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बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का वो अनकहा सच, जो आप नहीं जानते

शास्त्री पर छुआछूत फैलाने और नफरत भरे बयान देने के आरोप लगते रहे हैं.

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तस्वीर - सोशल मीडिया

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, जिन्हें उनके अनुयायी कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज या बागेश्वर धाम सरकार कहते हैं. इन दिनों एक बड़े विवाद के भंवर में फंसे हुए हैं. नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उनके खिलाफ महाराष्ट्र के जादूटोना विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग हुई और चुनौती दी गई कि अगर वो वाकई सबके बारे में सब जान लेते हैं, तो अंधश्रद्धा उन्मूलन समीति के सामने आएं. अगर वो जीत गए, तो उन्हें 30 लाख रुपये दिये जाएंगे. इल्ज़ाम है कि धीरेंद्र शास्त्री ने चैलेंज स्वीकार नहीं किया और जो कार्यक्रम 13 जनवरी तक चलना था, उससे 11 जनवरी को ही लौट गये.

बागेश्वर धाम मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले में गढ़ा नाम के एक गांव में है. छतरपुर को आप ऐसे नहीं पहचान पा रहे, तो हम बता दें, विश्व विरासत माने गये खजुराहो के मंदिर छतरपुर में ही हैं. इस ज़िले का नाम महाराजा छत्रसाल के नाम पर पड़ा है, जिन्हें बुंदेलखंड राज्य का जनक माना जाता है. इन दिनों छतरपुर की चर्चा बागेश्वर धाम के चलते भी हो रही है. सो हमने स्थानीय सूत्रों से धीरेंद्र शास्त्री के ऊरूज तक पहुंचने की दिलचस्प कहानी जानी.

तो बात ऐसी है कि गढ़ा गांव में एक पहाड़ी पर शंकर जी की एक मूर्ति स्थापित थी. पास में ही गांव के लोग अंतिम संस्कार करते थे. स्थानीय लोग इसे एक वक्त मरघट पहाड़ी ही बुलाते थे. बुंदेलखंड एक पिछड़ा इलाका है और देश के बाकी हिस्सों की तरह ही यहां भी कुछ लोग तंत्र-सिद्धी, जिसे आप सादी भाषा में जादू-टोना कह सकते हैं, उसमें मानते हैं. जब लोग परेशान होते हैं, या उनके यहां कोई रोगी लंबे समय तक ठीक नहीं होता, तब वो मायूस होकर इस तरफ मुड़ते हैं. और स्वाभाविक रूप से ये काम श्मशान के करीब, माने मरघट पहाड़ी के करीब लंबे समय से होता आया. लेकिन छोटी स्केल पर.

धीरेंद्र शास्त्री के दादाजी ने शंकर जी के पास ही बालाजी माने हनुमान की मूर्ति स्थापित करवाई. वो मंदिरों में ही पूजा वगैरह करते थे. और इन्हें दादा गुरु कहा गया. दादा गुरु के समय से ही शास्त्री परिवार का संबंध उस जगह से हुआ, जिसे आज बागेश्वर धाम कहा जाता है. दादा गुरु के समय भी मरघट पहाड़ी इलाके में झाड़-फूंक का काम चलता रहा. दादा गुरु के बेटे, माने धीरेंद्र शास्त्री के पिता खेती करते थे. लेकिन धीरेंद्र शास्त्री ने मरघट पहाड़ी का रुख किया. उनकी शिक्षा के बारे में हमें स्पष्ट जानकारी नहीं मिली.

लेकिन सूत्रों ने बताया कि कुछ साल पहले धीरेंद्र शास्त्री छतरपुर आए और उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें स्थानीय मीडिया को बुलाया गया. यहां प्रेस के सामने धीरेंद्र शास्त्री ने कथित रूप से पत्रकारों से कहा कि हमारा एक सिद्ध स्थान है, गढ़ा. यहां आकर आप लोग दर्शन कीजिए और चमत्कार देखिये. पत्रकारों ने पूछा कि चमत्कार क्या है. तब जवाब आया कि गढ़ा स्थित पहाड़ी पर शंकर जी के मंदिर में यदि बल्ब लगाया जाए, तो वो फूट जाता है. इसीलिए मंदिर में सिर्फ दीये की रोशनी की जाती है. इसीलिए लोगों की आस्था है.

उस वक्त प्रेस ने धीरेंद्र शास्त्री में ज़्यादा दिलचस्पी ली नहीं. क्योंकि बुंदेलखंड में बाबाओं और उनके चमत्कारों की कहानियां नई नहीं हैं. तो कथित चमत्कार की छिट-पुट रिपोर्टिंग ही हो पाई. लेकिन समय के साथ धीरेंद्र शास्त्री से ऐसे लोग जुड़े जो उन्हें सोशल मीडिया की दुनिया में लेकर आए. इसके बाद, उन्हें मीडिया के रास्ते होने वाले प्रचार की उतनी आवश्यकता नहीं पड़ी.
सोशल मीडिया के अलावा, धीरेंद्र शास्त्री की दूसरी ताकत बना टीवी. न्यूज़ वाला नहीं. धर्म वाला.

