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इस बंदे के एक पोस्टर ने भड़काया पूरे चीन में बवाल, अब बंदे का कोई अता-पता नहीं!

पोस्टर लिखकर नीचे आग लगा दी!

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(बाएं से दाएं) पिंग लिफा, विरोध प्रदर्शन करते चीनी नागरिक और शी जिनपिंग. (तस्वीरें ट्विटर से ली गई हैं.)

चीन में वो हो रहा है जिसकी कल्पना कम से कम पिछले एक दशक में किसी ने नहीं की थी. माओ जिदांग के बाद चीन के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नागरिक सड़कों पर उतर आए हैं. बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं. कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार और उसके महासचिव के खिलाफ लग रहे नारों से चीन की सड़कें गूंज रही हैं. राजधानी बीजिंग और औद्योगिक केंद्र शंघाई समेत कई प्रमुख चीनी शहरों में 'शी जिनपिंग इस्तीफा दो' का नारा चल रहा है.

अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के मुताबिक ये विरोध चीन के यूनिवर्सिटी कैंपसों तक पहुंच चुका है. इसका सीधा मतलब है कि चीन के युवा इस प्रोटेस्ट में शामिल हैं. विरोध के दौरान ये मांग भी उठ गई है कि चीन के लोगों को अब लोकतांत्रिक सरकार चाहिए. यकीनन ये कहना जल्दबाजी है कि ये विरोध प्रदर्शन जिनपिंग को सत्ता से बाहर करने का दम रखते हैं, लेकिन ये कहना बिल्कुल जल्दबाजी नहीं है कि मौजूदा चीनी सरकार को लेकर लोगों के मन में गुस्सा है जो अब सड़कों पर भी दिख रहा है.

अकेले चने ने भाड़ फोड़ दिया

शी जिनपिंग और उनकी सरकार के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शनों के चलते एक शख्स का नाम हर जगह लिया जा रहा है. पेंग लिफा (Peng Lifa). रिपोर्टों के मुताबिक चीन की कोविड नीति के खिलाफ सबसे पहले इसी व्यक्ति ने मोर्चा खोला था. वो भी ऐसे अंदाज में जिसकी जिनपिंग राज में कल्पना भी नहीं की जा सकती. 13 अक्टूबर के आसपास का वाकया है. बीजिंग के एक ओवरपास ब्रिज पर पेंग लिफा ने बैनर टांग दिए और लोगों का ध्यान खींचने के लिए वहां आग लगा दी. वो पहले से नारे रिकॉर्ड करके लाए थे जिन्हें उन्होंने लाउडस्पीकर से चला दिया. सफेद कपड़े से बने बैनर पर लाल रंग के शब्दों से यही नारे लिखे थे.

"अब टेस्टिंग नहीं, रोटी चाहिए.
लॉकडाउन नहीं, आजादी चाहिए.
झूठ नहीं, सम्मान चाहिए.
सांस्कृतिक क्रांति नहीं, बदलाव चाहिए.
कम्युनिस्ट पार्टी का शासक नहीं, असली चुनाव चाहिए.
हुक्म मानने वाले लोग नहीं, नागरिक चाहिए."

एक अन्य बैनर पर लिखा था,

"छात्रों आंदोलन करो, कामगारों आंदोलन करो, तानाशाह को हटा दो, शी जिनपिंग चोर है."

चीन की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी छोड़िए जिनपिंग के पूरे कार्यकाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के खिलाफ ऐसा विरोध याद नहीं पड़ता, वो भी केवल एक व्यक्ति द्वारा.

ये कांड करके पेंग लिफा ने 'एक अकेला क्या भाड़ फोड़ेगा' वाली बात गलत साबित कर दी. बीजिंग के ओवरपास ब्रिज पर इस कन्स्ट्रक्शन वर्कर ने जो मांगें उठाईं, आज वही प्रदर्शनकारियों की जुबान बन गई है. लोगों ने पेंग को 'ब्रिज मैन' और 'New Tank Man' जैसे नाम दे दिए हैं. वो इस विरोध प्रदर्शन के पोस्टर बॉय नहीं हैं, लेकिन शी जिनपिंग के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने की हिम्मत उन्होंने ही दिखाई. पुलिसकर्मियों ने ब्रिज पर टंगे उनके बैनरों को आग लगा दी थी. लेकिन पेंग लिफा की लगाई 'आग' को बुझाना शी जिनपिंग के लिए चुनौती बन गया है. लोग उसी ब्रिज के नीचे जाकर नारे लगा रहे हैं, जहां एक महीना पहले पेंग ने बैनर लगाए थे.

पेंग लिफा ने इसकी कीमत भी चुकाई है. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के मुताबिक चीनी सरकार के खिलाफ बोलने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. तब से उनका पता नहीं है. हमने गूगल पर उनके बारे में लेटेस्ट अपडेट्स जानने की कोशिश की, लेकिन कुछ मिला नहीं. 

कोविड ने बढ़ा दी सरकार की मुश्किल

चीन में कोरोना वायरस का संकट लौटा है. इस बार मुसीबत ज्यादा बड़ी है. पिछले कुछ दिनों से प्रतिदिन दर्ज होने वाले मामलों की संख्या हर दिन नया रिकॉर्ड बना रही है. अब इसे रोकने के लिए चीन की सरकार जो कदम उठा रही है, उनसे नागरिकों का माथा ठनक गया है. चीन की कोविड रोकथाम की नीति बहुत ज्यादा सख्त रही है. कोरोना के केस जरा भी बढ़ते हैं तो सरकार बहुत सख्त लॉकडाउन लगा देती है. जरूरी कामों के लिए भी लोगों का घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया जाता है. मजबूरी में नियमों का उल्लंघन करना पड़े तो सीधे जेल होती है, जुर्माना लगता है. तमाम गैर-जरूरी काम-धंधे बंद हो जाते है जिसका सीधा असर नागरिकों की आजीविका पर पड़ता है.

पिछले करीब तीन सालों से ये सब झेलते-झेलते चीनी नागरिक अधीर हो चुके हैं. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में बताया गया है कि नए कोरोना संकट से निपटने के लिए शी जिनपिंग सरकार ने फिर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी लागू की तो नागरिक भड़क गए. इस बीच हाल में हुई एक घटना ने गुस्से की आग को हवा दे दी. शिनजियांग जिले के उरुम्की इलाके में एक अपार्टमेंट में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई. आरोप लगे कि कोविड महामारी को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से घटना के पीड़ितों को नहीं बचाया जा सका. इसके बाद जो हुआ वो अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सबसे बड़ी सुर्खी बन चुका है.

चीन में सड़कों परउतरे लोग शी जिनपिंग का इस्तीफा क्यों मांग रहे?