अयोध्या में ऐसे आया मिश्र राजपरिवार कहते हैं अयोध्या राज परिवार में कई पीढ़ियों तक कोई वारिस पैदा नहीं हुआ था. ऐसे में बच्चे को गोद लेकर अयोध्या का वारिस बनाया गया था. बच्चा मिश्र परिवार से गोद लिया गया. ऐसे में अयोध्या के पूर्व राज परिवार में मिश्र सरनेम शुरु हुआ.

विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को राम जन्मभूमि ट्रस्ट में शामिल किया गया है.
विमलेंद्र ने अयोध्या में ही पढ़ाई की. मां ने राजनीति में जाने से मना किया था. बहुत सालों तक वे राजनीति से दूर रहे. लेकिन कई साल बाद 2009 में वे बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा. हार गए. इसके बाद पॉलिटिक्स से दूरी बना ली. उनके एक छोटे भाई भी हैं. जिनका नाम शैलेंद्र मोहन मिश्र हैं. विमलेंद्र के बेटे यतींद्र मिश्र साहित्यकार हैं और वे विविध भारती में भी सेवाएं दे चुके हैं.
मस्जिद ढहाई जा रही थी और महल में बैठे थे विमलेंद्र हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि जब बाबरी मस्जिद ढहाई जा रही थी तब वह महल में बैठे थे. वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा का कहना है कि 90 के दशक में विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को कांग्रेस का क़रीबी माना जाता था. वे कहते हैं कि ध्वंस के बाद अस्थायी मंदिर के निर्माण में उनका बहुत बड़ा रोल था.

विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या के वर्तमान राजा हैं.
वाजपेयी ने मांगी थी मदद विमलेंद्र अयोध्या के राजपरिवार से होने की बात को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं. वे राजसी पोशाक में फोटो खिंचाने से भी बचते हैं. साल 2002 में बीजेपी ने शिलादान कार्यक्रम शुरू किया था. लेकिन विमलेंद्र के दखल के बाद इस अभियान को ज्यादा उछाल नहीं दिया गया. उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र से मदद मांगी थी. लेकिन 'राजा साहब' ने कार्यक्रम को ठंडा रखने को ही कहा.
Video: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या ज़मीन विवाद के बाद बारी है RTI, रफाल और सबरीमाला की