एक धार्मिक चैनल ने पिछले 3-4 सालों में धीरेंद्र शास्त्री के साथ मिलकर बड़ी-बड़ी भागवत कथाएं शुरू कीं. स्थानीय मीडिया के कुछ लोग उन्हें नियमित रूप से कवर करने लगे. और सोशल मीडिया तो था ही. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री के नाम के साथ कथावाचक लगने लगा और वो इस स्पेस में छा गए. आज पहाड़ी पर शिव और हनुमान की मूर्तियां हैं. दर्शन के लिये सारी व्यवस्था है. और हनुमान माने बालाजी के यहां ही नारियल बांधकर अर्जी लगाई जाती है, अगर धीरेंद्र शास्त्री से मिलना हो.

पहाड़ी से नीचे पंचायत का एक भवन था, जो अब अच्छे खासे निर्माण के बाद बागेश्वर धाम बन गया है. इसके चलते आसपास की ज़मीनों की कीमत 80 लाख प्रति एकड़ तक पहुंच गई है. और यहां ज़मीन सिर्फ खरीदी ही नहीं जा रही है, आरोप है, कि कब्ज़ाई भी जा रही है. इस इल्ज़ाम की पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर अखबार के संतोष सिंह ने ग्राउंड रिपोर्ट की. वो लिखते हैं कि आज छतरपुर-खजुराहो हाईवे से सटा गढ़ा गांव बागेश्वर धाम के कारण बिजनेस हब बन गया है. रोज हजारों की भीड़ होती है, जो मंगलवार और शनिवार को लाखों में बदल जाती है. इसके चलते दुकानों का एक महीने का किराया सवा लाख रुपए तक पहुंच गया है. संतोष लिखते हैं कि अब गढ़ा में निजी और सरकारी जमीनों पर कब्जे का खेल शुरू हो गया है. सीधा आरोप बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके सेवादारों पर है.

मंदिर से सटे खसरा नंबर 485/2, 482, 483, 428 की जमीन छतरपुर ज़िले में राजनगर तहसील के सरकारी रिकॉर्ड में श्मशान, तालाब और पहाड़ के रूप में दर्ज है. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके सेवादार तालाब को पाटकर अब दुकान बनवा रहे हैं.निर्माण कार्य जोरों से चालू है. श्मशान में शव जलाने पर रोक लगा दी गई है. तहसीलदार ने निर्माण को लेकर एक नोटिस जारी किया है, लेकिन निर्माण जारी है.खसरा नंबर 428 पर अवैध टपरों का निर्माण करके लोगों को किराए पर देकर अवैध वसूली की जा रही है.

संतोष की रिपोर्ट में पंचायत भवन पर कब्ज़े का भी ज़िक्र है, जिसके बारे में हमें अपने सूत्रों ने बताया था. संतोष लिखते हैं कि बागेश्वर धाम के पास सरकारी जमीन पर 12 लाख रुपए की लागत से सामुदायिक भवन बना है, जिसे पंचायत ने अपनी निधि से बनवाया था. अब इस पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का कब्जा है. सामुदायिक भवन के ऊपर निर्माण कर उसे दो मंजिल और बना लिया गया है. इसी भवन में बैठकर वे पेशी पर आए लोगों से मिलते हैं. यहीं पर उनका दरबार भी लगता है. इस भवन को लेकर गांव के लोगों ने कोई विरोध नहीं दर्ज कराया है. बागेश्वर महाराज के प्रभाव के चलते कोई आवाज उठाने की हिम्मत तक नहीं कर पाता. पहले गांव में किसी की शादी के समय में वहां बारात रुकती थी.

अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में संतोष आगे लिखते हैं. बागेश्वर धाम से सटा खसरा नंबर 229 है. ये 1.1185 हेक्टेयर वाली 15 लोगों के निजी स्वामित्व की जमीन है. यहां वे तीन पीढ़ी से खेती करते थे. मौजूदा समय में इस जमीन का स्वामित्व गढ़ा गांव के अर्जुन सिंह, रामकली, लखन, संतोष, जीतेंद्र, प्रभा, अंगूरी, मुला, राजकुंवर, रनमत सिंह, हुकुम सिंह, राजेंद्र सिंह, कमल, हीरा सिंह, सुम्मेर सिंह के नाम पर है. आरोप है कि अब इस जमीन पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके परिवार के लोगों की नजर पड़ गई है.

