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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर बार-बार क्यों हो रहा है हमला?

इसी साल मार्च में 500 लोगों की भीड़ ने ढाका में इस्कॉन मंदिर पर हमला किया.

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सांकेतिक तस्वीर (फोटो-आजतक)

बांग्लादेश में एक बार फिर से मजहब के नाम पर उन्मादी भीड़ ने हिंदू घरों और एक मंदिर को अपना निशाना बनाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूरी कहानी शुरू हुई 21 साल के एक लड़के की फेसबुक पोस्ट से. जिसमें हजरत मुहम्मद की तौहीन की गई थी. क्या है पूरा मामला? 

प्रशासन के लिहाज से बांग्लादेश आठ हिस्सों से मिलकर बना है. बांग्लादेश में इन्हें विभाग कहा जाता है. बांग्लादेश के आठ विभागों के नाम हैं, रंगपुर, मैमनसिंह, चटगांव, राजशाही, ढाका, बारीसाल, सिलहट और खुलना. हर विभाग के अंदर आते हैं जिले, और जिले से छोटी इकाई होती है उपजिला.

आकार के हिसाब से खुलना बांग्लादेश का दूसरा सबसे बढ़ा विभाग है. जिसमें 10 जिले आते हैं. खुलना के एक जिले का नाम है नरैल. नरैल के अंदर तीन उपजिले हैं, नरैल सदर, कालिया, और लोहागर. यहां की कुल जनसंख्या है सात लाख, 21 हजार. जिनमें 18.65% हिन्दू हैं. हिंसा का ताज़ा मामला नरैल के लोहागर जिले से जुड़ा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुक्रवार, 15 जुलाई को जुम्मे की नमाज के बाद लोहागर में भीड़ इकठ्ठा शुरू होने लगी. ये सब लोग मिलकर दिघालिया बाजार इलाके में पहुंचे. भीड़ ने देखते ही देखते इलाके के हिंदू घरों पर हमला कर दिया. पुलिस के अनुसार भीड़ का आक्रोश का कारण थी एक फेसबुक पोस्ट. 21 साल के आकाश साहा ने कथित तौर पर हजरत मुहम्मद की तौहीन की थी. जिसके बाद भीड़ आक्रोशित हो गई. दीघलिया बाजार में आकाश के पिता अशोक साहा की परचून की दुकान है. भीड़ ने सबसे पहले इसी दुकान को निशाना बनाया. इसके बाद भीड़ आकाश के घर पहुंची और घर के एक हिस्से को आग लगा दी. इसके बाद भीड़ ने एक मंदिर को भी निशाना बनाया. मंदिर में घुसकर इन लोगों ने वहां के फर्नीचर के साथ तोड़फोड़ की. इसके अलावा करीब दर्जन भर हिन्दू घरों पर भी हमला हुआ.

शाम तक पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालत पर काबू पाया. इस दौरान आंसू गैस का भी सहारा लिया गया. जिन लोगों ने हिंसा को अंजाम दिया, उनके बारे में पुलिस की तरफ से कहा गया कि शिनाख्त नहीं हो पाई है. लेकिन आकाश साहा के पिता को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने आकाश की खोजबीन की लेकिन वो तब तक फरार हो चुका था. 17 जुलाई यानी कल रविवार को पुलिस ने आकाश को भी गिरफ्तार कर लिया. उसे खुलना के दुमुरिया उपजिले से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. जहां उसे तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज़ दिया गया.

द डेली स्टार अखबार के अनुसार इस हमले के बाद स्थानीय हिन्दू परिवारों में दहशत का माहौल है. ऐसा ही एक परिवार है दीपाली राना साहा का. दीपाली पूर्व में दिघालिया यूनियन परिषद की मेंबर रह चुकी है. अखबार के साथ बातचीत में उन्होंने बताया, 

“पहले एक भीड़ आई. उन्होंने हमारा सारा कीमती सामान लूट लिया. इसके बाद दूसरी भीड़ आई. घर में कुछ बचा नहीं था, इसलिए उन्होंने घर को आग लगा दी” 

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार दिघालिया में अधिकतर हिंदू परिवार घर छोड़कर जा चुके हैं. कुछ बुजुर्ग बचे हैं और वो भी डर के साए में रह रहे हैं. प्रशासन की तरफ से गांव में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि न ये पहली घटना है, न आख़िरी होने वाली है. 

