जाड़े चल रहे हैं. ठंड लग रही है. बहुत ठंड लग रही है. ‘बहुत’ भी नाकाफ़ी है. हमारे समय के लोकप्रिय स्टैंड-अप कॉमिक ज़ाकिर ख़ान भी कहिते हैं: ‘मर्द को दर्द नहीं होता.. होगा. मगर ठंड लगती है’. इसीलिए डेढ़ सौ टके का सवाल ये है कि ठंड लगती क्यों है? आपको या हमें नहीं, जनरली ठंड लगने का विज्ञान क्या है? और, जब ठंड लगती है तो कांप कांहे रहे होते हो?
ठंड लगती क्यों है और ठंड लगने पर आप कांपते क्यों हैं?
ठंड लगने के पीछे का विज्ञान क्या है?
क्यों चलती है पवन? क्यों झूमे है गगन? क्यों मचलता है मन? न तुम जानो न हम. मगर ठंड क्यों लगती है, ये हम जाने हैं. आपको बताते हैं.
होता ये है कि ठंड के दिनों में माहौल ठंडा हो जाता है. (वाओ! क्या अल्हदा बात है!) मतलब तापमान गिर जाता है. स्वस्थ्य आदमी के शरीर का तापमान 98.7 डिग्री फ़ॉरेनहाइट के आस-पास होता है. सेल्सियस में हुआ, 37.05 डिग्री. और बाहर का तापमान होता है: 10 डिग्री, 15 डिग्री या कभी-कभी 5-6 डिग्री. यानी शरीर के बाहर का तापमान, शरीर के तापमान से कम.
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हमारे शारीरिक तापमान के मैनेजमेंट का ज़िम्मा है हाइपोथैलेमस के पास. हाइपोथैलेमस हमारे दिमाग़ का एक छोटा-सा हिस्सा है, जो नर्वस सिस्टम और हार्मोन्स के बीच संपर्क साधता है. शरीर का हार्ट रेट, तापमान, भूख-प्यास, स्लीप सायकिल, मूड, सेक्स ड्राइव – सब यहीं से तय होता है. हाइपोथैलेमस हमारे मौजूदा तापमान को जांचता है और इसकी तुलना बाहरी तापमान से करता है.
इसके बाद यहां थर्मोडायनैमिक्स का नियम लागू होता है: जब दो वस्तुओं के बीच तापमान में अंतर हो, तो ऊष्मा उच्च तापमान से निम्न तापमान की ओर स्थानांतरित होती है. आसान भाषा में: बैलेंस के लिए गर्मी हमारे शरीर से बाहर निकलती है. चुनांचे हमें ठंड लगती है.
हमारे शरीर ने तापमान में उतार-चढ़ाव पर प्रतिक्रिया देने के लिए सिस्टम बना लिया है. इस सिस्टम का एक्कै मक़सद है: 37 डिग्री सेल्सियस बनाए रखना.
जब हमें ठंड लगती है, तो गर्मी पैदा करने के लिए शरीर में कई बदलाव होते हैं. मसलन:
- हमारा दिल तेज़ी से धड़कता है.
- ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) बढ़ता है.
- सांस तेज़ चलने लगती है.
- एड्रेनालाइन और नॉरपेनेफ्रिन जैसे स्ट्रेस-हार्मोन निकलते हैं.
हम कांपते काहें हैं? इसलिए कि जब ठंड लगती है, तब ब्रेन के पास सिग्नल जाता है और उसके बाद मांसपेशियां डांस शुरू कर देती हैं. मांसपेशियां जल्दी-जल्दी सिकुड़ती और रिलैक्स होती हैं. यही है कांपना.
एक बात और. बहुत लोग डर से भी कांपते हैं. वो क्यों? वो इसलिए कि आपकी ब्रेन में एक हिस्सा होता है, जिसे कहते हैं अमिग्डला (amigdelah). अब भी कोई ऐसी सिचुएशन आती है, जिसमें आपको कोई ख़तरा महसूस होता है, तब ब्रेन का ये हिस्सा अड्रेनलिन नाम का एक हॉर्मोन छोड़ता है. इसे फ़ाइट ऐंड फ़्लाइट हॉर्मोन भी कहते हैं. यानी ख़तरे के समय लड़ना है या भगना है, यही तय करता है. कांपना इसी हार्मोन का एक रिऐक्शन है.