'चाणक्य चंद्रगुप्त' नाम की फिल्म की घोषणा करने के बाद बी.आर. चोपड़ा ने पूरे जोर-शोर से इस पर काम शुरू कर दिया था. दिलीप कुमार को चाणक्य के किरदार में ढालने की ज़िम्मेदारी दिग्गज मेकअप मैन पंडारी जूकर को दी गई. पंडारी दादा ने 1949 में वी. शांताराम का राजकमल स्टूडियो जॉइन किया था. तब उन्हें मेकअप के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर उन्होंने अपने करियर में सैकड़ों फिल्म स्टार्स का मेकअप किया. 'दीवार' से लेकर 'वक्त', 'त्रिशूल', 'क्रांति', 'परिंदा', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाए' और 'गुप्त' समेत कई फिल्मों से वो बतौर मेकअप आर्टिस्ट जुड़े हुए थे.
खैर, चाणक्य की तैयारी के लिए पंडारी दादा को लंदन भेजा गया. बेसिकली सारी जुगत इसलिए भिड़ाई जा रही थी, ताकि दिलीप कुमार को बिना बाल के स्क्रीन पर दिखाया जा सके. मगर इसके लिए दिलीप कुमार के बाल साफ करने का ऑप्शन नहीं था. ऐसे में पंडारी दादा लंदन गए. वहां उन्होंने ऐनी स्पीयर्स नाम की मेकअप आर्टिस्ट के साथ मिलकर एक बॉल्ड कैप यानी एक विग डिज़ाइन की. इस विग को दिलीप कुमार पूरी फिल्म में पहनने वाले थे. इससे वो स्क्रीन पर गंजे नज़र आते. बताया जाता है कि उस ज़माने में इस विग को बनाने में लाखों रुपए का खर्च आया था.

विग के साथ लुक टेस्ट के दौरान मेक अप मैन पंडारी जूकर (चश्मे वाले), विग डिज़ाइनर एनी स्पीयर्स (फ्रिंज कट वाली महिला) और 'चाणक्य चंद्रगुप्त' के प्रोड्यूसर किशोर शर्मा के साथ लंदन में दिलीप कुमार.
विग बनकर इंडिया आने के बाद इसे दिलीप कुमार को पहनाकर लुक टेक्ट किया गया. इस विग को पहनने में दिलीप साब को 3 घंटे लगते थे और उतारने में आधे घंटे. तमाम दुश्वारियों को सहते हुए फिल्म के लिए दिलीप कुमार का फर्स्ट लुक फोटोशूट हुआ. उसकी कई तस्वीरें आपको इक्का-दुक्का गूगल सर्च में मिल जाएंगी. दूसरी तरफ थे फिल्म में दिलीप कुमार के पैरलल लीड धर्मेंद्र. धर्मेंद्र जब एक्टर बनने का सपना लेकर बंबई आए थे, तब तक उन्होंने दिलीप कुमार की सिर्फ एक फिल्म देखी थी. वो 'अगले दिलीप कुमार' बनने के मक़सद से एक्टर बनना चाहते थे. मगर उनका पहला लक्ष्य था दिलीप कुमार के साथ काम करना.

दिलीप कुमार के साथ काम नहीं कर पाने को धर्मेंद्र अपने करियर का इकलौता अधूरा सपना मानते हैं.
दिलीप कुमार काफी गिनी चुनी फिल्मों में काम करते थे. उन्होंने अपने 50 साल लंबे करियर में मात्र 65 फिल्मों में काम किया. फाइनली धर्मेंद्र को 'चाणक्य चंद्रगुप्त' नाम की इस फिल्म में अपने गुरु के साथ काम करने का मौका मिल गया था. वो खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. अभी ये चल ही रहा था कि फिल्म के मेकर्स किसी फाइनेंशियल क्राइसिस का शिकार हो गए. बी.आर. चोपड़ा को अपना मन मसोसकर ये फिल्म बंद करनी पड़ी. इस चीज़ ने धर्मेंद्र और बी.आर.चोपड़ा दोनों का ही दिल तोड़ दिया.

चाणक्य लुक में फोटोशूट के दौरान दिलीप कुमार.
मगर बी.आर. चोपड़ा ने हार नहीं मानी. बड़े परदे पर चाणक्य की कहानी दिखा पाने में नाकाम रहने के बाद उन्होंने छोटे परदे का रुख किया. टीवी पर 'महाभारत' की जबरदस्त सफलता के बाद वो चाणक्य के ऊपर एक शो बनाना चाहते थे. वो इसका ऑफर लेकर दूरदर्शन के ऑफिस गए. मगर बी.आर. चोपड़ा से पहले ये आइडिया डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी दूरदर्शन से अप्रूव करवा चुके थे. 90 के दशक की शुरुआत में दूरदर्शन पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी का बनाया टीवी शो 'चाणक्य' खूब हिट हुआ.
दिलीप कुमार अपनी फिल्मों का चुनाव बड़ी संजीदगी से करते थे. 70 के दशक की शुरुआत में उनकी इच्छा एक गैंगस्टर फिल्म करने की थी. वो इसके लिए अलग-अलग स्क्रिप्ट पढ़ रहे थे. तभी उन्हें किसी तरह से पता चला कि हॉलीवुड स्टार मार्लन ब्रांडो भी अपनी अगली फिल्म 'गॉडफादर' में एक गैंगस्टर का रोल करने जा रहे हैं. इसके बाद दिलीप कुमार ने गैंगस्टर फिल्म पर काम करने का आइडिया ड्रॉप कर दिया. क्योंकि उन्हें लगता था कि जिस किस्म की फिल्म बन चुकी है, उस आइडिया को रिपीट करने का कोई अर्थ नहीं है.
खैर, हम चाणक्य की बात कर रहे थे. दिलीप कुमार और बी.आर.चोपड़ा तमाम कोशिशों के बावजूद चाणक्य की कहानी पर फिल्म नहीं बना पाए. मगर अजय देवगन जल्द ही चाणक्य का रोल करने जा रहे हैं. 'बेबी' और 'स्पेशल 26' जैसी फिल्में बना चुके नीरज पांडे चाणक्य की कहानी पर फिल्म बनाने जा रहे हैं, जिसमें अजय देवगन मुख्य भूमिका निभाएंगे. इस फिल्म की तकरीबन सारी तैयारियां हो चुकी हैं. फिल्म अगले कुछ समय में शूटिंग फ्लोर पर जाने वाली है.