अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी हो गई है. ट्रंप प्रशासन ने कमान संभालते ही ताबड़तोड़ कई बड़े फैसले लिए हैं. मेक्सिको से जुड़ा एक फैसला, इन सभी फैसलों में काफी चर्चित है और विवादित भी. ट्रंप प्रशासन ने ‘मेक्सिको की खाड़ी’ (Gulf of Mexico) का नाम बदलकर ‘अमेरिका की खाड़ी’ (Gulf of America) कर दिया है. लेकिन ‘मेक्सिको की खाड़ी’ का अधिकांश जल क्षेत्र अमेरिका द्वारा नियंत्रित समुद्री क्षेत्रों (Maritime regions) से बाहर आता है. तो फिर अमेरिका ने इस पर अपना दावा कैसे ठोंका?
डॉनल्ड ट्रंप ने Gulf of Mexico का नाम बदला, पर UNCLOS के नियम क्या कहते हैं?
मेक्सिको 'Gulf of Mexico' के 49 प्रतिशत हिस्से पर दावा करता है. वहीं, क्यूबा भी खाड़ी के 6 प्रतिशत हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है.

समुद्री क्षेत्रों को निर्धारित करने वाले नियम क्या कहते हैं? और मैरीटाइम रीजन कितने तरह की होती हैं? ये जानने से पहले आपको बताते हैं कि अमेरिका और मेक्सिको इस खाड़ी का कितना हिस्सा क्लेम करते हैं.
ये पता चला हमें न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट से. इंटरनेशनल बाइंड्रीज का डेटाबेस रखने वाली वेबसाइट Sovereign Limits के हवाले से न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि अमेरिका Gulf of Mexico के 46 प्रतिशत हिस्से पर दावा करता है. जबकि मेक्सिको इस खाड़ी के 49 प्रतिशत हिस्से पर दावा करता है. वहीं, क्यूबा खाड़ी के 6 प्रतिशत हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है.

बता दें कि Gulf of Mexico दुनिया के मैप में सैकड़ों सालों से बना हुआ है. और इसी तरह भौगोलिक नामों में परिवर्तन भी हमारे इतिहास में आम बात रही है. इस नाम में किए गए बदलाव का उन अमेरिका की फेडरल एजेंसी पर तत्काल प्रभाव पड़ सकता है, जो खाड़ी का मानचित्र बनाती हैं या उसका उल्लेख करते हैं. Google और Apple जैसी कुछ कंपनियां ने अब अमेरिका में यूजर्स के लिए मैप पर खाड़ी को Gulf of America दिखाना शुरू कर दिया है. लेकिन दूसरे देशों के लिए नाम में किया गया ये बदलाव सिर्फ वैकल्पिक है. पर अंतर्राष्ट्रीय नियम वैकल्पिक नहीं हैं. दुनिया के मैरीटाइम रीजन/जोन भी अलग-अलग हिस्सों में बांटे जाते हैं. इसके लिए UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea) नाम से संयुक्त राष्ट्र के कुछ नियम बने हुए हैं.
UNCLOS को ‘Law of the Sea’ के नाम से भी जाना जाता है. इन नियमों को साल 1982 में लागू किया गया था. ये एकमात्र इंटरनेशनल कन्वेंशन है जो समुद्री क्षेत्रों में किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र के लिए रूपरेखा निर्धारित करता है. ये विभिन्न मैरीटाइम रीजन/जोन को अलग-अलग कानूनी दर्जा प्रदान करता है. UNCLOS के तहत Maritime regions को किसी भी देश के तटीय हिस्से से दूरी के आधार पर 5 हिस्सों में बांटा जाता है. ये हैं:
- इंटरनल वॉटर्स (Internal Waters),
- टेरिटोरियल सी (Territorial Sea),
- कॉन्टिगुअस जोन (Contiguous Zone),
- Exclusive Economic Zone (EEZ), और
- High Seas.
1. इंटरनल वॉटर्स (Internal Waters) वो हिस्सा है जो बेसलाइन से देश के तट की तरफ होता है. बेसलाइन तट के किनारे स्थित लो-वॉटर लाइन है जिसे तटीय राज्य द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी जाती है. प्रत्येक तटीय राज्य को अपने भूमि क्षेत्र की तरह अपने इंटरनल वॉटर्स पर भी पूर्ण संप्रभुता होती है. इंटरनल वॉटर्स के उदाहरणों की बात करें तो खाड़ी, बंदरगाह, इनलेट, नदियां और यहां तक कि समुद्र से जुड़ी झीलें भी इसमें शामिल होती हैं.
इंटरनल वॉटर्स से किसी को भी इनोसेंट पैसेज का कोई अधिकार नहीं होता है. इनोसेंट पैसेज का मतलब ऐसे जलमार्गों से होकर गुजरना है जो शांति और सुरक्षा के लिए हानिकारक नहीं हैं. हालांकि, देशों के पास इसे भी रद्द करने का अधिकार होता है.
2. टेरिटोरियल सी (Territorial Sea) वाला हिस्सा समुद्र की तरफ होता है. ये बेसलाइन से 12 नॉटिकल माइल्स (करीब 22.2 किलोमीटर) की दूरी तक जाता है. तटीय राज्यों के पास टेरिटोरियल सी पर संप्रभुता और अधिकार होता है. ये अधिकार न केवल सतह पर बल्कि समुद्री तल, उसके नीचे की जमीन और यहां तक कि एयरस्पेस तक भी होता है.
टेरिटोरियल सी के अंदर कस्टम लॉ, इमिग्रेशन और सीमा शुल्क कानूनों के उल्लंघन को रोकने और दंडित करने का अधिकार राज्य के पास होता है.
3. कॉन्टिगुअस जोन (Contiguous Zone) इस क्रम में तीसरे नंबर पर आता है. ये वो हिस्सा है जो बेसलाइन से 24 नॉटिकल माइल्स (लगभग 44.4 किलोमीटर) की दूरी तक होता है. ये Territorial Sea और High Seas के बीच का हिस्सा है. कॉन्टिगुअस जोन किसी राज्य को केवल समुद्र की सतह और तल पर अधिकार प्रदान करता है. ये उन्हें एयर और स्पेस के अधिकार नहीं देता है.

