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क्या ट्विटर बायो में सिर्फ ये एक लाइन लिखने से गदर काटने की छूट मिल जाती है?

कौन है वो शख्स, जिसने सबसे पहले ट्विटर पर ये लाइन लिखी थी, जान लीजिए

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ट्विटर पर सबसे पहले RTs ≠ endorsements सबसे पहले एक अमेरिकी जर्नलिस्ट पैट्रिक ने लिखा. (फोटो-ट्विटर)
ट्विटर पर घमासान मचा हुआ है. सरकार कह रही है हमारी बात मानो, यूजर कह रहे हैं कि बोलने की आजादी पर हमला हो रहा है. कोई किसी पर वामपंथी होने का इल्जाम लगा रहा है, तो कोई राइट विंग अजेंडा की बातें कर रहा है. इस सब में एक लाइन ऐसी है, जो हर तरह के यूजर्स के ट्विटर प्रोफाइल पर देखने को मिल जाती है. यह लाइन है Retweets do not equal endorsements. ज्यादातर ट्विटर बायो में यह बात लिखी नजर आएगी. कभी आपने सोचा है कि आखिर किसने सबसे पहले यह बात ट्विटर पर लिखी. और क्या इसे लिखने भर से आपको ट्विटर पर गदर काटने का लाइसेंस मिल जाता है? आइए जानते हैं तफ्सील से. किसने लिखी Twitter पर यह कालजयी लाइन? जैसा कि प्रबुद्ध भाषा में लिखा जाता है - इसे लेकर सोशल मीडिया के इतिहास में अलग-अलग दावे मिलते हैं. कोई इसे एक आम यूजर की खास लाइन बताता है, तो कोई इसे बड़े पत्रकार का एक नायाब नुस्खा बताता है. हालांकि वर्तमान ट्विटर काल में Retweets do not equal endorsements ऐसा संपुट है जिसे लगभग हर यूजर ने साध रखा है. इस बात को लिखने का मतलब सिर्फ यही है कि अगर मैं किसी के ट्वीट को रीट्वीट करता हूं, तो यह न समझा जाए कि मैं उसकी बात की पुष्टि कर रहा हूं. इस लाइन के इतिहास को समझने के लिए हमें ट्विटर के इतिहास में जाना होगा. 2006 के आखिर में ट्विटर का जन्म हुआ. शुरुआत काफी धीमी थी. लोग फिलहाल 2 साल पहले ही आए, फेसबुक में काफी मग्न थे. 2010 तक आते-आते ट्वीटर ने रफ्तार पकड़ी. हालांकि ट्विटर पर ज्यादातर पत्रकार और मीडिया समूह ही मौजूद थे. ट्विटर पर तब भी बहुत सारी गलत जानकारियां मौजूद थीं, ऐसे में लोगों ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी से बचने के लिए "RTs ≠ endorsements" टाइप का आइडिया निकाला. अमेरिकन वेबसाइट बज़फीड के अनुसार साल 2010 में रॉयन ऑसबर्न के ट्विटर हैंडल पर इसके निशान मिलते हैं. रॉयन ने लिखा था,
बेहद तेज़नजर. मैंने भी पहली बार "Links and retweets are not endorsements" पैट्रिक लेफोर्ज के ट्विटर बायो में ही देखी थी
  ट्विटर पर किसी भी ट्वीट को खोजने के लिए इस्तेमाल होने वाले टूल टॉप्सी (Topsy ) से भी यही पता चलता है कि इस तरह का पहला ट्वीट पैट्रिक लेफोर्ज ने किया था. पैट्रिक एक पत्रकार हैं और फिलहाल न्यू यॉर्क टाइम्स के एडिटर हैं. ले फोर्ज ने बज़फीड को यह बताया था, कि वह बहुत जल्दी ही ट्विटर पर आ गए थे. यह 2008 के आसपास की बात है. उन्होंने कहा कि मैंने इसे अपने बायो में तब लिखा और उसे बाद में हटा लिया. जिसका मुझे आज भी दुख है. इसके बाद जैसे-जैसे ट्विटर ने रफ्तार पकड़ी लोगों ने नैतिक स्तर पर खुद को किसी भी गलत जानकारी से बचाने के लिए, अपने बायो में इसे डालना शुरू कर दिया. इसके बाद तो Retweets do not equal endorsements तो जैसे तकिया-कलाम बन गया. हर किसी ने इसे इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. ट्विटर अनालिटिक्स के टूल फॉलोवर वॉन्ग के अनुसार Retweets do not equal endorsements को ट्विटर यूजर्स हजारों तरीकों से अपने बायो में इस्तेमाल करते हैं. तो क्या बायो में RTs ≠ endorsements कोर्ट में बच जाएंगे? सोशल मीडिया अब पहले की तरह खिलंदड़ी का मैदान नहीं रहा. जरा भी ट्वीट फिसला. कि हवालात की हवा खानी पड़ सकती है. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है, कि क्या बायो में पहले ही यह लिखना कि आप 'जो कुछ भी रीट्वीट कर रहे हैं उसकी पुष्टि नहीं करते' जिम्मेदारी से फारिग होने को काफी है. सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया से जुड़े कई केस लड़ चुके एडवोकेट विराग गुप्ता का कहना है कि,  ऐसे इंडोर्समेंट से सिविल मामलों के मुकदमों में तो कानूनी बचाव हो जाता है. लेकिन सरकार या अन्य व्यक्ति द्वारा आपराधिक मामला दर्ज होने या गिरफ्तारी होने पर यह सेफ़गार्ड बेमानी सा हो जाता है. मतलब यह कि अगर मामला जमीन-जायदाद या अपने अधिकारों का है, तब तो यह दलील चल सकती है, लेकिन अपराध के मामले में कोर्ट इसे नहीं मानेगा. हाल ही में सरकार ने एक खास हैशटैग को ट्वीट और रीट्वीट करने वाले ट्विटर हैंडल को सस्पेंड करने के आदेश भी दिए थे. ऐसे में बेहतर होगा कि किसी भी ट्वीट को सिर्फ इसलिए बेधड़क रीट्वीट मत करिए क्योंकि आपने ट्विटर के बायो में लिख रखा है कि RTs ≠ endorsements.