नरैल से आनेवाले बांग्लादेश के MP का नाम आपको सुना हुआ लगेगा. मशरफे मुर्तजा, बांग्लादेश क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने घटनास्थल का जायज़ा लेकर पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात की. और उन्हें मदद का भरोसा दिया. हालांकि भरोसे का ये सिलसिला काफी लम्बा और पुराना हो चुका है. लीगल राइट्स ग्रुप आइन-ओ-सलिश के अनुसार बांग्लादेश में पिछले आठ सालों में हिन्दुओं पर 3679 हमले हो चुके हैं. 

एक महीने में नरैल में सांप्रदायिक तनाव की ये दूसरी घटना है. इससे पहले 12 जून को खुलना विभाग के बागेरहाट जिले में ऐसी ही एक घटना हुई थी. तब एक हिन्दू युवक के घर पर हमला कर उसे जला डाला गया था. युवक पर नूपुर शर्मा का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद युवक और उसके परिवार को घर छोड़कर भागना पड़ा था. 
पिछले सालों में बांग्लादेश में सांप्रदायिक घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है. जिनका निशाना बनते हैं अल्पसंख्यक हिन्दू.

पिछले साल अक्टूबर में में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान पंडालों में तोड़फोड़ और हिंदू मंदिरों पर हमले की खबर आई थी. बांग्लादेश में नवरात्रि के लिए लगाए गए पंडाल को कट्टरपंथियों ने तहस-नहस कर दिया था. घटना ढाका से 100 किलोमीटर दूर चांदपुर जिले में हुई थी. कट्टरपंथियों की हिंसक भीड़ ने दुर्गा पूजा पंडाल पर हमला किया था. उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचाया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा में 4 लोगों की मौत और 50 लोगों के घायल होने की खबर आई थी. तब भी मामला ईश निंदा से जुड़ा था. कहा गया कि एक दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान का अपमान किया गया. ये बात सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो बवाल मच गया. 13 से 19 अक्टूबर तक चली हिंसा में 11 से अधिक लोगों की हत्या हुई और 50 से अधिक मंदिरों को तोड़ दिया गया था 

इसके बाद इसी साल मार्च में 500 लोगों की भीड़ ने ढाका में इस्कॉन मंदिर पर हमला किया. 

हमले में मंदिर में तोड़ फोड़ की गई और मंदिर परिसर में रखी कई कीमती चीज़ों को लूट लिया गया था. इस हमले में एक व्यक्ति के मरने की भी खबर आई थी. 
तमाम घटनाओं के बाद शेख हसीना सरकार की तरफ से कड़े कदम का आश्वासन दिया गया. लेकिन आश्वासन पर कितना अमल हुआ, ये सबके सामने है. ताजा घटनाक्रम के बाद भी स्थानीय प्रशासन की तरफ से शान्ति की बात कही गई है. हालांकि किसी को पकड़ना तो दूर, पुलिस अब तक आरोपियों की शिनाख्त तक नहीं कर पाई है.

बांग्लादेश के चैप्टर को यहीं पर क्लोज़ करते हुए चलते हैं ब्रिटेन की ओर. यहां मुल्क के नए रहनुमा की खोज जारी है. पहले संक्षेप में समझ लेते हैं अब तक क्या हुआ? 

7 जुलाई को बॉरिस जॉनसन ने कंजर्वेटिव पार्टी के लीडर पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. जिसके बाद अगले लीडर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई. पहले दो दौर की वोटिंग में सबसे ज्यादा मत मिले भारतीय मूल के ऋषि सुनक को. सुनक बॉरिस जॉनसन की कैबिनेट में वित्त मंत्री रह चुके हैं. और शुरुआत से ही माना जा रहा था कि वो मजबूत दावेदारी पेश करेंगे. ऐसा ही हुआ भी. सोमवार यानी आज तीसरे राउंड की वोटिंग होनी है. आज की वोटिंग के बाद सिर्फ चार लोग पद के दावेदार रह जाएंगे. पहले दो राउंड में लगातार सबसे ज्यादा वोट पाने के बाद सूनक का हौंसला बुलंद है. हालांकि रेस अभी लम्बी है. भारतीय मूल का पहला ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने के लिए सुनक के सामने चार लोग खड़े हुए हैं. सुनक को टक्कर देने वाली सबसे मजबूत कैंडिडेट हैं. पेनी मोर्डेंट. कौन हैं ये, जरा इनकी कहानी पर भी नजर डाल लेते हैं.