पटवारी पवन अवस्थी पर भू-स्वामियों को अपनी आधी जमीन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नाम से करने का दबाव डालने का आरोप है. 2 जुलाई 2022 को पुलिस की मौजूदगी में जेसीबी मशीन से इस जमीन पर बने इन परिवारों के टपरों को हटाने का प्रयास किया गया. जेल भेजने की धमकी भी दी गई. इस पर पीड़ित परिवार कोर्ट गए तो वहां स्टे मिल गया. इसके बावजूद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उसके सेवादारों ने आधी रात को जेसीबी लगाकर टपरे हटवा दिए. पीड़ित परिवार 6 दिन तक छतरपुर कलेक्ट्रेट कार्यालय में धरने पर बैठा रहा, पर कोई सुनवाई नहीं हुई.

इस तरह से कई और अपनी जमीन को बेचने पर दबाव की बात स्वीकार करते हैं. मगर लोग खुलकर बोलने से डरते हैं. वो कहते हैं नेता-मंत्री, कलेक्टर, एसपी से लेकर थानेदार तक जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चरणों में मत्था टेकते हों तो हमारी कौन सुनेगा. इस रिपोर्ट से इतर ये तो सच है ही कि धीरेंद्र शास्त्री की पहुंच बहुत ऊपर तक है. मध्यप्रदेश भाजपा और कांग्रेस के स्थानीय नेता, मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और दीगर नेताओं के साथ धीरेंद्र शास्त्री नज़र आ चुके हैं. सूत्रों ने हमें ये तक बताया कि यहां जज साहिबान और पुलिस अधिकारी तक आते हैं.

सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा, श्मशान में मुर्दे जलाने में रोक-टोक और पंचायत के भवन पर निर्माण. धीरेंद्र शास्त्री से जुड़े ये वो विवाद हैं, जिनके बारे में छतरपुर वाले ही ज़्यादा जानते हैं. छतरपुर से बाहर धीरेंद्र शास्त्री से जुड़े दूसरे विवादों की चर्चा ज़्यादा है.

कुछ दिनों पहले धीरेंद्र शास्त्री का एक वीडियो वायरल हुआ.वीडियो नहीं दिखा सकते, क्योंकि उनका खुद का यूट्यूब चैनल है. और हमें वो कॉपी राइट स्ट्राइक भेज सकते हैं. उसमें क्या था, वो बात सकते हैं. दरअसल धीरेंद्र शास्त्री अपने धाम में लोगों की परेशानियों के निवारण का भी दावा करते हैं और काफी संख्या में भक्त उनसे आकर परामर्श लेते हैं.इसी क्रम में एक व्यक्ति जिसका नाम जीवन है, वह बागेश्वर धाम में धीरेंद्र शास्त्री से परामर्श लेने के लिए आया था.जैसे ही उसका नाम पुकारा जाता है वह तुरंत मंच पर आता है और आते ही महाराज धीरेंद्र के पैर छूने का प्रयास करता है।और तब धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं,

'' बस-बस हमें छूना मत, अछूत आदमी हैं हम'' थोड़ी ही देर में धीरेंद्र शास्त्री के एक सहयोगी आते हैं और जीवन को शास्त्री से थोड़ा दूर करते हैं. ये वीडियो वायरल हुआ और कई लोगों ने इसे छुआछूत की प्रैक्टिस बताकर आलोचना की. जब बवाल हुआ, तो 27 मई 2022 को बागेश्वर धाम सरकार (ऑफिशियल) नाम से चलने वाले ट्विटर हैंडल पर सफाई आई. इसमें लिखा गया कि एडिटेड वीडियो को डालकर भ्रामक प्रचार किया गया. अछूत कहकर धीरेंद्र शास्त्री ने खुद को ही संबोधित किया था.

एक और विवादित वीडियो कुछ दिन पहले सामने आया था. उसमें धीरेंद्र शास्त्री, शाहरुख खान की पठान मूवी के बायकॉट का आह्वान करते नजर आते हैं. श्रद्धालुओं से कहते हैं.तुम्हें सौगंध है, पूरे भारत के लोगों को. तुम्हें शपथ है.जो सनातन का विरोध करे, चाहे वो नेता हो या अभिनेता हो. देखो तुम लोगों ने एक अभिनेता की फिल्म बायकॉट की थी तो सारे कलावा बांधने लगे, तिलक लगाने लगे.मंदिर जाने लगे, वो भी जिनके नाम के पीचे K.H.A.N मतलब खान लिखा है. आज शपथ लो दोनों हाथ उठाकर ऐसे लोगों की फिल्म नहीं देखोगे.