4. Exclusive Economic Zone (EEZ) प्रत्येक तटीय राज्य की बेसलाइन से 200 नॉटिकल माइल्स (370 किलोमीटर) की दूरी तक फैला हुआ हो. EEZ के तहत राज्य के पास समुद्री तल और उसके नीचे की जमीन के प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार होता है. ये चाहे सजीव हों या निर्जीव. इस क्षेत्र में इनकी खोज, संरक्षण और प्रबंधन का देश के पास पूरा अधिकार होता है.
इसके अलावा EEZ में तटीय राज्य के पास ऊर्जा उत्पादन जैसी गतिविधियां करने का अधिकार भी होता है. ये ऊर्जा हवा, पानी या करेंट, किसी से भी पैदा की जा सकती है. इस क्षेत्र में राज्य के पास सिर्फ यही अधिकार होते हैं. ये किसी भी तटीय राज्य को ये अधिकार नहीं देता कि वो वहां से गुजरने या उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगाए. हालांकि, इसमें कुछ अपवाद हो सकते हैं.
5. High Seas समुद्री बाउंड्री का आखिरी हिस्सा है. EEZ के आगे का पूरा हिस्सा High Seas माना जाता है. इसे समस्त मानव जाति की साझी विरासत माना जाता है और ये किसी भी राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर है. राज्य इन क्षेत्रों में गतिविधियां संचालित कर सकते हैं, बशर्ते वो शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए होनी चाहिए. जैसे ट्रांजिट मरीन साइंस या समुद्र के नीचे किसी खोज के लिए जाना.
मेक्सिको ने गूगल को दी चेतावनीये तो बाद हुई Maritime regions की. Gulf of Mexico को लेकर चल रहे विवाद के बीच मेक्सिको ने अमेरिकी कंपनी गूगल को चेतावनी दी डाली है. यूजर्स के लिए मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर "अमेरिका की खाड़ी" करने के Google के फैसले पर मेक्सिको ने कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है. मेक्सिको के राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा कि उनकी सरकार ने नाम बदले जाने को लेकर Google को पहले ही चुनौती दे दी थी. लेकिन उन्हें कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला. शिनबाम ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी सरकार गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर करेगी.
शिनबाम ने तर्क दिया कि ट्रंप का आदेश केवल अमेरिका के continental shelf पर लागू होता है और इसका मेक्सिकन क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने Google से वॉइट हाउस द्वारा जारी किए गए ऑर्डर की देखनी की बात कही है. शिनबाम के मुताबिक ये ऑर्डर पूरी खाड़ी के संदर्भ में नहीं है, बल्कि continental shelf को संदर्भित करता है.
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