही शब्द आगे चलकर न्यूयॉर्क के अखबारों में भी खूब लिखा जाने लगा तो धीरे-धीरे दुनिया जहान में पहुंचा. ये हुई एक थ्योरी ट्रक चलाते मतलब जानते कि हॉर्न और प्लीज के बीच ओके कैसे आया.
बात है वर्ल्ड वार II की जब दुनिया में डीजल की अच्छी-खासी कमी हो गई थी. ऐसे में फ़्यूल के दूसरे ऑप्शन तलाशे गए और सबसे पहले मिला Kerosene. मतलब इससे ट्रक को चलाने में कोई दिक्कत नहीं थी मगर ये इंजन को ख़राब करता है और डीजल के मुकाबले ज्वलनशील भी ज़्यादा था. माने खतरा ज़्यादा था विशेषकर टक्कर लगने पर. इसका उपाय निकाला गया कि ट्रक के पीछे OK (On Kerosene) लिख देते हैं. इससे उस ट्रक के पीछे चल रहे दूसरे वाहनों को पता चल जाता था और वो दूरी बनाकर चलते थे.
वैसे इस शब्द को लेकर अपने देश की भी एक कहानी है. एक समय में देश में ट्रकों का उत्पादन सिर्फ टाटा कंपनी करती थी. उसी दौरान टाटा ग्रुप की एक और कंपनी Tata Oil Mills Ltd. Co (TOMCO) ने 'OK' के नाम से नहाने का साबुन निकाला. इसके प्रमोशन के लिए ट्रकों के पीछे ‘OK’ लिखा गया.
खैर थ्योरी कुछ भी हो. ये तो मानना पड़ेगा कि इस वाली लैंग्वेज का असल राजा तो ‘OK’ ही है.
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