ऐसे बयानों की लिस्ट बहुत लंबी है. एक वीडियो में वो कहते हैं, चादर और फादर वालों से दूर रहो. उनका इशारा मुस्लिम और क्रिश्चन धर्मावलंबियों की तरफ था. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था- खुद भी बुल्डोजर खरीदने वाले हैं, पैसा नहीं है वरना हम भी बुल्डोजर खरीदेंगे गांव के काज पर. सनातनियों, महात्माओं पर, संतों पर, भारतीय हिंदुओं पर जो पत्थर चलाएगा, हम उसके घर बुल्डोजर चलाएंगे. कहा- हिंदुओं जगो, जो तुम्हारे घर पर पत्थर फेंके, उसके घर जेसीबी चलाओ.

अब आते हैं नागपुर वाली घटना पर. यहां के रेशीमबाग मैदान में राम चरित्र-चर्चा का आयोजन हुआ जिसमें धीरेंद्र शास्त्री का कथित दिव्य दरबार भी लगना था. कथा की शुरुवात 5 जनवरी को हुई और इसका समापन 13 जनवरी को होना था ,लेकिन 11 जनवरी को  इस कथा का अंतिम दिन बता दिया गया और कार्यक्रम समाप्त हो गया. कारण बताया गया कि अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने 'दिव्य दरबार' और 'प्रेत दरबार' की आड़ में धीरेंद्र शास्त्री पर ‘जादू-टोना’को बढ़ावा देने का आरोप लगा दिया था. महाराष्ट्र में जादू टोने के खिलाफ कानून है, जिसे कहा जाता है  Maharashtra Anti-Superstition and Black Magic Act (2013इसके अलावा समिति ने कहा कि वो उन लोगों के बीच दिव्य चमत्कारी दरबार लगाए और अगर वो ये दावा करते हैं कि सबके बारे में सब जान लेते हैं, तो उनका सच बताएं. अगर वो उनके बारे में सच-सच बता देते हैं, तो वो उसे भेंट स्वरूप 30 लाख रुपए देंगे. लेकिन धीरेंद्र ने चैलेंज स्वीकार नहीं किया. धीरेंद्र शास्त्री कहना है कि उन्हें तो चुनौती मिली ही नहीं.

इसपर हमने अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के अध्यक्ष श्याम मानव से सवाल किया. उन्होंने जवाब देते हुए बताया,

"नागपुर में धीरेंद्र शास्त्री ने राम कथा का आयोजन किया था, इसके साथ में उन्होंने एक दिव्य दरबार लगाने का भी ऐलान किया था. इससे पहले भी कई जगहों पर दिव्य दरबार लग चुका है. और यूट्यूब पर इसकी वीडियोज भी मौजूद हैं. इसी कार्यक्रम में कुछ चीजें ऐसी हैं जो अंधविश्वास को बढ़ावा देती हैं. मेरे पास वो सभी वीडियोज मौजूद है. मैंने पुलिस को भी इन्हें उमलब्ध करवाया है. और महाराष्ट्र में अंधविश्वास और काला जादू करना गैर कानूनी है. इसका प्रचार प्रसार करना भी अपराध है. और इस अपराध में 6 महीने से लेकर 7 सात की सजा भी हो सकती है."

अगर श्याम की बात सही है कि उन्होंने एक से ज़्यादा बार प्रशासन से शिकायत की, तो ये सवाल बड़ा हो जाता है कि फिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? हमने श्याम से ये भी पूछा कि Anti-Superstition and Black Magic Act को महाराष्ट्र सरकार कितनी मज़बूती से लागू करवा रही है? इस पर श्याम का कहना है कि सरकार की ओर से एक कमेटी गठित की गई है जो अंधविश्वस के खिलाफ जागरूकता फैलाने का कम कर रही है.

अब एक दूसरे एंगल से इस कहानी को देखते हैं. कि दिव्य दरबार जैसे कार्यक्रमों में लोग जाते क्यों हैं? उनपर क्या बीत रही होती है? इस पर विशेषज्ञ का कहना है कि कथित बाबा लोगों की कमज़ोरी का फायदा उठाते हैं. और जो हम समझ नहीं पाते, और जो चीज़ें तर्क के परे जाती दिखती हैं, उन्हें बूझने के दो बड़े रास्ते हैं. एक विज्ञान का. और दूसरा धर्म का. इन दोनों में एक फर्क है. विज्ञान सारी बातें प्रमाणों के आधार पर ही कहता है. और ये स्वीकार करने को तैयार रहता है कि वो गलत भी हो सकता है. धर्म के मामले में ऐसी गुंजाइश कम मिलती है. लेकिन कभी कभार लोग इन दोनों बड़े रास्तों से मायूस होकर एक तीसरे रास्ते की ओर बढ़ जाते हैं - अंध विश्वास. लेकिन ये कमज़ोरी की निशानी है. डॉक्टरी सलाह लें. और याद रखें कि भारत का संविधान वैज्ञानिक चेतना की बात करता है, पाखंड की नहीं. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का वो अनकहा सच, जो आप नहीं जानते