ऋषि सुनक फोटो-AP

नौसैनिक परिवार में जन्मी पेनी मोर्डेंट का नाम एक ब्रिटिश बैटल शिप, HMS पेनेलोपी पर रखा गया था.बड़ी होकर पेनी मोर्डेंट ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में नौकरी की. आगे चलकर मशहूर ब्रिटिश जादूगर विल एलिंग की सेक्रेटरी भी बनी. इसके बाद कंजर्वेटिव पार्टी से जुड़ी और पार्टी के यूथ विंग की लीडर चुनी गई. साल 2003 में उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी की तरफ से अपना पहला चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं. इसके बाद साल 2010 में पोर्टस्मथ नार्थ से चुनाव जीती और ब्रिटिश संसद तक पहुंची. 2015 में मोर्डेंट को आर्म्ड फोर्सेस मंत्रालय का जिम्मा दिया गया. ये पद हासिल करने वाली वो पहली महिला थीं. साल 2019 में उन्होंने ब्रिटेन की पहली महिला रक्षा मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया. बॉरिस जॉनसन की सरकार में उन्होंने ट्रेड मिनिस्टर का पद संभाला था. ये तो हो गई मोर्डेंट के रिकॉर्ड की बात. इनकी पॉलिटिक्स क्या है?

कंजर्वेटिव पार्टी में मोर्डेंट के सहयोगियों का मानना है कि मोर्डेंट पूर्व प्रधानमंत्री ‘थेरेसा मे’ के नक़्शे कदम पर चलती आई हैं. कंजर्वेटिव पार्टी के अधिकतर नेताओं की तरह मोर्डेंट भी ब्रेक्सिट की समर्थक रही हैं. मोर्डेंट को कंजर्वेटिव पार्टी के रबर चिकन सर्किट का हिस्सा माना जाता है. ‘रबर चिकन’ एक तंज है जो नेताओं के सम्मलेन में मिलने वाले खाने के लिए उपयोग होता है. रबर चिकन सर्किट यानी वो नेता जो अलग-अलग सम्मेलनों में जाकर भाषण देते हैं. जानकारों के अनुसार संसद के अंदर में मोर्डेंट समर्थक कम है. लेकिन संसद के अंदर ऋषि सूनक जैसी पकड़ रखते हैं, वैसी ही पकड़ मोर्डेंट संसद के बाहर पार्टी मेम्बर्स के बीच रखती हैं. 

ये बात बहुत मायने रखती है. क्यों?

क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी के लीडर की लिए होने वाली आख़िरी राउंड की वोटिंग में पार्टी के 2 लाख मेम्बर्स वोट डालेंगे. वहां पार्टी मेम्बर्स के बीच पकड़ से ही तय होगा की अगला प्रधानमंत्री कौन होगा. 

ब्रिटेन के अखबारों में मोर्डेंट का यही गेम प्लान बताया जा रहा है. वो आख़िरी राउंड से पहले किसी भी तरह बस टॉप टू में बने रहना चाहती हैं. मोर्डेंट के इस गेम प्लान का बयान सट्टा बाजार भी कर रहा है, जहां मोर्डेंट की जीत की ज्यादा संभावना बताई जा रही है. मोर्डेंट ने वादा किया किया है, सरकार में आते ही वो तेल पर लगने वाले टैक्स पर कटौती करेंगी, और महंगाई पर काबू पाने के लिए कड़े कदम उठाएंगी.

मोर्डेंट के बाद बाकी उम्मेदवारों के बारे में भी जान लेते हैं. 

रेस में अभी तीसरे नंबर पर हैं लिज़ ट्रस. जिनके पास सरकार में काम करने का, मोर्डेंट और सूनक से ज्यादा अनुभव है. 2010 से संसद की सदस्य हैं. पूर्व प्रधानमंत्री, डेविड कैमरन और थेरेसा की कैबिनेट का हिस्सा रह चुकी हैं. वर्तमान में ट्रस विदेश मंत्री के पद पर काबिज़ हैं. दूसरे राउंड की वोटिंग में ट्रस को 64 वोट मिले थे. प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने तत्काल कर कटौती की घोषणा की है. चूंकि महंगाई ब्रिटेन में सबसे बड़ा मुद्दा है, इसलिए सभी उम्मीदवारों में महंगाई में काबू पाने का वादा किया है.

