The Lallantop

शिंदे का सपोर्ट करने वाले उद्धव के भाई जयदेव, जिन्होंने बाल ठाकरे की वसीयत पर केस कर दिया था

शिंदे गुट के दशहरा उत्सव में शामिल होने पहुंचे थे जयदेव ठाकरे.

post-main-image
दशहरा उत्सव पर एकनाथ शिंदे के साथ जयदेव ठाकरे. (फोटो: ANI)

मुंबई में एक फोटो एग्जिबिशन लगा था. इसके आयोजक थे बाल ठाकरे के बेटे, जयदेव ठाकरे. बड़ा एग्जिबिशन था. कुछ नामचीन स्मोकर्स की तस्वीरों का कलेकक्शन लगा था. नाम था स्मोकिंग पाइप्स. एग्जिबिशन का उद्घाटन करने बाल ठाकरे खुद आये थे. जयदेव अपने पिता को तस्वीरें दिखा रहे थे. एक फोटो पर थोड़ा ठिठक गए. फोटो थी जवाहर लाल नेहरू की. जयदेव ने कहा- 'चालू आदमी था'. तबतक बाल ठाकरे को एक और तस्वीर दिखी. उनकी खुद की. उन्होंने जयदेव से पूछा- 'और इसके बारे में क्या सोचते हो? ये भी चालू है?' जयदेव ने जवाब दिया- 'नहीं. क्योंकि इनकी वजह से कई मराठियों का चूल्हा अब भी चालू है'.

ये किस्सा हमने टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर से उधार लिया है. और ये वही जयदेव ठाकरे हैं, जिन्होंने बाल ठाकरे के निधन के बाद उनकी वसीयत को कोर्ट में चैलेंज कर दिया. वही जयदेव ठाकरे, जिनके बारे में कहा जाता है कि इनकी अपने छोटे भाई उद्धव ठाकरे से कभी बनी नहीं. वही जयदेव, जो 5 अक्टूबर को दशहरा उत्सव पर एकनाथ शिंदे के मंच पर पहुंचे और कहा,

“पिछले एक हफ्ते से हर कोई मुझसे पूछ रहा है कि क्या मैं शिंदे खेमे में शामिल हो गया हूं. ठाकरे किसी गुट में नहीं हो सकते. मुझे शिंदे के विचार पसंद हैं. मैं उनके प्यार की वजह से यहां आया हूं.”

जयदेव ठाकरे 

जयदेव ठाकरे परिवार के मझले लड़के हैं. बाल ठाकरे और उनकी पत्नी मीनाताई के तीन बेटे हुए. बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव. 20 अप्रैल, 1996 को बिंदुमाधव की एक सड़क हादसे में मौत हो गई. अक्सर बीच वाले बच्चे ये शिकायत करते हैं कि मम्मी-पापा कम प्यार करते हैं. परिवार में जयदेव की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही. कहा जाता है कि वो घर में पराए से रह गए.

शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक इंटरव्यू के दौरान बाल ठाकरे ने यहां तक कह दिया था कि- 'दैट बॉय इज ए ट्रेजेडी' माने 'वो लड़का एक त्रासदी है'.

बाल ठाकरे का ये बयान, बाप और बेटे के रिश्ते की उलझनों को बयां करने के लिए काफी था. बताया जाता है कि बाला साहेब अपने दूसरे बेटे की शादी टूटने के बाद ज्यादा खफा हो गए थे. 90 के दशक की शुरुआत में जयदेव और उनकी पहली पत्नी का तलाक हुआ. इसके बाद उन्होंने स्मिता ठाकरे से शादी कर ली.

स्मिता की ठाकरे परिवार से अलग एक पहचान है. उनका खुद का एक प्रोडक्शन हाउस है और वो मुक्ति फाउंडेशन नाम से एक NGO भी चलाती हैं. दोनों के दो बेटे हैं राहुल और ऐश्वर्य. लेकिन शादी के कुछ समय बाद स्मिता और जयदेव के रिश्ते में भी दरार आने लगी. लेकिन तबतक स्मिता ने ससुराल के साथ-साथ अपने ससुर के दिल में भी खास जगह बना ली थी. ये दौर था, जब कहा जाता था कि बाला साहेब की फेवरेट बहूं स्मिता ठाकरे हैं. 

लेकिन 90 का दशक खत्म होते होते पति-पत्नी के बीच आपसी झगड़े इतने बढ़ गए थे कि जयदेव ने खुद ही घर छोड़ दिया. हालांकि, स्मिता मातोश्री में रहीं. स्मिता 2004 तक ठाकरे परिवार के साथ ही रहीं, जब तक जयदेव और स्मिता के बीच तलाक नहीं हो गया.

इसके बाद जयदेव ने अनुराधा से तीसरी शादी कर ली. अनुराधा से उनकी माधुरी नाम की एक बेटी भी है. घर छोड़ने के बाद सालों तक जयदेव और बाल ठाकरे के बीच रिश्ते लगभग ना के बराबर रहे. कुछ साल बाद जब जयदेव की तबीयत ज्यादा खराब हुई, तब बाल ठकरे उन्हें देखने अस्पताल गए. इसके बाद वो जयदेव के घर भी गए और उन्होंने बेटे की फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया.

वसीयत के खिलाफ मुकदमा कर दिया

17 नवंबर, 2012 को बाला साहेब ठाकरे का निधन हो गया. उनकी मृत्यु के बाद जयदेव ने उनकी वसीयत को बॉम्बे हाई कोर्ट में चैलेंज कर दिया. बाल ठाकरे ने अपनी जायदाद का ज्यादातर हिस्सा उद्धव ठाकरे और परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम किया था. लेकिन मातोश्री की पहली मंजिल स्मिता और उनके बेटे ऐश्वर्य के नाम की.

कोर्ट में केस करते हुए जयदेव ने कहा था कि वसीयत लिखते समय बाल ठाकरे की दिमागी स्थिति ठीक नहीं थी और उद्धव ने उन्हें बहलाकर प्रॉपर्टी अपने नाम कर ली. हालांकि, जयदेव ने ये केस 2018 में वापस ले लिया और इसकी कोई वजह भी नहीं बताई.

लेकिन इस केस की सुनवाई के दौरान 2016 उनका एक बयान काफी चर्चा में रहा. इंडिया टुडे के रिपोर्टर रित्विक भालेकर के मुताबिक, जयदेव ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ऐश्वर्य मेरा बेटा है या नहीं.

सुनवाई के दौरान उन्होंने एक और बयान दिया था. फर्स्ट पोस्ट की खबर के मुताबिक, कोर्ट में एक सवाल के जवाब में जयदेव ने कहा कि- 70 के दशक में पिता से उनके काफी अच्छे संबंध थे. बाल ठाकरे उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे.

लेकिन जयदेव अपने एक बयान में ये भी कहते हैं कि- मैं डर्टी पॉलिटिक्स में जाने से डर्टी पिक्चर देखना ज्यादा पसंद करूंगा.

वीडियो: उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसे फायदा?