लिज़ ट्रस के बाद अगले नंबर पर हैं, केमी बडेनोच. लेवलिंग उप मंत्री रह चुकी केमी मूल रूप से नाइजीरिया की हैं. दूसरे राउंड में उन्हें 49 वोट मिले थे. जानकारों का कहना है कि अगले राउंड में केमी बाहर हो सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो ऋषि सूनक और पेनी मोर्डेंट उनके हिस्से के वोटों को अपनी तरफ लाने की भरपूर कोशिश करेंगे.
पांचवे और आख़िरी नंबर पर हैं, टॉम टुगेंडहट जिन्हें दूसरे राउंड में सिर्फ 32 वोट मिले थे.

लिज़ ट्रस AP

पांचो उम्मीदवारों की हिस्ट्री जानने के बाद इस वीकेंड हुए घटनक्रम को जानते हैं. 
सोमवार के पांचवे राउंड की वोटिंग के पहले पांचों उम्मीदवारों के बीच एक टीवी डीबेट हुई. वोटिंग से पहले अपनी बात रखने का ये मौका था. सूनक चूंकि सबसे आगे चल रहे हैं, सबसे ज्यादा निशाने पर भी वही आए. कुछ महीने पहले सूनक की पत्नी अक्षता का नाम ख़बरों में आया था. सूनक ने बताया था कि टैक्स बचाने के लिए अक्षता ने ब्रिटिश नागरिकता नहीं ले रखी है.

टीवी डीबेट की शुरुआत से ही तमाम उम्मीदवारों ने इस बात पर सूनक पर निशाना साधा.

रेस में तीसरे नंबर पर चल रही लिज़ ट्रस सबसे ज्यादा हमलावर नजर आई. लिज़ ट्रस ने सूनक टैक्स बढ़ाने के प्लान को बकवास बताया. वहीं पेनी मोर्डेंट ने कहा, लोग पहले से महंगाई से परेशान हैं और सूनक टैक्स बढ़ाकर और परेशानी बढ़ाना चाहते हैं. पूरी बहस के दौरान महंगाई का मुद्दा प्रमुख रहा. वहीं कुछ मुद्दे थे जिन पर सभी सहमत थे. जब पूछा गया कि क्या वो पूर्व प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन को अपनी कैबिनेट में हिस्सा देंगे, सभी ने ‘ना’ में हाथ उठाया. एक सवाल ये भी था कि क्या प्रधानमंत्री बनने के बाद आम चुनाव करवाएंगे, इस पर भी सभी ने ‘नहीं’ में जवाब दिया.

जनता क्या कह रही है?

JL पार्टनर्स की तरफ से किए गए एक पोल में 49% लोगों ने कहा है कि सूनक एक बेहतर प्रधानमंत्री होंगे. इस पोल में सिर्फ उन लोगों की राय ली गई थी, जिन्होंने 2019 चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी को वोट दिया था. इस पोल के अनुसार फॉरेन सेक्रेटरी लिज़ ट्रस 39% के साथ लोगों की दूसरी पसंद थीं. वहीं पेनी मोर्डेंट को इस पोल में 33% लोगों ने बेहतर उमीदवार बताया.

जनता की राय के बाद जानते हैं, आज क्या होगा?

कंजर्वेटिव पार्टी के 358 सदस्य तीसरे राउंड की वोटिंग में हिस्सा लेंगे. जिसके बाद एक और उम्मीदवार रेस से बाहर हो जाएगा या जाएगी. रिपोर्ट्स के अनुसार संभवतः बुधवार तक आख़िरी दो उम्मीदवारों का फैसला हो जाएगा. जिसके बाद पार्टी के 2 लाख मेम्बर्स के बीच वोटिंग होगी. आख़िरी वोटिंग से पहले उम्मीदवार अपने लिए वोट जुटाने के लिए देश भर का दौरा करेंगे. अगर सब कुछ ठीक टाइम टेबल से चला, 5 सितम्बर तक तय हो जाएगा कि ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा. 

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